बांदा। कॉलेज में युवा महोत्सव में युवाओं ने चित्रकला का हुनर दिखाते हुए सुख समृद्दि से परिपूर्ण भविष्य के भारत की परिकल्पना कर लोगों को आशन्वित कर दिया। चित्रों को उकेर कर रोटी कपड़ा व मकान से हर भारत वासी संपन्न होगा, यह सपना दिखाया है। कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने युवा छात्र-छात्राओं के बनाए चित्र व संस्कृतिक प्रस्तुतियां देख जमकर वाहवाही की।
आर्य कन्या इंटर कॉलेज में नेहरू युवा केन्द्र द्वारा हुए चित्रकला प्रतियोगिता में एमए प्रथम वर्ष की छात्रा अफ़सरी बेगम ने पेंटिंग के माध्यम 2047 के भारत की कल्पना का चित्र बनाया। इसमें दिखाया कि भारत में समान शिक्षा की व्यवस्था हो, जिसमें अमीरों गरीबों को एक साथ समान शिक्षा मिले। शान्ति पूर्ण भविष्य हो, भ्रष्टाचार मुक्त भारत, वृद्धा आश्रम विहीन भारत, सौर ऊर्जा से चलने वाली बुलेट ट्रेन, अच्छी सड़कें, डिजिटल इंडिया, आर्थिक समानता ऐसी हो कि कपड़ा, रोटी, मकान सबके पास हो, आदि से परिपूर्ण भारत की कल्पना की है। कोमल गुप्ता, पंडित जवाहर नेहरू डिग्री कॉलेज की छात्रा कोमल गुप्ता ने बताया कि वह पेंटिंग में अपना भविष्य बनाना चाहती हैं। छात्रा स्मृति सिंह प्रसाशनिक सेवा में जाना चाहती हैं, वह देश को भ्रष्टाचार मुक्त भारत के जरिये सर्वश्रेष्ठ बनाने का सपना देख पेंटिंग बनाई। अंशिका ने शिक्षित समाज से ही सब कुछ संभव है। उन्होंने भी पेंटिंग के जरिये ऐसा भारत दिखाया है। कोमल देश सेवा की भावना को लेकर चित्र बनाए।
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संस्कृतिक प्रस्तुतियां दी
आयोजन में मोबाइल फ़ोटो ग्राफी, कविता लेखन, पेंटिंग, भाषण व सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। आर्य कन्या समेत पंडित जवाहर लाल नेहरू डिग्री कॉलेज, महिला डिग्री कॉलेज, सरस्वती विद्या मंदिर, जीजीआईसी के छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया। युवा महोत्सव में प्रतिभागियों ने 2047 का भारत कैसा हो इस पर अपने अपने विचार पेंटिंग, भाषण, फ़ोटो ग्राफी और विधाओं के जरिये बताने का प्रयास किया। सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी ने योजनाओं की प्रदर्शनी शुभारंभ किया। उन्होंने प्रतिभागियों की मनमोहन प्रस्तुति को सराहा। इस दौरान नेहरू युवा केन्द्र के जिला युवा अधिकारी विनीत गहलावत, उमाशंकर, देवेंद्र, आनंद, दिलीप, आरती, मोहित रहे।
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कष्ट के बाद मिलने वाले सुख की अनुुुभूति अलग
आर्य कन्या इंटर कॉलेज की प्रिंसिपल पूनम गुप्ता ने कहा आज के छात्र जरा सी बात पर जरा सी असफलता पर मौत को गले लगा लेते हैं, यह कौन सी शिक्षा है, समझ नहीं आती है। कष्ट के बाद जो सुख मिलता है उसकी अनुभूति अलग ही होती है। लक्ष्यपूर्ण जीवन जिए असफलता से सीखें कि क्या गलती हुई, मौत को गले से न लगाएं। अपने कर्तव्यों को लगन और ईमानदारी से करें। क्रोध करने से बचने की सलाह देते हुए विवेकानंद को याद करते हुए कहा उठो जागो और तब तक कर्म करो जब तक लक्ष्य पूर्ण न हो।