Muzaffarnagar जनपद में शिक्षक समुदाय द्वारा अपनी लंबित समस्याओं के समाधान के लिए एक बड़ा आंदोलन खड़ा किया गया। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के बैनर तले सैंकड़ों शिक्षकों ने जनपद के महावीर चैक स्थित जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) कार्यालय के सामने अनिश्चितकालीन धरना दिया। इस धरने का उद्देश्य शिक्षकों की विभिन्न समस्याओं का समाधान कराना था, जो लंबे समय से लंबित हैं और जिनका समाधान बार-बार कहने के बावजूद अब तक नहीं हुआ।

धरने का आयोजन और नेतृत्व

यह अनिश्चितकालीन धरना उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के जिला संरक्षक एवं प्रदेश उपाध्यक्ष, शिवकुमार यादव के नेतृत्व में आयोजित किया गया। धरने की अध्यक्षता जिला अध्यक्ष डॉ. अमित कुमार जैन ने की, जबकि संचालन का कार्य जिला मंत्री अरुण कुमार ने किया। डॉ. अमित कुमार जैन ने धरने के दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि जनपद के शिक्षकों की विभिन्न समस्याएं पिछले कई महीनों से डीआईओएस और वित्त एवं लेखा अधिकारी (माध्यमिक) के कार्यालय में लंबित पड़ी हुई हैं। बार-बार इन समस्याओं के समाधान की मांग की गई, लेकिन आज तक उनका अद्यतन निराकरण नहीं हो सका, जिससे शिक्षक समुदाय में भारी रोष व्याप्त है।

शिक्षकों की समस्याएं और उनके समाधान की मांग

डॉ. अमित कुमार जैन ने बताया कि जिला विद्यालय निरीक्षक और वित्त एवं लेखा अधिकारी (माध्यमिक) के कार्यालय में कई महत्वपूर्ण मामले लम्बित हैं, जिनमें प्रमुख रूप से पदोन्नति पाए शिक्षकों का वेतन निर्धारण, पुरानी पेंशन योजना और जीपीएफ कैलकुलेशन जैसी समस्याएं शामिल हैं। इसके अलावा, जिला कोषाध्यक्ष संजय कुमार मोघा ने बताया कि नोशनल इंक्रीमेंट के 100 से अधिक प्रकरण एक साल से अधिक समय बीतने के बावजूद अब तक लम्बित हैं।

जिला मंत्री अरुण कुमार ने बताया कि 01 अप्रैल 2005 से पूर्व विज्ञापनों में शामिल लगभग 100 से अधिक शिक्षक, शिक्षिकाओं और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों का जीपीएफ कैलकुलेशन अब तक जिला विद्यालय निरीक्षक के कार्यालय से निर्गत नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि इस प्रकार की अनावश्यक आपत्तियां लगाकर फाइलों को लौटा दिया जा रहा है, जिससे कर्मचारियों को अपने वेतन और अन्य वित्तीय लाभों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।

आंदोलन में शामिल शिक्षक और उनके समर्थन

धरने में सैकड़ों शिक्षक और शिक्षिकाएं शामिल हुए, जिन्होंने अपनी समस्याओं का समाधान न होने पर अपना गुस्सा जाहिर किया। आंदोलन में प्रमुख रूप से प्रवीण कुमार शर्मा (प्रधानाचार्य), रंजन सिंह, नरेंद्र कुमार, संजीव त्यागी, संजय सिंह, योगेश तोमर, धर्मपाल, बिजेंद्र बहादुर, कुसुम सिंह, हाकम सिंह, रीना यादव, राखी कौशिक, संतोष कुमार, सुरेन्द्र पाल सिंह, सुभाष चंद्र, राजेश कुमार, हेमन्त बिश्नोई, अजय अहलावत, वीरेंद्र सिंह, बृज बिहारी धुरिया, सुनील गोयल, नमन जैन, हंस कुमार, शिव प्रताप, मुकेश कुमार, वन्दना आर्य, राजीव कुमार सहित सैकड़ों शिक्षक उपस्थित थे। सभी ने एकजुट होकर अपनी आवाज उठाई और सरकार से अपनी समस्याओं के समाधान की मांग की।

शिक्षकों के समर्थन में उभरा गुस्सा

स्मरणीय है कि यह धरना उस समय आयोजित किया गया जब जनपद के शिक्षकों में रोष बढ़ता जा रहा था। कई महीनों से उनके वित्तीय और प्रशासनिक मामलों में कोई हल नहीं निकला था, जिससे शिक्षकों का मनोबल गिरने लगा था। शिक्षक समुदाय का कहना था कि वे अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा से निभा रहे हैं, लेकिन उनका प्रशासनिक और वित्तीय मुद्दा लंबे समय से लटक रहा है, जिससे उन्हें मानसिक परेशानी हो रही है।

शिवकुमार यादव का बयान

धरने के दौरान जिला संरक्षक और प्रदेश उपाध्यक्ष शिवकुमार यादव ने कहा, “हमारे शिक्षक साथी लंबे समय से अपने मुद्दों के समाधान का इंतजार कर रहे हैं। यह धरना किसी भी प्रकार के असंतोष का परिणाम नहीं है, बल्कि यह हमारी लड़ाई है, जिसे हम न्याय मिलने तक जारी रखेंगे। सरकार और प्रशासन को यह समझना चाहिए कि शिक्षक समाज का एक अहम हिस्सा हैं, और उनके बिना कोई भी शिक्षा प्रणाली सशक्त नहीं हो सकती।”

प्रभावित शिक्षा व्यवस्था पर असर

यह धरना केवल एक छोटी सी घटना नहीं है, बल्कि यह शिक्षा व्यवस्था पर होने वाले बड़े असर की ओर इशारा करता है। शिक्षकों के वित्तीय और प्रशासनिक समस्याएं हल न होने के कारण न केवल उनका व्यक्तिगत जीवन प्रभावित हो रहा है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ सकता है। अगर शिक्षकों के मुद्दों का समाधान समय पर नहीं किया गया, तो यह शिक्षा प्रणाली के लिए और गंभीर समस्याएं उत्पन्न कर सकता है।

पुलिस और प्रशासनिक कार्रवाई की आवश्यकता

हालांकि, धरना शांतिपूर्वक आयोजित किया गया, लेकिन यदि समस्याओं का समाधान जल्दी नहीं किया जाता, तो यह आंदोलन बड़े स्तर पर फैल सकता है। शिक्षकों के द्वारा उठाए गए मुद्दे न केवल उनकी निजी समस्याओं से जुड़े हैं, बल्कि यह समाज के हर एक व्यक्ति से संबंधित हैं। इसलिए प्रशासन को इस आंदोलन को गंभीरता से लेकर शीघ्र समाधान करना चाहिए ताकि शिक्षकों की समस्याओं का निवारण हो सके।

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के धरने ने यह स्पष्ट कर दिया है कि शिक्षकों के मुद्दों का समाधान समय रहते किया जाना चाहिए। हम उम्मीद करते हैं कि सरकार और प्रशासन इस आंदोलन को गंभीरता से लेंगे और शिक्षकों की समस्याओं का शीघ्र समाधान करेंगे, ताकि शिक्षा व्यवस्था को स्थिर और सशक्त बनाया जा सके।



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