श्रावण मास की कांवड़ यात्रा 2025 में जहां शिवभक्तों की भक्ति चरम पर है, वहीं Muzaffarnagar पुलिस और प्रशासन द्वारा दिखाए गए मानवता और सेवा भाव की कहानियां भी लोगों का दिल छू रही हैं।
मुजफ्फरनगर के शिवा चौक स्थित कांवड़ कंट्रोल रूम से एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसने हर किसी की आंखें नम कर दीं। तीन दिन पहले अपने परिवार से बिछड़ा एक मासूम बालक, जो हरिद्वार से कांवड़ यात्रा में शामिल था, आखिरकार पुलिसकर्मियों की सतर्कता और संवेदनशीलता से अपने पिता से मिल सका।
🔷हरियाणा के बाल कांवड़िये की हुई पुलिस सहायता से घर वापसी
चंडीगढ़ निवासी अमनीष पुत्र कल्लू, अपने पिता के साथ श्रद्धा से ओतप्रोत कांवड़ यात्रा में निकला था। मगर भीड़ के बीच एक क्षण में ही पिता का हाथ छूट गया और अमनीष रास्ता भटक गया।
छोटा सा यह बालक तीन दिन तक सड़क पर भटकता रहा, लेकिन कुछ संवेदनशील लोगों ने उसे सहारा दिया और सुरक्षित रूप से शिवा चौक स्थित कांवड़ कंट्रोल रूम पहुंचाया।
🔷कांवड़ कंट्रोल रूम बना सहारा, पुलिस बनी संरक्षक
कांवड़ कंट्रोल रूम में तैनात नगरपालिका कर्मियों और पुलिसकर्मियों ने बालक को पूरी सुरक्षा और संवेदनशीलता से संभाला। बालक के लिए भोजन, जल और आश्रय की व्यवस्था की गई।
पुलिस ने खोया-पाया केंद्र में बालक को दर्ज कर, स्थानीय मीडिया और कंट्रोल रूम नेटवर्क के ज़रिए उसके पिता की तलाश शुरू कर दी।
तीन दिनों तक अथक प्रयासों के बाद, सोमवार को जैसे ही पिता कल्लू शिवा चौक पहुंचे, पुलिसकर्मियों की आंखें भी नम हो गईं।
🔷भावुक कर देने वाला पुनर्मिलन, श्रद्धा में छलकी संवेदनाएं
जैसे ही अमनीष ने अपने पिता को देखा, वो दौड़कर उनके गले लग गया। वहीं पिता कल्लू ने भी पुत्र को सकुशल पाकर भावुक होकर पुलिसकर्मियों का आभार प्रकट किया।
इस मार्मिक दृश्य को देखकर वहां मौजूद अन्य श्रद्धालुओं और शिवभक्तों की आंखें भर आईं। पिता-पुत्र ने एक साथ शिव चौक स्थित मंदिर में जलाभिषेक कर भगवान शिव का धन्यवाद किया और फिर शांति से अपने गंतव्य की ओर रवाना हो गए।
🔷पुलिस प्रशासन की सजगता और सेवा भाव ने रचा मानवता का उदाहरण
यह घटना कांवड़ यात्रा के दौरान पुलिस और प्रशासनिक तंत्र की मुस्तैदी और मानवता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को उजागर करती है।
ऐसी घटनाएं न केवल प्रशासन की सजगता का प्रमाण हैं, बल्कि मानवता की जीवित मिसाल भी बनती हैं, जो धार्मिक यात्रा को और अधिक आध्यात्मिक और भावनात्मक बना देती हैं।
🔷खोया-पाया केंद्र बन रहे सहारा, पुलिस की भूमिका सराहनीय
कांवड़ यात्रा जैसे भीड़भाड़ वाले आयोजनों में बच्चों और वृद्धों का बिछड़ जाना आम है, लेकिन इस बार पुलिस द्वारा बनाए गए खास कंट्रोल रूम और खोया-पाया केंद्र में इनकी खोज और सहायता संगठित रूप से की जा रही है।
शिवा चौक कंट्रोल रूम में तैनात अधिकारी और कर्मी न केवल सुरक्षा और नियंत्रण का काम कर रहे हैं, बल्कि भावनात्मक और मानवीय संवेदनाओं को भी समझते हुए सेवा दे रहे हैं।
कांवड़ यात्रा 2025 के दौरान हुए इस अनोखे पुनर्मिलन ने सभी को ये संदेश दिया कि श्रद्धा और सेवा अगर साथ हो, तो कोई भी असंभव कार्य संभव हो सकता है। पुलिस और प्रशासन की ऐसी मिसालें कांवड़ यात्रा को केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और मानवीय पर्व बना रही हैं।