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UP state election commission are working on common voter list.

प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : iStock

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उत्तर प्रदेश को छोड़कर ज्यादातर राज्यों में कॉमन वोटर लिस्ट से चुनाव हो रहे हैं। जबकि उप्र राज्य निर्वाचन आयोग ने वर्ष 2021 में हुए त्रिस्तरीय ग्राम पंचायत चुनाव में यह वादा किया था कि वर्ष 2022-2023 का नगर निकाय चुनाव कॉमन वोटर लिस्ट से कराया जाएगा, पर ऐसा नहीं हो पाया। हालांकि कॉमन वोटर लिस्ट को अब मुहिम शुरू की जा रही है। आयोग की टीम जल्द ही विभिन्न राज्यों का दौरा कर अध्ययन करेगी कि वहां कॉमन वोटर लिस्ट बनाने में क्या-क्या अड़चनें आईं और क्या-क्या प्रक्रिया अपनाई गई थीं।

इस बार नगर निकाय चुनाव में मतदाता सूची में भारी गड़बड़ी सामने आई। लाखों मतदाता ऐसे रहे, जिनके नाम सूची से गायब थे। इसका कारण एक ही था कि यहां नगर निकाय की मतदाता सूची लोकसभा सूची से अलग है। इसमें खामियों का अंबार है। अब आयोग कॉमन वोटर लिस्ट पर काम कर रहा है। राज्य निर्वाचन आयुक्त मनोज कुमार के मुताबिक निकाय चुनाव की मतदाता सूची को लोकसभा चुनाव की मतदाता सूची से जोड़ने का पायलट प्रोजेक्ट लखनऊ से शुरू किया जा रहा है। इसके लिए निजी एजेंसी की मदद ली जा रही है।

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वर्तमान में कई राज्यों में एक ही सूची से चुनाव हो रहा है। हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड आदि राज्यों में इसी तरह से मतदाता सूची को तैयार किया गया है। वहीं, कई राज्यों की सूची अलग है लेकिन वह लोकसभा चुनाव की सूची को आधार बनाकर ही तैयार की गई है। ऐसे में वहां मतदाता सूची में गड़बड़ियां काफी कम होती हैं। सूची में मतदाता पहचान पत्र का नंबर लिखा होता है। इसके अलावा मतदाता का फोटो भी लगा होता है। ऐसे में फर्जी मतदान की गुंजाइश कम होती है।

कॉमन वोटर लिस्ट से दोहराव की उम्मीद कम

कॉमन वोटर लिस्ट का सबसे बड़ा लाभ यह है कि मतदाता कई-कई जगह अपना वोट नहीं बनवा पाता है। जबकि ऐसे तमाम मतदाता हैं, जो नगर निकाय चुनाव में वोट डालते हैं और ग्राम पंचायत में भी उनका वोट है। इसी तरह लोकसभा या विधानसभा चुनाव और निकाय चुनाव में उनका वोट अलग-अलग जगहों पर होता है। कॉमन वोटर लिस्ट से इस दोहराव की उम्मीद कम हो जाती है।

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