आषाढ़ माह की अमावस्या तिथि पर उत्तर प्रदेश के प्राचीन तीर्थस्थल Shukratal (Shukteerth) में हजारों श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। सुबह की पहली किरण के साथ ही गंगा किनारे गंगा स्नान के लिए लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई। महिलाएं सिर पर पूजा की टोकरी लिए, बच्चे हाथों में जलपात्र और पुरुष शुद्ध वस्त्रों में स्नान के लिए उमड़े।
श्रद्धालुओं ने शुकतीर्थ के पवित्र घाटों पर स्नान कर दान-पुण्य किया और पूरे मन से पूजा-अर्चना में लीन हो गए। ऐसी मान्यता है कि अमावस्या के दिन शुकतीर्थ में गंगा स्नान करने से पापों का नाश होता है और पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
मंदिरों में उमड़ा भक्तों का जनसैलाब
स्नान के बाद श्रद्धालु हनुमतधाम, शिवधाम, दुर्गाधाम, शुकदेव मंदिर आदि प्राचीन मंदिरों में दर्शन के लिए पहुंचे। मंदिरों में भजन-कीर्तन, घंटा-घड़ियाल और मंत्रोच्चारण से वातावरण भक्तिमय हो उठा। कई श्रद्धालुओं ने कन्या भोज और वृक्षारोपण जैसे धार्मिक कार्य भी किए।
मंदिरों के महंतों द्वारा विशेष पूजा अनुष्ठान का आयोजन किया गया जिसमें श्रद्धालु परिवार सहित भाग लेते नजर आए।
सुरक्षा और व्यवस्थाओं में प्रशासन रहा मुस्तैद
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन और पुलिस बल ने पहले से ही सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद कर दी थी। भोपा पुलिस द्वारा घाटों पर सुरक्षा व्यवस्था के साथ-साथ गुमशुदा बच्चों के लिए सहायता केंद्र, प्राथमिक चिकित्सा सुविधा और पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित की गई।
जिला पंचायत द्वारा घाटों की साफ-सफाई, मोबाइल टॉयलेट्स की व्यवस्था और जगह-जगह सूचना केंद्र भी लगाए गए थे। प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं से अपील की गई कि वे व्यवस्था बनाए रखें और बच्चों का विशेष ध्यान रखें।
पौराणिकता से जुड़ी है शुकतीर्थ की विशेष मान्यता
शुकतीर्थ को लेकर मान्यता है कि यहीं पर श्री शुकदेव मुनि ने राजा परीक्षित को भागवत पुराण की कथा सुनाई थी। गंगा के इस घाट पर स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है और अमावस्या के दिन तो इसका विशेष महत्व होता है।
गांवों और शहरों से ट्रैक्टर ट्रॉलियों, बसों, ऑटो, बाइक और पैदल श्रद्धालु यहां पहुंचे। बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे पूरे उत्साह से इस धार्मिक अवसर में शामिल हुए।
सांस्कृतिक आयोजन और भंडारे ने बढ़ाई भक्ति की गरिमा
इस अवसर पर कई धार्मिक संस्थाओं द्वारा भंडारे, कीर्तन, रामायण पाठ, गायत्री यज्ञ जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। मंदिर प्रांगणों में प्रसाद वितरण के लिए कतारें लगी रहीं।
स्थानिक दुकानदारों और स्थानीय प्रशासन की ओर से श्रद्धालुओं के लिए खाने-पीने, पूजा सामग्री, वस्त्र और अन्य धार्मिक सामग्री की अस्थायी दुकानें भी सजाई गई थीं।
श्रद्धालुओं के अनुभव: ‘शांति, भक्ति और संतोष’
कई श्रद्धालुओं ने बताया कि वे हर अमावस्या पर यहां आते हैं और उन्हें इससे आध्यात्मिक शांति मिलती है। मेरठ से आई एक महिला श्रद्धालु सरोज देवी ने कहा, “यहां गंगा जी में स्नान करना ऐसा लगता है जैसे जीवन के सभी बोझ उतर गए।”
मुजफ्फरनगर के रहने वाले रमेश पाल ने बताया, “शुकतीर्थ की अमावस्या तो जैसे भगवान की साक्षात उपस्थिति होती है। भीड़ के बावजूद व्यवस्था अच्छी थी।”
भविष्य में और बेहतर व्यवस्था का वादा
जिला प्रशासन ने संकेत दिए हैं कि भविष्य में शुकतीर्थ को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में और भी अधिक विकसित किया जाएगा। आने वाले समय में घाटों का और सौंदर्यीकरण, पार्किंग सुविधा, स्ट्रीट लाइटिंग और इलेक्ट्रॉनिक सूचना पैनलों की व्यवस्था की जाएगी।
धार्मिक भावना से जुड़ा अवसर बना पर्यटन की प्रेरणा
शुकतीर्थ की यह अमावस्या न केवल धार्मिक रूप से बल्कि पर्यटन की दृष्टि से भी एक बड़ी घटना बनती जा रही है। स्थानीय कारोबारियों के अनुसार, इससे स्थानीय रोजगार और व्यापार को भी बढ़ावा मिला है।
इस तरह एक दिन में लाखों श्रद्धालुओं की भागीदारी ने यह साबित कर दिया कि आस्था की ताकत हर बाधा को पार कर सकती है।
आषाढ़ अमावस्या के अवसर पर शुकतीर्थ में गंगा स्नान और मंदिर दर्शन ने श्रद्धा, भक्ति और संस्कृति का अद्वितीय संगम प्रस्तुत किया। हजारों श्रद्धालुओं की सहभागिता, प्रशासनिक व्यवस्था और आध्यात्मिक वातावरण ने इस दिन को अविस्मरणीय बना दिया।