After birth, the newborn did not even get the mother lap

मासूम को गोद में लेकर बैठी दादी
– फोटो : अमर उजाला

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हाथरस के सासनी में शनिवार को स्वास्थ्य विभाग की एक बड़ी लापरवाही सामने आई। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर गर्भवती की प्रसव होने के बाद महिला की तबियत बिगड़ गई। स्वास्थ्य केंद्र पर कोई सुविधा न होने के कारण स्टाफ ने महिला को जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया, जहां से गंभीर अवस्था में उसे अलीगढ़ में मेडिकल के लिए भेज दिया गया। रास्ते में महिला को ले जाते समय उसकी मौत हो गई । जन्म लेने वाले मासूम को मां की गोद भी नसीब न हो पाई।

परिजन शव को लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सासनी आ गए, वहां हंगामा करने लगे। हंगामा कर रहे लोगों की सूचना पाकर पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। पुलिस ने परिजनों को समझा बूझकर मामला शांत कराया। इसके बाद परिजन मृतक के शव को अपने साथ ले गए। 

परिजनों को समझा बूझकर शांत करती पुलिस

सासनी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर गांव जलालपुर निवासी 29 वर्षीय सलमा पत्नी उस्मान को प्रसव पीड़ा होने के कारण परिजन उसे आशा गुड्डी देवी के साथ लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आए। वहां पर बिना चिकित्सकों के महिला की स्टाफ नर्स द्वारा डिलीवरी कराई गई । जिससे महिला की हालत बिगड़ने लगी। हालत बिगड़ती देख स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया और आनन-फानन महिला को जिला अस्पताल रेफर कर दिया। यहां से महिला को गंभीर अवस्था में अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज के लिए भेज दिया गया। 

रास्ते में ले जाते समय महिला की मौत हो गई। परिजन पुनः महिला के शव को लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर आ गए और हंगामा करते हुए स्वास्थ्य विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाने लगे। यह आरोप लगाने लगे कि जब सासनी स्वास्थ्य केंद्र पर इमरजेंसी सुविधा उपलब्ध नहीं है, तो गंभीर मरीज को भती क्यों किया गया। 

महिला के प्रसव के दौरान बालक को जन्म दिया, जो स्वस्थ है। मृतक महिला की यह तीसरी डिलीवरी हुई थी। आशा गुड्डी देवी ने बताया कि स्टाफ नर्स के द्वारा महिला की डिलीवरी की गई थी। स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डॉक्टर दलवीर सिंह का कहना है कि महिला की डिलीवरी पर कोई लापरवाही नहीं की गई है। महिला पहले से ही टाइफाइड-मलेरिया से बीमार थी। महिला का ब्लड प्रेशर हाई था। महिला को नॉर्मल डिलीवरी करने के बाद जिला अस्पताल रेफर कर दिया था ।

ईश्वर का मासूम ने क्या बिगाड़ा

हर किसी की जुबां पर बस यही था कि ईश्वर का इस मासूम ने क्या बिगाड़ा था कि उसे एक दिन भी मां का प्यार एवं दुलार नहीं मिल पाया। मृतका के मासूम बच्चों का क्या कसूर था कि ईश्वर ने उनकी मां को उठा लिया। हर किसी की जुबां पर यही सवाल बार-बार आ रहा था और रो-रो कर कह रहे थे कि मां ने बच्चे को अपने आंचल से भी नहीं लगाया, जब तक ईश्वर ने उसकी मां को हमेशा के लिए उठा लिया। सलमा ने अपने पीछे 6 वर्षीय शिफा एवं 3 वर्षीय सुफियान एवं नवजात को रोते-बिलखते छोड़ा है।



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