
अमर उजाला संवाद कार्यक्रम में राय व्यक्त करतीं महिलाएं
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
अलीगढ़ में तालानगरी स्थित अमर उजाला कार्यालय में शनिवार को अमर उजाला अपराजिता के तहत “नारी सशक्तिकरण : नए समाज की शुरुआत” विषय पर संवाद कार्यक्रम हुआ। अलग-अलग क्षेत्रों में कार्य करने वालीं शहर की महिलाओं ने कहा कि शिक्षा के जरिये ही महिलाएं सशक्त हो सकती हैं। शिक्षा ही वैचारिक, सकारात्मक और बुरे-भले की सोच को जन्म देती है। उन्होंने कहा कि बेटे-बेटियों में भेदभाव न करके उन्हें समान रूप से शिक्षा देना चाहिए। अगर भेदभाव नहीं किया गया, तो महिलाओं का सशक्तिकरण होने में वक्त नहीं लगेगा।
सखी वन स्टॉप सेंटर की प्रबंधक सीमा अब्बास ने कहा कि सशक्तिकरण के लिए पहली शर्त शिक्षित होना है। अगर महिलाएं सशक्त हो गईं तो सुरक्षा का भी बोध होगा। भेदभाव कर बेटियों को बेटे की तुलना में उच्च शिक्षा से वंचित रखा जा रहा है। इस सोच में बदलाव लाना होगा। बालिकाएं शिक्षा ग्रहण करेंगी, तो वह खुद-ब-खुद मजबूत हो जाएंगी।
समाजसेविका ज्योति मित्तल ने कहा कि महिलाओं को उनके मूल अधिकार मिले। महिला सशक्तिकरण में स्वतंत्रता, समानता के साथ-साथ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का महत्वपूर्ण पहलू भी शामिल हैं। इसके माध्यम से वास्तविक प्रयासों में यह निहित है कि हम लैंगिक समानता लाएं और महिलाओं के आत्मविश्वास को बढ़ाएं।
नृत्य शिक्षिका डॉ. पूनम सारस्वत ने कहा कि संस्कार, सभ्यता और समर्पण परिवार की धुरी है। बेटे-बेटी को समान अवसर देना होगा, तभी नारी सशक्तिकरण हो सकता है और एक नए समाज की शुरुआत अच्छे तरीके से हो सकती है।
उद्यमी रीना अग्रवाल ने कहा कि महिलाओं को सिर्फ गृहिणी तक की भूमिका में न रखें, बल्कि उनमें सफल उद्यमी, वैज्ञानिक, इंजीनियर, डॉक्टर, शिक्षक होने के गुणों को भी जांचे। महिलाओं ने इन क्षेत्रों में सफल होकर दिखाया है। महिलाएं शिक्षित होंगी तो सशक्त हो जाएंगी।
आभूषण व्यवसायी रीना बृजकौशली ने कहा कि नारी सशक्तिकरण के लिए केवल शिक्षा ही शर्त है। अगर बेटियां शिक्षित हैं, तो घर-परिवार में शिक्षा की लौ जलाने में निर्णायक भूमिका निभाती हैं। शिक्षा से ही महिलाएं आगे बढ़ेंगी और सशक्त होगी।
मेकअप कलाकार दीप्ति ननवानी ने कहा कि शिक्षा ही सशक्त होने का एकमात्र विकल्प है। शिक्षा की चाबी से ही सफलता के ताले खोले जा सकते हैं। बशर्ते, आगे बढ़ रही महिला को महिलाओं को सहयोग मिले। ऐसा हो गया तो महिलाओं के सशक्तिकरण को लेकर संगोष्ठी करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
फैशन डिजाइनर तारनी मजीठिया ने कहा कि पहले की अपेक्षा महिलाएं अलग-अलग क्षेत्रों में सफलता के झंडे गाड़ रही हैं। बेटे-बेटियों के बीच भेदभाव शहरों की अपेक्षा ग्रामीण अंचलों में ज्यादा है। दोनों को समान शिक्षा देनी होगी। शिक्षा से बेटियां आगे बढ़ेंगी और अपना रास्ता खुद तय कर सकेंगी।