Muzaffarnagar खतौली में एक बार फिर गन्ने की खुशबू और मिठास ने वातावरण को भिगो दिया है। त्रिवेणी इंजीनियरिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड, शुगर यूनिट में पेराई सत्र 2024-25 का विधिवत शुभारंभ हवन-पूजन के साथ हुआ। इस शुभ अवसर पर मिल परिसर में उत्सव जैसा माहौल रहा। पूजा के दौरान वातावरण में वेद मंत्रों की ध्वनि गूंजती रही और कर्मकांड के साथ ग्रामीणों ने भी पूरे उत्साह से भाग लिया।

मिल के चिकित्साधिकारी डॉ. ए.एन. पांडेय ने यजमान के रूप में पूजा-अर्चना संपन्न करवाई, जबकि पूजन कर्म जगन्नाथ झा और सुधाकर पांडेय ने पूरे विधि-विधान के साथ संपन्न किए। इस मौके पर खतौली के एसडीएम, उप गन्ना आयुक्त ओ.पी. सिंह, जिला गन्ना अधिकारी संजय सिसौदिया, सीओ राम आशीष यादव, और प्रभारी निरीक्षक दिनेश बघेल सहित प्रशासनिक अमले ने मिल के गन्ना कैरियर में गन्ना डालकर पेराई सत्र का उद्घाटन किया। यह प्रतीकात्मक क्षण किसानों और अधिकारियों दोनों के लिए गर्व का विषय बना।


गन्ना किसानों की मेहनत को मिला सम्मान

मिल परिसर में आयोजित कार्यक्रम में चेयरमैन अमित कुमार, पूर्व चेयरमैन ऋषिपाल भाटी, उपाध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार, कुलदीप राठी, डी.पी. सिंह, ओ.पी. मिश्रा, डी.पी. गुप्ता, विजय सोम, सुशांत ठाकुर और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। आसपास के गांवों से आए किसानों और ग्राम प्रधानों ने भी इस अवसर पर भारी संख्या में भागीदारी की।

मिल प्रबंधन की ओर से बताया गया कि पिछले सत्र में मिल ने 198 दिनों में 2.51 करोड़ क्विंटल गन्ने की पेराई कर देश में अग्रणी स्थान प्राप्त किया था। इस वर्ष भी लक्ष्य है कि अधिक स्वच्छ, गुणवत्तापूर्ण और उच्च रिकवरी वाले गन्ने की आपूर्ति हो ताकि चीनी उत्पादन के नए रिकॉर्ड बनाए जा सकें।


पहलवानों जैसे परिश्रमी किसान – मिठास की रीढ़

गन्ना किसानों को इस बार विशेष सम्मान दिया गया। पेराई सत्र के पहले दिन गन्ना लेकर आने वाले किसानों में से भैंसा बुग्गी से गन्ना लाने वाले ग्राम पिपलहेड़ा के घनश्याम पुत्र हरदेवा, ट्रैक्टर बुग्गी से गन्ना लाने वाले ग्राम पिपलहेड़ा के राम सिंह पुत्र काले, और ट्रैक्टर ट्रॉली से गन्ना लाने वाले ग्राम कपसाई के तेजपाल पुत्र पाले को पगड़ी पहनाकर सम्मानित किया गया। इस सम्मान समारोह ने साबित किया कि त्रिवेणी मिल केवल एक उद्योग नहीं, बल्कि किसानों के विश्वास का प्रतीक है।


शुगर इंडस्ट्री में बढ़ता उत्तर प्रदेश का दबदबा

भारत की अर्थव्यवस्था में गन्ना उद्योग की अहम भूमिका रही है। उत्तर प्रदेश, देश की सबसे बड़ी चीनी उत्पादक राज्य के रूप में अपनी अलग पहचान बनाए हुए है। यहां की मिलें न केवल स्थानीय रोजगार का प्रमुख स्रोत हैं, बल्कि ग्रामीण विकास की धुरी भी हैं। त्रिवेणी इंजीनियरिंग जैसी मिलें आधुनिक तकनीक, ऊर्जा दक्षता, और पर्यावरणीय संतुलन पर विशेष ध्यान दे रही हैं।

पिछले कुछ वर्षों में राज्य सरकार और निजी मिलों ने गन्ना किसानों को समय पर भुगतान, डिजिटल तौल पर्ची प्रणाली और स्मार्ट फार्मिंग जैसे कदमों से काफी राहत दी है। इसी कड़ी में खतौली की यह मिल भी किसानों और उद्योग के बीच बेहतर तालमेल की मिसाल बनती जा रही है।


चीनी उत्पादन में नई तकनीक की भूमिका

नई तकनीक और स्वचालित प्रणालियों के प्रयोग से इस बार मिल ने दक्षता में वृद्धि की है। ऑटोमेटेड क्रशिंग यूनिट, डिजिटल रिकवरी ट्रैकिंग सिस्टम, और वेस्ट मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी जैसी आधुनिक तकनीकों से चीनी उत्पादन में सुधार के साथ पर्यावरणीय संरक्षण भी सुनिश्चित किया जा रहा है।

मिल प्रबंधन ने बताया कि इस वर्ष का उद्देश्य न केवल उत्पादन बढ़ाना है बल्कि “Zero Waste Policy” को भी अपनाना है, जिससे पर्यावरण पर भार कम हो। इस नीति के तहत मिल से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों को बायो-फर्टिलाइजर और ऊर्जा उत्पादन के लिए उपयोग किया जाएगा।


गन्ने की खेती में नई ऊर्जा – किसानों के चेहरे पर मुस्कान

किसानों का कहना है कि त्रिवेणी मिल की पारदर्शी नीतियों और तकनीकी सहायता से अब गन्ने की खेती लाभकारी बन रही है। किसान अब गन्ने की नई किस्में, ड्रिप इरिगेशन और मिट्टी परीक्षण जैसी तकनीकों का प्रयोग कर उत्पादन बढ़ा रहे हैं।

मिल के उपाध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार ने कहा – “हमारा उद्देश्य सिर्फ उत्पादन नहीं बल्कि किसानों की समृद्धि भी है। यदि किसान खुश हैं, तो हमारी मिल भी खुश है।”


खतौली से देशभर में गूंजेगी मिठास की कहानी

मुज़फ़्फरनगर की यह ऐतिहासिक मिल न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे उत्तर भारत के लिए एक उदाहरण बन चुकी है। यहां से निकली चीनी देश के कई हिस्सों में सप्लाई की जाती है। इस बार की शुरुआत ने किसानों और मिल कर्मियों दोनों के मन में उम्मीद की नई किरण जगाई है।


खतौली से आई यह खबर सिर्फ गन्ने की पेराई की नहीं, बल्कि मेहनत, परंपरा और प्रगति के संगम की कहानी है। त्रिवेणी शुगर मिल ने एक बार फिर दिखाया है कि जब परिश्रम, तकनीक और आस्था एक साथ आते हैं, तो मिठास न केवल चीनी में बल्कि समाज में भी घुल जाती है।

 



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