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मोहर्रम की चौथी तारीख यानी बुधवार रात विभिन्न इमाम चौकों से अकीदत के साथ जुलूस निकाले गए। जुलूस में झांकी, घोड़े, झंडे, शहनाई, बैंड, सद्दा, पारंपरिक ढोल-ताशे शामिल थे। युवक करतब दिखाते चल रहे थे।
रहमतनगर, खोखरटोला, गाजी रौजा, घासी कटरा, इलाहीबाग, मोहनलालपुर, कसाई टोला व विभिन्न इमाम चौकों से जुलूस निकाले गए। सभी जुलूस घासीकटरा चौराहे पर आकर मिले। वहां से एक साथ कर्बला पहुंचे और और फिर घासीकटरा लौटने के बाद अपने-अपने इमाम चौकों की ओर चले गए। जुलूसों का इस्तकबाल भी हुआ।
बहादुरिया जामा मस्जिद रहमतनगर के निकट बुधवार को दरगाह हजरत मोहम्मद अली बहादुर शाह के खादिमों द्वारा लंगर-ए-हुसैनी बांटा गया। सुन्नी बहादुरिया जामा मस्जिद के इमाम मौलाना अली अहमद ने कहा कि इमाम हुसैन का किरदार यह था कि जब मक्का से कूफे के सफर के वक्त दुश्मन ने उन्हें घेरा तो उन्होंने देखा कि दुश्मन के फौजी इतने प्यासे हैं कि जंग करने के काबिल भी नहीं हैं।
ऐसे में इमाम हुसैन चाहते तो हमला कर देते, लेकिन कमजोर पर हमला करना दीन-ए-इस्लाम नहीं है इसलिए इमाम हुसैन ने दुश्मन के फौजियों को पानी पिलाया और यहां तक कि उनके प्यासे घोड़ों को भी पानी पिलाया। उन्हीं हजरत इमाम हुसैन को कर्बला में तीन दिन का प्यासा शहीद किया गया। इस मौके पर अली गजनफर शाह, बबलू कुरैशी, आजाद, आसिफ, कासिम, आरिफ, शहजादे, अली अशहर आदि ने रहमतनगर, बक्शीपुर, गोरखनाथ, नार्मल दरगाह पर फल वितरित किया। जमुनहिया बाग में शर्बत बांटा गया।