
यह तस्वीर उस दौर की है जब और अखिलेश और राजभर साथ हुआ करते थे।
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समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं नेता विरोधी दल अखिलेश यादव ने कहा कि पहले भाजपा की पहचान चाल, चरित्र और चेहरा थी, जो अब बदलकर नफरत, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और महंगाई बन चुकी है। दरअसल, ये लोग दरार डालने वाले दरारजीवी हैं। विधानसभा में शुक्रवार को बाढ़ और सूखा के हालात पर चर्चा के दौरान अखिलेश ने कहा कि नेता सदन (मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ) बताएं कि बिना किसानों की आय दोगुना किए 10 दस खरब डॉलर अर्थव्यवस्था का सपना कैसे पूरा होगा। कहा कि सबका साथ-सबका विकास के लिए जातीय जनगणना जरूरी है।
अखिलेश ने मुख्यमंत्री द्वारा हाल ही में दिए गए एक साक्षात्कार को लेकर तंज कसा। कहा, कि उसमें बोला कम और लिखकर ज्यादा दिया गया है। नेता सदन बताएं कि वाटरवे और मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट सिस्टम कहां है। पुरानी सरकार में शुरू हुए फ्रेट कॉरीडोर का काम ही चल रहा है। ऐसी कोई गली बता दीजिए, जहां जलभराव न हो। नेता सदन तो छह साल में गोरखपुर में जलभराव की समस्या खत्म नहीं कर सके। प्रदेश में कोई नई मंडी नहीं बनी। किसानों को फसल का सही दाम नहीं मिला। आलू और मक्का की खरीद नहीं हुई।
गन्ना किसानों का भुगतान नहीं हुआ। दिल्ली और लखनऊ के इंजन टकरा रहे हैं। भाजपा टमाटर की बात ही नहीं करना चाहती है। उसकी कीमत आपके चेहरे को लाल कर रही है। महंगाई पर बात करने वाले पिता-पुत्र को जेल भेज दिया, ये कैसा लोकतंत्र है। दस खरब डॉलर अर्थव्यवस्था का सपना दिखाने वाले ठेले पर टमाटर बिकवा रहे हैं। डेयरी सेक्टर को बर्बाद कर प्राइवेट सेक्टर को दिया जा रहा है। इस तरह आप किसानों का भला करेंगे। आप सपा सरकार में शुरू हुई कुक्कुट योजना खत्म कर रहे हैं।
मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है…
अखिलेश ने सुभासपा अध्यक्ष पर तंज कसा कि हमारे एक साथी ने अपना ऑरबिट बदल लिया है। पहले मंच पर साथ रहते थे तो एक गाना गाते थे कि चल संन्यासी मंदिर में… इस पर सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने पलटवार करते हुए कहा कि मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है… यह सुनकर पूरा सदन ठहाकों से गूंज उठा।
गोरखपुर में सांड़ सफारी क्यों नहीं बना देते?
अखिलेश ने तंज कसा कि आज सरकार का प्रिय जानवर सांड है। इससे सड़क पर चलने वालों की जान जा रही है। मुख्यमंत्री कार्यालय का अधिकारी भी इसका शिकार बन गया। क्या नेता सदन अमेरिका की सड़कों पर सांड घूमते देखकर आए थे। इनको पकड़कर क्यों नहीं अपने जिले में सांड सफारी बना देते हैं। प्रदेश में जंगली जानवरों गुलदार, बाघ, कुत्ता, सांड से लोगों की जान जा रही है। किसान अपने खेतों में नहीं जा पा रहे हैं। सुना है कि कोई नई गन खरीदी जा रही है। गोरखपुर में इटावा से शेर भेजा गया, आपने उसकी दुर्दशा कर दी। लॉयन सफारी में जन्मे शेरनी के पांच में से चार बच्चों की जान चली गई। पौधरोपण अभियान को लेकर तंज कसा कि ये सरकार कागजों पर बहुत अच्छा पेड़ लगाती है। अब तक 133 करोड़ पौधे लगाए जा चुके हैं, लेकिन कहीं पर जंगल नहीं दिख रहा। कहीं चोरी-छिपे टमाटर के पौधे तो नहीं लगा दिए।
कांवड़िए और ताजिया वालों को एक-एक करोड़ देने की मांग
उन्होंने कहा कि बीते दिनों जिन कांवड़ियों और ताजिया निकालने वालों की जान चली गई, सरकार उनके आश्रितों को एक-एक करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता और सरकारी नौकरी दे। अन्यथा डीजीपी और प्रमुख सचिव को भेजकर उन पर फूल बरसाना, पैर धोना, खाना खिलाना फर्जी है। इस सरकार से किसानों को कोई उम्मीद नहीं करनी चाहिए। किसानों की जमीनें छीनी जा रही हैं। ग्रेटर नोएडा में किसान महीनों से आंदोलन कर रहे हैं। जब आप उनकी जमीन से मुनाफा कमाएंगे तो उनकी भी जेब को भरना चाहिए। आप जितना गरीब को दोगे, आपका खजाना फिर से उतना भर जाएगा। अयोध्या में परिक्रमा मार्ग पर स्थित जमीन का सर्किल रेट बढ़ाने की सरकार से उम्मीद की जानी चाहिए।
बिजली की समस्या के लिए सीएम जिम्मेदार
अखिलेश ने कहा कि प्रदेश में बिजली की समस्या के लिए मंत्री नहीं, मुख्यमंत्री जिम्मेदार हैं। आपने छह साल में बिजली विभाग का सत्यानाश कर दिया। इस दौरान कौन सा नया पावर प्लांट लगाया गया। आप अपनी मर्जी का डीजीपी नहीं बना सकते, बिजली का कोटा क्या बढ़वा पाएंगे। सरकार बताए कि ट्रांसमिशन लाइन और ट्रांसफार्मर के लिए कितना बजट दिया है। आपको अपने वित्त मंत्री और आईएएस पर भरोसा नहीं है, तभी दस खरब डॉलर अर्थव्यवस्था के बनाने के सुझावों के लिए कंपनी की सेवाएं ले रहे हैं। कानून-व्यवस्था बर्बाद है, मेरठ में बेडरूम में घुसकर हत्या हो रही है।
सीएम पर लगाए परिवारवाद के आरोप
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने सबसे पहले परिवारवाद शुरू किया। मुझसे पहले सांसद बने और मठ का अध्यक्ष बन डबल लाभ लिया। गोरखपुर में विश्वविद्यालय के वीसी का जो सम्मान हुआ, वो सबने देखा। जेल जाने वालों का भी सम्मान किया गया। प्रदेश के 69 हजार शिक्षकों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। ऐसा उनके पीडीए होने की वजह से हो रहा है। सुना है कि अब अस्पताल भी निजी क्षेत्र को देने की तैयारी है। डिप्टी सीएम छापामार मंत्री बनकर रह गए। शादी में जाते हैं तो तुरंत फोटो आ जाती है। अस्पतालों में सांड और कुत्तों का कब्जा हो गया है। बेड, दवाएं उपलब्ध नहीं हैं।