बरेली के सेटेलाइट पर अंतरराज्यीय बस टर्मिनल के निर्माण की अड़चन दूर हो गई है। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर बस टर्मिनल के निर्माण के लिए अब नए सिरे से ब्लू प्रिंट तैयार किया जा रहा है। मौजूदा हालत में जहां बस अड्डा है, उसके पीछे कार्यशाला की जमीन पर बस टर्मिनल का निर्माण होगा। अफसरों का दावा है कि ऐसी स्थिति में सेना के अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। मार्च 2026 से काम शुरू हो जाएगा।
सेटेलाइट बस अड्डे पर यूपी के अलावा हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, चंडीगढ़, उत्तराखंड की बसों का आवागमन होता है। इसको पीपीपी मॉडल पर विकसित करने के लिए दो साल पहले मंजूरी मिली थी। यहां दोनों ओर अति सुरक्षित सैन्य क्षेत्र होने के कारण सेना ने अनापत्ति प्रमाणपत्र नहीं दिया और काम फंस गया।
सैन्य प्रतिबंधों के तहत आती है अधिकांश भूमि
दरअसल, सैन्य क्षेत्र के आसपास चार मंजिल से ज्यादा और भूमिगत निर्माण नहीं हो सकता। ऐसे में रोडवेज के वर्कशॉप की भूमि को चिह्नित किया है। क्षेत्रीय कार्यशाला के पास 1.50 लाख वर्गमीटर से ज्यादा भूमि है। इसमें से अधिकांश भूमि सैन्य प्रतिबंधों के तहत नहीं आती।
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क्षेत्रीय प्रबंधक कार्यालय से पांच दिसंबर को रोडवेज मुख्यालय को इसकी सूचना भेजी गई है। कार्यदायी संस्था केदार आईआईटी प्राइवेट लिमिटेड की एक टीम बरेली आ गई है। बस अड्डा परिसर और वर्कशॉप की पैमाइश के साथ ही दोनों ओर के सैन्य क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए नए सिरे से नक्शा तैयार किया जा रहा है।
