Muzaffarnagar से उठी आवाज अब राज्यभर में गूंज रही है। सिंचाई विभाग संयुक्त कर्मचारी संघर्ष समिति के नेतृत्व में मुजफ्फरनगर पहुंचे उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह और मीरापुर की क्षेत्रीय विधायक मिथलेश पाल को विभागीय कर्मचारियों ने कड़ा संदेश दे दिया है। विभाग में अति आवश्यक पदों को समाप्त करने और कम करने के फैसले ने कर्मचारियों को उबाल पर ला दिया है।
⚠️ कौन-कौन से पदों पर चली है सरकार की कैंची? ⚠️
कर्मचारियों ने स्पष्ट किया कि जिन पदों को समाप्त किया गया है, वे सिंचाई विभाग की ‘रीढ़’ माने जाते हैं। इसमें प्रमुख रूप से उपराजस्व अधिकारी, जिलेदार, मुंशी, इसके अलावा हैड मुंशी, नलकूप चालक, सींचपाल, मिस्त्री-कम-ड्राइवर, टिण्डैल और रनर जैसे पद शामिल हैं। ये सभी पद नहरों, राजकीय नलकूपों और विभागीय परिसंपत्तियों के संचालन एवं रख-रखाव के लिए अनिवार्य माने जाते हैं।
🔥 काली पट्टी से शुरू हुआ विरोध अब लेगा आंदोलन का रूप! 🔥
16 मई 2025 को प्रदेश स्तर पर सभी मान्यता प्राप्त संगठनों की बैठक में ‘संयुक्त कर्मचारी संघर्ष समिति’ का गठन किया गया था। इसके तहत 20 और 21 मई को सभी कर्मचारियों ने काला फीता बांधकर अपनी नाराजगी जताई थी। लेकिन अब जब सरकार ने कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दी, तो कर्मचारियों ने आगे और तीव्र आंदोलन की चेतावनी दी है।
👨🌾 किसानों पर भी पड़ेगा सीधा असर!
कर्मचारियों ने इस कटौती को किसानों के हितों पर सीधा हमला बताया। नहरों और नलकूपों की निगरानी व संचालन ग्रामीण स्तर पर कर्मचारी ही करते हैं। ऐसे में इन पदों के न होने से पूरी सिंचाई व्यवस्था के ध्वस्त होने का खतरा मंडरा रहा है।
🛑 सरकार के फैसले से कर्मचारी क्यों हैं आहत?
सरकार द्वारा 14 मई 2025 को जारी शासनादेश में उपरोक्त पदों को मृत घोषित कर दिया गया है। इस निर्णय ने कर्मचारियों की वर्षों की सेवा, योगदान और भविष्य दोनों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
💥 कर्मचारियों की मांगें स्पष्ट: पद बहाल करो या संघर्ष झेलो! 💥
संघर्ष समिति ने अपनी प्रमुख मांगों को इस प्रकार से प्रस्तुत किया:
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दिनांक 14 मई 2025 को जारी शासनादेश को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए।
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मृत घोषित किए गए सभी आवश्यक पदों को बहाल किया जाए।
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नए पदों का सृजन कर युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार उपलब्ध कराया जाए।
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सिंचाई व्यवस्था के सुचारु संचालन के लिए विभाग को मानव संसाधनों से सुसज्जित किया जाए।
👥 प्रतिनिधिमंडल ने सौंपा ज्ञापन: मंत्री को बताया पूरा हाल
ज्ञापन सौंपने पहुंचे प्रतिनिधिमंडल में विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, कर्मचारी, और संयुक्त समिति के पदाधिकारी शामिल थे। उन्होंने विस्तार से मंत्री स्वतंत्र देव सिंह और विधायक मिथलेश पाल को विभागीय कठिनाइयों की जानकारी दी।
📢 कर्मचारियों की एकजुटता: आर-पार की लड़ाई का ऐलान!
सभी कर्मचारी अब आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। उन्होंने साफ किया कि यदि सरकार ने जल्द उनकी मांगों को नहीं माना, तो प्रदेशभर में बड़े स्तर पर आंदोलन होगा। जिसमें काम बंदी, प्रदर्शन, और विधानसभा घेराव तक की रणनीति तैयार की जा रही है।
💬 “कठिन हालात में भी किसान को पानी दिया, अब हमें हटा रहे हैं?”
एक कर्मचारी ने कहा, “हमने कोरोना काल से लेकर सूखे के समय तक बिना छुट्टी लिए किसानों को पानी पहुँचाया, पर आज हमारे पद ही समाप्त कर दिए गए। क्या ये हमारा इनाम है?”
📈 क्या होगा अगला कदम?
सरकार की चुप्पी अब सवालों के घेरे में है। यदि जल्द कोई समाधान नहीं निकला, तो यह मुद्दा न सिर्फ राजनीतिक बल्कि सामाजिक आक्रोश में भी बदल सकता है।
🔎 मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बड़ी उम्मीदें!
कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भरोसा है कि वे इस मुद्दे को गंभीरता से लेंगे और शीघ्र उचित निर्णय लेंगे।
🔚 सिंचाई विभाग में पदों की कटौती केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि हजारों कर्मचारियों और किसानों के भविष्य से जुड़ा मुद्दा बन चुका है। यदि सरकार ने अब भी समय रहते यह निर्णय वापस नहीं लिया, तो यह आंदोलन बड़े सामाजिक-राजनीतिक संकट में बदल सकता है। सभी की निगाहें अब मुख्यमंत्री और सिंचाई मंत्री पर टिकी हैं।