British give compensation for the damage caused to crops by rats

अतीत का अलीगढ़
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


अंग्रेजों के निजाम में सबकुछ बुरा ही नहीं था। फसल बीमा की बात नए जमाने की लगती है। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि अंग्रेजी शासन किसानों को खेतों में चूहों से हुए नुकसान का मुआवजा भी देता था। यह मुआवजा लगान माफी के तौर पर हुआ करता था। 1806 में अलीगढ़ में अंग्रेजों ने स्थानीय किसानों को दो मद में मुआवजा दिया था। अंग्रेजी फौजों की रवानगी से खेतों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए 188278 रुपये लगान के माफ किए गए थे। इसी तरह चूहों से खेतों की फसलों को हुए नुकसान के बदले 60980 रुपये किसानों को लगान माफी के रूप में राहत दी गई थी। लगभग दो सौ पंद्रह साल पहले इस राहत राशि को मौजूदा समय के रुपयों में आंकें तो यह आंकड़ा बहुत ज्यादा हो जाता है।

हाथरस के दयाराम को 20 हजार और मुरसान के भगवंत सिंह को 10 हजार रुपये सालाना का मुआवजा

अंग्रेजी शासनकाल से पहले स्थानीय जमींदार और ताल्लुकेदार स्थानीय लोगों का जमकर शोषण करते थे। अंग्रेजों ने कई प्रकार के करों को समाप्त करते हुए जमींदारों और ताल्लुकेदारों को किसानों, कारोबारियों से अतिरिक्त कर उगाही खत्म कर दी थी। इससे हुए नुकसान के लिए उन्होंने जमींदारों और ताल्लुकेदारों को अच्छा खासा मुआवजा भी देना पड़ा था। हाथरस के जमींदार दयाराम को 20 हजार रुपये का मुआवजा मिला था। उन्होंने 10 हजार रुपये अतिरिक्त मुआवजे की मांग की थी।

दयाराम ने यह मुआवजा एक किसान की हैसियत से मांगा था। दयाराम की खेती-बाड़ी का दायरा कितना विशाल था इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह 1802 ईस्वी में सालाना 3,30000 रुपये लगान देते थे। लेकिन अंग्रेजी शासन काल के दस्तावेज बताते हैं कि रसूखदार लोग, मुरसान के राजा अंग्रेजों की ओर से प्रतिबंधित किए जाने के बाद भी रियाया से अवैध वसूली किया करते थे।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *