बांदा। कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों के बाद शासन ने इसकी कमी दूर करने के लिए ताकत झोंक दी। दो ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट के बाद अब रानी दुर्गावती मेडिकल काॅलेज में लिक्विड मेडिसिन ऑक्सीजन (एलएमओ) प्लांट लग रहा है। इसकी लागत करीब डेढ़ करोड़ है। माना जा रहा है इसमें उत्पादित ऑक्सीजन लगभग 95 फीसदी शुद्ध होती है।
रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज की शुरुआत वर्ष 2016 में हुई थी। यहां बांदा समेत चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर और मध्य प्रदेश के पन्ना व छतरपुर जिलों से बड़ी संख्या में मरीज आते हैं। रोजाना एक हजार से ज्यादा ओपीडी और करीब 300 से ज्यादा आईपीडी में मरीज आ रहे हैं। वर्ष 2020 व 2021 में कोरोना काल के दौरान लगभग 120 मौतें हो गई थीं। इनमें ज्यादातर मौतें ऑक्सीजन की कमी से हुई थीं। नतीजतन शासन ने मेडिकल काॅलेज और सरकारी अस्पतालों को ऑक्सीजन में आत्मनिर्भर बनाने में पूरी ताकत झोंक दी। इसी के तहत यहां मेडिकल काॅलेज में दो ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट स्थापित कर दिए गए। अब एलएमओ प्लांट भी लग रहा है।
प्राचार्य डाॅ.मुकेश कुमार यादव ने बताया कि एलएमओ का सिविल कार्य (प्लेटफार्म) आदि पूरा हो गया है। ऑक्सीजन टैंक आ गए हैं। इसकी लागत लगभग डेढ़ करोड़ और क्षमता 20 किलो लीटर है। इसे आईनॉक्स कंपनी की ओर से स्थापित किया जा रहा है। इसी माह के अंत तक यह चालू हो जाएगा। इसके शुरू होने पर मरीजों को शुद्ध ऑक्सीजन मिल सकेगी। ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट से मिलने वाली ऑक्सीजन की शुद्धता करीब 85-90 फीसदी होती है, लेकिन लिक्विड मेडिसिन ऑक्सीजन की शुद्धता 95 से 98 फीसदी होती है।
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42 बेड का पीकू, 12 बेड का एसएनसीयू हो रहा तैयार
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की ओर से रानी दुर्गावती मेडिकल काॅलेज में 42 बेड के पीडियाट्रिक केयर यूनिट (पीकू) का निर्माण शुरू हो गया है। इसमें वेंटीलेटर, ऑक्सीजन समेत बच्चों के लिए कई सुविधाएं उपलब्ध होंगी। इसकी लागत करीब एक करोड़ है। इसके निर्माण के बाद अब मेडिकल काॅलेज में पीकू बेड की क्षमता 47 हो जाएगी। अभी तक यहां पांच बेड का पीकू वार्ड है। उधर, सिक न्यू बॉर्न यूनिट (एसएनसीयू) का निर्माण भी हो रहा है। यह 12 बेड का है। इसमें वॉर्मर लगेंगे। मेडिकल काॅलेज प्रशासन का दावा है कि पीकू और एसएनसीयू वार्ड बनने के बाद बच्चों को रेफर करने की मजबूरी नहीं रहेगी। यहां भर्ती कर बच्चों का आसानी इलाज हो सकेगा।
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10 विशेषज्ञ और 100 नर्सिंग स्टाफ की नियुक्ति के लिए भेजा पत्र
पीडियाट्रिक केयर यूनिट और सिक न्यू बॉर्न यूनिट शुरू होने पर बाल रोग विशेषज्ञ सहित नर्सिंग स्टाफ और फार्मासिस्ट की जरूरत होगी। प्राचार्य डाॅ. मुकेश कुमार यादव ने बताया कि कोविड-19 के दौरान पीकू के पांच बेड पर एक विशेषज्ञ और दो बेड पर एक नर्सिंग स्टाफ का मानक तय किया गया था। यह अभी भी लागू है। ऐसे में पीकू और एसएनसीयू को मिलाकर लगभग 8-10 विशेषज्ञ और 100 से ज्यादा नर्सिंग स्टाफ की जरूरत होगी। हालांकि एनएचएम की ओर से भर्ती की जाएगी। फिर भी मेडिकल काॅलेज प्रशासन ने नियुक्ति को लेकर निदेशालय को पत्र भेजा दिया है।