
पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह
– फोटो : अमर उजाला
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पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह
– फोटो : अमर उजाला
17 दिसंबर 2025 की सर्द सुबह। बागपत जिले के गांवों से किसानों के जत्थे ट्रैक्टरों पर सवार होकर किशनपुर–बराल की ओर बढ़ रहे थे। मौका था पूर्व प्रधानमंत्री, भारत रत्न चौधरी चरण सिंह की जयंती के उपलक्ष्य में कार्यक्रम का। मंच पर उनके पोते और केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी बोलने वाले थे, लेकिन असली उपस्थिति उन किसानों की थी जिनके लिए चौधरी साहब आज भी एक जीवित स्मृति हैं।
धोती-कुर्ता, गांधी टोपी और लाठी थामे अस्सी-नब्बे साल के बुजुर्ग ठंड की परवाह किए बिना आगे बढ़ रहे थे। ‘कहां जा रहे हैं?’ सवाल के जवाब में सिर्फ इतना कहा, ‘चौधरी का जन्मदिन है।’ वेस्ट यूपी में चौधरी चरण सिंह का नाम आज भी किसानों को ऐसे खींच लाता है जैसे कोई पुकार हो, अपनी, आत्मीय। इसी सभा में शिक्षक अश्वनी तोमर मिले। चौधरी साहब का नाम लेते ही उनके चेहरे पर चमक आ गई। उन्होंने बताया, शायद 1980 के आसपास की बात होगी।
बागपत के ठाकुरद्वारा मोहल्ले में उनके पिता सूबेदार अनंगपाल सिंह के घर चौधरी चरण सिंह आए थे। गली इतनी संकरी थी कि गाड़ी नहीं जा सकती थी। खुफिया रिपोर्ट में यह दर्ज था, फिर भी पूर्व प्रधानमंत्री 200 मीटर से अधिक पैदल चलकर उनके घर पहुंचे। घर नहीं, सीधे गायों के छप्पर में चले गए। यही था चौधरी चरण सिंह का ‘प्रोटोकॉल’। बूढ़पुर गांव निवासी, जनता वैदिक इंटर कॉलेज बड़ौत के पूर्व प्रधानाचार्य चौधरी रणवीर सिंह (90 वर्ष) आज भी 1955 की वह तस्वीर याद करते हैं, जब चौधरी चरण सिंह पंडित गोविंद वल्लभ पंत के साथ गांव आए थे।