Muzaffarnagar जनपद में Chaudhary Charan Singh Jayanti के अवसर पर रविवार को एक ऐसा दृश्य देखने को मिला, जिसने राजनीति, समाज और किसान चेतना—तीनों को एक सूत्र में पिरो दिया। भारत रत्न, किसानों के मसीहा और देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की 123वीं जयंती पर जाट महासभा मुजफ्फरनगर के तत्वावधान में चौधरी चरण सिंह चौक, सर्कुलर रोड पर विधिवत वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हवन-यज्ञ का आयोजन किया गया।
धूप-दीप, वेद मंत्र और यज्ञाग्नि के बीच पूरे वातावरण में एक गूंज साफ महसूस की गई—किसान सम्मान, स्वाभिमान और अधिकारों की।


वैदिक मंत्रोच्चार और यज्ञ के साथ शुरू हुआ श्रद्धांजलि कार्यक्रम

सुबह से ही चौधरी चरण सिंह चौक पर श्रद्धालुओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और राजनीतिक प्रतिनिधियों का जमावड़ा शुरू हो गया। वैदिक पंडितों द्वारा मंत्रोच्चार के साथ यज्ञ संपन्न कराया गया, जिसमें चौधरी चरण सिंह के आदर्शों और उनके संघर्षपूर्ण जीवन को स्मरण करते हुए देश-प्रदेश की खुशहाली और किसानों के कल्याण की कामना की गई।
यज्ञ के उपरांत उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी गई। उपस्थित जनसमूह ने एक स्वर में उनके विचारों को आज भी उतना ही प्रासंगिक बताया, जितना स्वतंत्रता के बाद के शुरुआती दशकों में था।


चौक निर्माण में योगदान देने वालों का सार्वजनिक सम्मान

इस अवसर पर Chaudhary Charan Singh Jayanti कार्यक्रम को एक सामाजिक सम्मान समारोह का स्वरूप भी मिला।
जाट महासभा की ओर से—

  • चरथावल विधायक पंकज मलिक,

  • मुजफ्फरनगर नगर पालिका परिषद की चेयरमैन मीनाक्षी स्वरूप,

  • तथा लंबे समय तक चौक निर्माण के लिए शासन-प्रशासन से सतत पत्राचार करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता ज्ञान कुमार

को स्मृति-चिह्न भेंट कर सम्मानित किया गया।
वक्ताओं ने कहा कि चौधरी चरण सिंह चौक केवल एक चौराहा नहीं, बल्कि किसान चेतना और सामाजिक संघर्ष की पहचान है।


धर्मवीर बालियान का तीखा लेकिन प्रेरक संदेश

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जाट महासभा मुजफ्फरनगर के अध्यक्ष धर्मवीर बालियान ने कहा कि चौधरी चरण सिंह ने सत्ता को कभी लक्ष्य नहीं बनाया, बल्कि सत्ता को किसान और गरीब के अधिकारों की रक्षा का माध्यम बनाया।
उन्होंने कहा कि—

  • किसान को आत्मसम्मान दिलाने की राजनीति चौधरी चरण सिंह से शुरू हुई

  • आज जो किसान अपने हक की बात करता है, उसकी जड़ें उसी विचारधारा में हैं

  • मौजूदा दौर में भी उनके सिद्धांत किसानों के लिए सबसे मजबूत ढाल हैं

धर्मवीर बालियान ने युवाओं से आह्वान किया कि वे चौधरी चरण सिंह के जीवन से संघर्ष, सादगी और साहस सीखें।


किसान परिवार से प्रधानमंत्री तक का ऐतिहासिक सफर

वक्ताओं ने विस्तार से बताया कि 23 दिसंबर 1902 को मेरठ जनपद के एक साधारण किसान परिवार में जन्मे चौधरी चरण सिंह ने भारतीय राजनीति को नई दिशा दी।
स्वतंत्रता के बाद उन्होंने—

  • जमींदारी उन्मूलन

  • कर्ज़ मुक्ति कानून

  • भूमि हदबंदी

  • किसानों को कानूनी सुरक्षा

जैसे ऐतिहासिक सुधार लागू कराए।
वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, केंद्रीय गृहमंत्री, वित्त मंत्री, उपप्रधानमंत्री और 1979 में देश के प्रधानमंत्री रहे।
नाबार्ड, मंडल आयोग और अल्पसंख्यक आयोग जैसी संस्थाओं की स्थापना उनके दूरदर्शी नेतृत्व की स्थायी छाप है।


Chaudhary Charan Singh Jayanti पर किसानों के मुद्दों पर खुली चर्चा

कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने आज के कृषि परिदृश्य पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि—

  • चौधरी चरण सिंह की नीतियाँ आज भी कृषि सुधारों का आधार बन सकती हैं

  • ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किए बिना देश की प्रगति अधूरी है

  • किसान की आवाज़ को नीति-निर्माण के केंद्र में रखना ही सच्ची श्रद्धांजलि है

इस चर्चा ने कार्यक्रम को केवल स्मरण तक सीमित न रखकर भविष्य की दिशा से भी जोड़ दिया।


जाट महासभा के पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं की मजबूत उपस्थिति

कार्यक्रम में जाट महासभा मुजफ्फरनगर के कई वरिष्ठ और युवा पदाधिकारी मौजूद रहे, जिनमें प्रमुख रूप से—
महासचिव जयवीर सिंह, वरिष्ठ उपाध्यक्ष ओमकार एलावत, कनिष्ठ उपाध्यक्ष विराज तोमर, कोषाध्यक्ष राकेश बालियान, बिट्टू सिखेड़ा, युवा जिलाध्यक्ष राहुल पवार, नगर अध्यक्ष रमेश बालियान, जिला उपाध्यक्ष सतेन्द्र राठी, अनुज बालियान सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता शामिल रहे।
सभी ने एक स्वर में चौधरी चरण सिंह के आदर्शों को आत्मसात करने का संकल्प दोहराया।

मुजफ्फरनगर में Chaudhary Charan Singh Jayanti पर आयोजित यह भव्य कार्यक्रम केवल एक जयंती आयोजन नहीं रहा, बल्कि किसान चेतना, सामाजिक सम्मान और जननायक की विचारधारा को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का सशक्त मंच बन गया। वैदिक यज्ञ से लेकर विचार गोष्ठी और सम्मान समारोह तक, हर पल यह संदेश देता रहा कि चौधरी चरण सिंह का संघर्ष और दर्शन आज भी उतना ही जीवंत और प्रासंगिक है, जितना कभी था—और यही उनकी सबसे बड़ी विरासत है।



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