पुणे, महाराष्ट्र ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन (AILU) ने ख्यातनाम मानवाधिकार वकील एड. असीम सरोदे की सनद बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र एंड गोवा (BCMG) द्वारा निलंबित किए जाने के निर्णय की तीव्र निंदा की है। यूनियन ने इस कार्रवाई को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा हमला बताते हुए तत्काल निलंबन रद्द करने की मांग की है।
AILU ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर आरोप लगाया है कि यह कार्रवाई आरएसएस-प्रेरित भाजपा सत्ता द्वारा अपने विरोधी आवाजों का गला घोंटने की चल रही प्रक्रिया का हिस्सा है। यूनियन के अनुसार, राजनीतिक विरोधी, सामाजिक कार्यकर्ता, विचारक और अब वकीलों को भी निशाना बनाया जा रहा है।
💬 टिप्पणी बनी निलंबन का आधार
BCMG की अनुशासन संबंधी समिति द्वारा एड. सरोदे पर तीन माह का निलंबन आदेश मार्च 2024 में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में उनकी टिप्पणियों पर आधारित है। सरोदे ने उस कार्यक्रम में न्याय व्यवस्था की कार्यप्रणाली और संवैधानिक पदाधिकारियों की जवाबदेही पर भाष्य किया था।
निलंबन का कथित कारण यह बताया गया है कि उन्होंने भाजपा के महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल पर टीका की और भाजपा के विधानसभा अध्यक्ष के एक निर्णय पर असंतोष व्यक्त किया।
🗣️ रचनात्मक थी टिप्पणी: AILU
AILU का कहना है कि एड. सरोदे ने न्याय वितरण तंत्र में प्रणालीगत विलंब, सामान्य नागरिकों को न्याय मिलने में कठिनाइयों तथा संवैधानिक पदाधिकारियों की अधिक जवाबदेही की आवश्यकता पर बात की थी। यूनियन ने ज़ोर देकर कहा कि उनकी टिप्पणी रचनात्मक और लोकतांत्रिक भावना से की गई थी, जिसमें संवैधानिक संस्थाओं से पारदर्शी और जवाबदेही से कार्य करने की अपेक्षा व्यक्त की गई थी।
विज्ञप्ति में कहा गया है, “शासन प्रायोजित विलंब में प्रणाली की त्रुटियों को उजागर करना किसी व्यक्ति की बदनामी करना या न्याय व्यवस्था का अपमान करना नहीं होता।”
🚩 राजनीतिक दबाव का आरोप
ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन ने बार काउंसिल की कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठाए हैं:
* तृतीय पक्ष की शिकायत: AILU ने बताया कि न तो पूर्व राज्यपाल और न ही विधानसभा अध्यक्ष ने व्यक्तिगत शिकायत की है। इसके बावजूद, किसी तृतीय पक्ष तथा भाजपा कार्यकर्ता के आवेदन पर निलंबन जैसी कठोर सज़ा देना अत्यंत अनुचित और दमनकारी है।
* विलंब से सूचना: निलंबन का आदेश 12 अगस्त 2025 को पारित किया गया था, लेकिन एड. सरोदे को इसकी सूचना लगभग तीन माह बाद 3 नवंबर 2025 को दी गई। यूनियन ने इसे प्रक्रियात्मक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन बताया है।
* राजनीतिक हस्तक्षेप: AILU ने आरोप लगाया है कि अनुशासनात्मक प्रक्रिया बाहरी दबाव या राजनीतिक विचारों से प्रभावित हुई प्रतीत होती है। उन्होंने मांग की है कि बार काउंसिल जैसे नियामक बोर्ड राजनीतिक प्रभावों से स्वयं को अलग रखें।
AILU ने कहा, “स्वस्थ लोकतंत्र बनाए रखने के लिए न्याय व्यवस्था, सरकारी कृत्यों या संवैधानिक पदाधिकारियों पर टीका करना वकील का अधिकार तथा कर्तव्य है।”
📢 तत्काल बहाली की मांग
यूनियन ने बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र एंड गोवा (BCMG) से तत्काल निलंबन वापस लेने की मांग की है। इसके साथ ही, बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) से हस्तक्षेप करने और अनुशासनात्मक तंत्र को स्वतंत्र, पारदर्शी तथा राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त रखने की गारंटी सुनिश्चित करने की मांग की गई है।
ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन ने स्पष्ट किया है कि वे एड. असीम सरोदे के साथ पूर्ण एकजुटता से खड़े हैं और संवैधानिक मत व्यक्त करने पर वकील को निशाना बनाने की इस खतरनाक प्रवृत्ति को कदापि सहन नहीं किया जाएगा।

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