पंकज चौधरी पर दांव लगाने की एक खास वजह यह भी मानी जा रही है कि मौजूदा सियासी परिदृश्य में यूपी में कुर्मी चेहरे के तौर पर मूल काडर के सिर्फ दो ही बड़े कुर्मी नेता हैं। इनमें एक खुद पंकज चौधरी और दूसरे जलशक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह। हालांकि प्रदेश सरकार में वैसे तो कई अन्य कुर्मी नेता मंत्री और विधायक हैं, जिनमें से अधिकांश या तो दूसरे दलों से आए हैं या मूल काडर का होने के बावजूद कुर्मी समाज में उतने प्रभावी नहीं हैं, जितने पंकज चौधरी।
बड़े नेताओं के बाद भी खिसका वोट बैंक
यह भी माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में अनुप्रिया पटेल जैसा बड़ा कुर्मी चेहरा होने के अलावा पार्टी के भीतर करीब दो दर्जन से अधिक कुर्मी विधायकों और तमाम राज्य व क्षेत्रीय स्तर पर संगठन के तमाम पटेल नेताओं के होते हुए पार्टी का भारी कुर्मी वोट बैंक खिसक गया था। पार्टी के मंथन में देखा गया कि लोकसभा चुनाव में मिर्जापुर संसदीय क्षेत्र के कुर्मी बहुल मड़िहान और चुनार विधानसभा क्षेत्र में कुर्मी वोट एनडीए से छिटका था। मड़िहान में तो भारी नुकसान हुआ था। वहीं, वाराणसी संसदीय क्षेत्र में रोहनियां और सेवापुरी जैसे कुर्मी बहुल विधानसभा क्षेत्र के साथ ही अन्य विधानसभा क्षेत्रों में भी कुर्मी वोट घटने से पीएम मोदी की जीत का अंतर घट गया था।
शीर्ष नेतृत्व ने की समीक्षा
इसी तरह प्रयागराज से फूलपुर से विधायक रहे प्रवीण पटेल इस संसदीय सीट से चुनाव जीतने में तो सफल रहे, लेकिन अपनी ही विधानसभा क्षेत्र में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसके अलावा कुर्मी वोट बैंक के लिहाज से भाजपा के लिए सबसे मुफीद माने जाने वाले प्रतापगढ़, प्रयागराज और कौशांबी जैसे जिलों में भी लोकसभा चुनाव में कुर्मी वोट बैंक ने पार्टी से मुंह मोड़ लिया था। माना जा रहा है कि इन स्थितियों की समीक्षा के बाद ही भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने काफी चिंतन-मनन के बाद पंकज चौधरी को प्रदेश में संगठन का चेहरा बनाने का फैसला किया है।
यह भी रही वजह
सूत्रों की माने तो मंथन में देखा गया कि मूल काडर का होने के साथ ही 9 बार लोकसभा चुनाव लड़ने वाले पंकज चौधरी ने सात बार जीत हासिल की। पार्टी के सत्ता में न होते हुए भी चौधरी ने चुनाव जीतने का सिलसिला जारी रखा। दूसरा कारण यह रहा कि इस समय पार्टी में पंकज चौधरी सबसे वरिष्ठ कुर्मी चेहरा भी हैं। तीसरा कारण यह रहा कि पार्टी की नजर में यूपी में कुर्मी समाज को साधने में चौधरी ही एक ऐसे नेता हैं, जो प्रभावी साबित हो सकते हैं।




