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High Court - Defaulter should be strictly dealt with in the Domestic Violence Act

इलाहाबाद हाईकोर्ट
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पारिवारिक विवाद के मामले में सुनवाई करते हुए निचली अदालत पर कड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि निचली अदालत ने डिफॉल्टर से सख्ती से पेश आने की बजाय उसके खिलाफ फिर से रिकवरी वारंट जारी कर सही नहीं किया है। कहा कि घरेलू हिंसा महिला संरक्षण अधिनियम की धारा 31 के प्रावधानों के तहत एक डिफॉल्टर से सख्ती से निपटा जाना चाहिए।

कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला दिया। यह भी कहा कि अंतरिम संरक्षण आदेश अपराध है। कोर्ट ने इसे गैर जमानती और संज्ञेय बताया है। कहा कि निचली अदालत को अपराध के अनुसार अधिकतम सजा देने के लिए दंडित करना चाहिए। प्रतिवादी पति अहमद अली ने याची यानी पूर्व पत्नी और दिव्यांग बच्चे को सड़क पर ला दिया और दूसरी पत्नी के साथ जीवन का आनंद उठा रहा है।

कोर्ट ने न्यायिक मजिस्ट्रेट को घरेलू हिंसा महिला संरक्षण अधिनियम की धारा 31 के तहत पति के खिलाफ कार्रवाई करने और रखरखाव राशि की वसूली के लिए चल या अचल संपत्ति नीलाम करने को कहा है। यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने मुरादाबाद की हसीना खातून की ओर से दाखिल याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है।

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