Lump sum settlement scheme: UP electricity department earned Rs 1000 crore in 20 days

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 बिजली उपभोक्ताओं के लिए शुरू की गई एकमुश्त समाधान योजना (ओटीएस) में 20 दिन में पावर कॉरपोरेशन को करीब एक हजार करोड़ का राजस्व मिला है। 27 नवंबर तक करीब 12.28 लाख उपभोक्ताओं ने पंजीयन कराया है। नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने बताया कि बिलंबित भुगतान अधिभार (सरचार्ज) में 100 प्रतिशत की छूट पाने के लिए दो दिन का समय बचा है। उपभोक्ता इन दो दिनों शत प्रतिशत लाभ ले सकते हैं। किसी उपभोक्ता को कोई समस्या हो, तो स्थानीय विद्युत कार्यालय या टोल फ्री नंबर 1912 पर सूचित करें। समाधान के लिए अतिशीघ्र ही uppcl.org पर रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। उन्होंने कहा कि बिजली चोरी पर एफआईआर या आपराधिक मामला दर्ज होने पर राजस्व निर्धारण का 35 प्रतिशत जमा करने पर ऐसे मामले समाप्त हो जाएंगे। चोरी के मामले में 65 प्रतिशत की छूट दी जा रही है।

बिजली दर कम करने के लिए उपभोक्ता परिषद ने खोला मोर्चा

 विद्युत वितरण निगमों पर उपभोक्ताओं का करीब 33122 करोड़ बकाया है। ऐसे में निगमों की ओर से 30 नवबर को वार्षिक राज्सव आवश्यकता (एआरआर) दाखिल करने से पहले उपभोक्ता परिषद ने बिजली दर घटाने के लिए मोर्चा खोल दिया है। विद्युत नियामक आयोग में जनहित प्रस्ताव दाखिल कर उपभोक्ताओं के बकाए की एवज में दरें कम करने की मांग की है।

विद्युत वितरण निगमों की ओर से 30 नवंबर तक वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरएस) दाखिल किया जाता है। इस बार करीब एक लाख करोड़ रुपये का वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) दाखिल करने की तैयारी चल रही है। ऐसे में उपभोक्ता परिषद ने मंगलवार को नियामक आयोग में जनहित प्रस्ताव दाखिल कर दिया है। इसमें बताया है कि अलग-अलग टैरिफ आदेश में उपभोक्ताओं का करीब 33122 करोड़ रुपया सरप्लस निकल रहा है। इसके एवज में बिजली दरों में कमी करने के लिए नियामक आयोग तत्काल निर्णय ले। क्योंकि यह मामला लंबे समय से विचाराधीन है। दूसरी ओर ईंधन अधिभार मद में भी वर्तमान तिमाही में लगभग 1055 करोड़ रुपए अतिरिक्त (सरप्लस) निकल रहा है। इसे लौटाने के लिए भी बिजली दरों में कमी की जाए।

आयोग दर घटाने का दे निर्देश- वर्मा

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा विद्युत नियामक आयोग की नैतिक जिम्मेदारी है कि वह उपभओक्ताओं का बिजली निगमों पर बकाया (सरप्लस) चल रहे 33122 करोड़ के एवज में बिजली दर कम की जाए। पहले उपभोक्ताओं का बकाया लौटाया जाए। निगमों को दर बढ़ाने के बारे में अभी सोचना भी नहीं चाहिए। विद्युत नियामक आयोग को रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के तहत संवैधानिक परिपाटी का निर्वहन करना चाहिए।



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