Muzaffarnagar के पौराणिक तीर्थस्थल शुकतीर्थ में इस बार कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर आस्था और श्रद्धा का अभूतपूर्व संगम देखने को मिला। सुबह की पहली किरणों के साथ ही गंगा तट पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। पूरे वातावरण में “हर हर गंगे, जय मां गंगे” के उद्घोष गूंजने लगे। शुकदेव मुनि की तपोभूमि के इस पवित्र स्थल पर दूर-दूर से लाखों श्रद्धालु पहुंचे और गंगा स्नान कर पुण्य अर्जित किया।
घने कोहरे और सर्द हवाओं के बावजूद श्रद्धालुओं की भीड़ में कोई कमी नहीं थी। रातभर ट्रैक्टर-ट्रॉलियां, बसें, कारें, भैंसा-बोगियां और दोपहिया वाहन तीर्थयात्रियों से भरे रहे। सड़कों पर आस्था की यह यात्रा अद्भुत नजारा पेश कर रही थी।
गंगा तट पर भक्ति और श्रद्धा का अद्भुत संगम
गंगा घाट पर पहुंचते ही श्रद्धालुओं ने मां गंगा की विधिवत पूजा-अर्चना की। दीप प्रज्वलित कर गंगा आरती की गई और श्रद्धालुओं ने सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित किया। कुछ भक्तों ने पारंपरिक गंगा स्तोत्र का पाठ करते हुए भक्ति की भावना से वातावरण को पवित्र बना दिया।
भक्तों ने गंगा स्नान के बाद दान-पुण्य, हवन, संकल्प और कथा श्रवण जैसे अनुष्ठान किए। कई परिवारों ने अपने बच्चों का मुंडन संस्कार करवाया, वहीं अनेक श्रद्धालुओं ने अन्न, वस्त्र और दक्षिणा का दान किया। मेले में खिचड़ी प्रसाद का वितरण भी किया गया, जिससे वातावरण में भक्ति के साथ परोपकार की सुगंध फैल गई।
प्राचीन शुकदेव आश्रम और वटवृक्ष के दर्शन के लिए उमड़ी भीड़
शुकतीर्थ में स्थित प्राचीन शुकदेव आश्रम इस अवसर पर विशेष रूप से सजाया गया था। श्रद्धालुओं ने यहां स्थित प्राचीन वटवृक्ष की परिक्रमा कर मनोकामना सिद्धि के लिए धागा बांधा। यह वटवृक्ष पौराणिक मान्यता के अनुसार हजारों वर्षों पुराना बताया जाता है, जहां स्वयं श्री शुकदेव मुनि ने वेद और भागवत का उपदेश दिया था।
शुकदेव मंदिर में भक्तों की लंबी कतारें लगी रहीं। श्रीकृष्ण-शुकदेव संवाद की झांकियां भी यहां आकर्षण का केंद्र बनीं। मंदिर परिसर में गूंजते “राधे कृष्ण, जय शुकदेव मुनि महाराज” के नारों से वातावरण भक्तिमय हो उठा।
हनुमत धाम में भक्तों ने किया विशेष पूजन
तीर्थनगरी के प्रसिद्ध हनुमत धाम में भक्तों ने रामभक्त हनुमान जी की विशाल प्रतिमा के दर्शन किए। हनुमान जी के अनेक स्वरूपों की झलक देखने हजारों श्रद्धालु पहुंचे। यहां बेसन के लड्डू और सिंदूर चढ़ाने की परंपरा निभाई गई।
कई भक्तों ने बताया कि वे हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहां दर्शन करने आते हैं और उनकी मनोकामनाएं हमेशा पूरी होती हैं। “जय बजरंग बली” के जयकारों से पूरा क्षेत्र गूंज उठा।
आश्रमों और मंदिरों में भक्ति की गूंज
शुकतीर्थ के प्रमुख आश्रमों—गणेश धाम, शिवधाम, दण्डी आश्रम, महेश्वर आश्रम, गौड़ीय मठ, पार्वती धाम, तिलकधारी आश्रम, शनिधाम और महाशक्ति सिद्धपीठ—में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। हर आश्रम में संत-महात्माओं द्वारा कथा व भजन संध्या का आयोजन किया गया।
इन आश्रमों में भक्ति गीतों, मंत्रोच्चारण और घंटा-घड़ियाल की ध्वनि से चारों दिशाएं गूंज उठीं। श्रद्धालुओं ने भक्ति और ज्ञान की वर्षा का आनंद उठाया।
प्रशासन ने की चाक-चौबंद व्यवस्थाएं
इस विशाल आयोजन के मद्देनज़र मुजफ्फरनगर प्रशासन ने विशेष इंतज़ाम किए। पुलिस, पीएसी और होमगार्ड जवानों की अतिरिक्त तैनाती की गई। गंगा घाट पर बैरिकेडिंग, मेडिकल कैंप, कंट्रोल रूम और खोया-पाया केंद्र की व्यवस्था भी की गई थी।
नगर पंचायत मोरना द्वारा सफाई व्यवस्था दुरुस्त रखी गई। अधिकारियों ने स्वयं मैदान में उतरकर स्थिति की निगरानी की। पूरे मेले क्षेत्र में ड्रोन कैमरों से भी निगरानी रखी गई ताकि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
शुकतीर्थ: आस्था, इतिहास और संस्कृति का संगम
शुकतीर्थ न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व से भी जुड़ा हुआ है। पुराणों के अनुसार यही वह स्थल है, जहां महर्षि शुकदेव ने राजा परीक्षित को श्रीमद्भागवत पुराण का उपदेश दिया था। यहां स्थित गंगा तट, वटवृक्ष और शुकदेव आश्रम आज भी उसी पवित्रता की गवाही देते हैं।
हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा, मकर संक्रांति, और गंगा दशहरा जैसे अवसरों पर यहां लाखों श्रद्धालु जुटते हैं। आसपास के जिलों – सहारनपुर, मेरठ, शामली, बिजनौर, हरिद्वार – से भी श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।
भक्ति, दान और संस्कृति की अनोखी मिसाल
इस वर्ष का आयोजन पहले से भी अधिक भव्य रहा। मंदिरों में सजावट, घाटों पर दीपमालाएं और संतों के उपदेशों ने इस धार्मिक उत्सव को अविस्मरणीय बना दिया।
भक्तों ने न केवल पूजा की, बल्कि सामाजिक संदेशों का भी प्रसार किया—“स्वच्छ गंगा, सुरक्षित गंगा” और “दान ही सबसे बड़ा धर्म” जैसे संदेशों से पूरा मेला क्षेत्र गूंज उठा।
इस बार शुकतीर्थ का कार्तिक मेला न केवल श्रद्धा का प्रतीक बना, बल्कि एकता, सेवा और संस्कारों की भी प्रेरणा देता नजर आया।
शुकतीर्थ का कार्तिक पूर्णिमा मेला इस वर्ष श्रद्धा, संस्कृति और सुरक्षा का उत्कृष्ट उदाहरण बना। प्रशासन की मुस्तैदी और भक्तों की आस्था ने इसे एक अद्वितीय आयोजन बना दिया। मां गंगा की कृपा और शुकदेव मुनि की तपोभूमि की पावनता ने इस दिन को हर श्रद्धालु के लिए अविस्मरणीय बना दिया। आने वाले वर्षों में भी शुकतीर्थ में इस तरह के पवित्र आयोजनों से देशभर में आस्था और भारतीय संस्कृति का संदेश गूंजता रहेगा।
