
रामायण व रामचरित मानस का नौ दिवसीय पारायण शुरू किया गया है
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राममंदिर निर्माण के लिए पांच वर्षों तक संघर्ष चला। इसमें बड़ी संख्या में कारसेवकों ने जान गंवाई। अब जनवरी में राममंदिर का उद्घाटन होने जा रहा है। ऐसे में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने बलिदानी कारसेवकों को नमन करने का निर्णय लिया है। इसके लिए पितृपक्ष में 11 दिवसीय अनुष्ठान का शुभारंभ मंगलवार को किया गया। इसका समापन 13 अक्तूबर को श्राद्ध व तर्पण के साथ होगा। इस दौरान 10 हजार दीप प्रज्ज्वलित कर भी हुतात्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी।
राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय की देखरेख में वाल्मीकि रामायण व रामचरित मानस का नौ दिवसीय पारायण शुरू किया गया है। श्रीराम जन्मभूमि पथ पर राम जन्मभूमि परिसर के निकट 51 वैदिक वाल्मीकि रामायण का पाठ कर रहे हैं। 11-11 वैदिक राम जन्मभूमि पथ और पुराने दर्शन मार्ग पर रामचरित मानस का नौ दिवसीय पारायण कर रहे हैं।
चंपत राय ने बताया कि वर्ष 1528 में आक्रमणकारियों ने राम मंदिर को ध्वस्त कर उसके स्थान पर मस्जिद बना दी थी। अब इस स्थान का समतलीकरण कर एक बार फिर राम मंदिर का निर्माण हो रहा है। इस कालखंड के बीच राम मंदिर की रक्षा व आंदोलन में लाखों संत और रामभक्तों ने अपना बलिदान दिया। 30 अक्तूबर और दो नवंबर 1990 और छह दिसंबर 1992 को राम मंदिर आंदोलन में प्राण गंवाने वालों की आत्मा की शांति के लिए भी यह अनुष्ठान किया जा रहा है। भव्य राममंदिर निर्माण के साथ ही उन तमाम दिवंगतों के तर्पण और श्राद्धकर्म का होना आवश्यक है।
सरयू तट पर होगा अनुष्ठान
अनुष्ठान के क्रम में 13 अक्तूबर को सरयू तट पर श्राद्धकर्म व तर्पण होगा। कांची काम कोटि पीठ के शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती अयोध्या आकर कारसेवकों का श्राद्ध कर्म और तर्पण कराएंगे। कर्मकांड में दिवंगतों के परिवारीजनों को भी आमंत्रित करेंगे। सैकड़ों राम भक्त भी सरयू तट पर जलांजलि देंगे। इस अवसर पर दीपदान कार्यक्रम होगा। दीपदान सेना के शहीद जवानों, कोरोना काल के मृतकों, अकाल मृत्यु से दिवंगत लोगों, कारसेवकों और मासूमों के नाम समर्पित होगा।