
बटेश्वर शिव मंदिर
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श्रीकृष्ण के चचेरे भाई 22वें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ की जन्मभूमि शौरीपुर महाभारत काल की नगरी है। इससे बटेश्वर के साथ शौरीपुर को ग्राम्य पर्यटन विकास के लिए चुना गया है। सर्वे का कार्य पूरा कर लिया गया है। कार्यदायी संस्था आदर्श सेवा समिति फिरोजाबाद के समन्वयक प्रमोद कुमार तिवारी का कहना है कि शौरीपुर के ग्राम्य पर्यटन से जुड़ने के बाद यहां आने वाले सैलानी महाभारत काल के इतिहास, सनातन के दो पंथों यदु और जैन के जुड़ाव के बारे में जान सकेंगे। साथ ही मंदिर की नक्काशी भी उन्हें लुभाएगी।
यह है इतिहास
भदावर के इतिहास के लेखक डाॅ. शिव शंकर कटारे कहते हैं कि शौरीपुर की नींव राजा सूरसेन ने रखी थी। सूरसेन के पुत्र अंधक वृष्णि के बेटे समुद्र विजय से भगवान नेमीनाथ और वासुदेव से भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। जैन सिद्ध क्षेत्र तीर्थ कमेटी के उपमंत्री विनोद जैन ने बताया कि पुराने मंदिर की जगह 4 साल पहले शौरीपुर श्वेतांबर तीर्थ ने नये मंदिर का निर्माण कराया था। जिसमें भगवान नेमीनाथ का मां शिवा देवी, पिता समुद्र विजय के साथ विराजमान हैं। वहीं शौरीपुर में 33 हजार वर्ग गज में उड़ीसा की कोणार्क शैली में बने मंदिर पर 7 करोड़ से ज्यादा खर्च होने का अनुमान है। राजस्थान के शिल्पकारों की नक्काशी से गढ़ा यह मंदिर देखने वालों को अचरज में डाल देता है।
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विरासत की ओर खींचने की योजना
ग्राम्य पर्यटन ग्रामीण संस्कृति, परंपरा और विरासत की ओर पर्यटकों को आकर्षित करने की एक योजना है। बाह में शौरीपुर, बटेश्वर के मंदिर के साथ होलीपुरा की हवेलियों को योजना में शामिल किया गया है। धार्मिक और ग्रामीण पर्यटन विकास के साथ ही पर्यटक होम स्टे योजना में देसी संस्कृति, खानपान, उत्पाद जान सकेंगे। रोजगार सृजित होंगे। सर्वे में ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित पर्यटक स्थलों के विकास का खाका खींचा गया है।
ऐसे पहुंचें-
आगरा, इटावा या शिकोहाबाद ट्रेन या बस से पहुंचें। फिर आगरा, इटावा से बस, शिकोहाबाद से टैक्सी कर ऑटो से बटेश्वर पहुंचें। यहां से 2 किमी की दूरी पर जैन तीर्थ बसा है।