Muzaffarnagar खतौली के प्रसिद्ध श्री कृष्ण मंदिर दुर्गापुरी परिसर में उस समय आध्यात्मिकता की अद्भुत छटा बिखर गई, जब यहां श्रीमद्भागवत गीता प्रकाश उत्सव एवं भगवान दत्तात्रेय परमहंस अवतार महोत्सव का दिव्य आयोजन सम्पन्न हुआ। सुबह से ही मंदिर परिसर में जिस प्रकार कीर्तन, भजन, मंत्रोच्चार और सत्संग की गूंज सुनाई दे रही थी, उससे ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो पूरा वातावरण किसी अदृश्य दिव्य ऊर्जा से भर गया हो।

यह Shri Krishna Temple festival भक्तों के लिए सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि एक ऐसा आध्यात्मिक अनुभव बन गया जिसमें भक्ति, श्रद्धा, ज्ञान और समर्पण का समुंदर उमड़ पड़ा।


पूरे मंदिर में वैदिक अनुष्ठानों की गूंज—दीप प्रज्ज्वलन ने बढ़ाई दिव्यता

कार्यक्रम की शुरुआत मंदिर प्रांगण में पारंपरिक रीति से हुई।

  • वैदिक मंत्रोच्चारण

  • पूजा-अर्चना

  • भगवान श्रीकृष्ण के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलन

इन सभी अनुष्ठानों ने पूरे स्थल को एक ऐसी दिव्य आभा से भर दिया कि श्रद्धालु स्वतः ही भक्ति-भाव में डूबते चले गए।
दीप प्रज्ज्वलन के क्षण में वातावरण में ऐसी पवित्रता व्याप्त हुई मानो पूरे परिसर में देवत्व उतर आया हो।

भक्तों ने कहा कि यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक था, बल्कि आत्मा को शांति और मन को प्रकाश देने वाला एक पवित्र अनुभव था।


प्रसिद्ध संतजनों की उपस्थिति ने बढ़ाई शोभा—धर्म, भक्ति और ज्ञान का संदेश

इस Khatauli Shri Krishna Temple festival में देश-प्रदेश के कई प्रतिष्ठित संतजन पधारे।
उनके आगमन से पूरा महोत्सव और भी भव्य स्वरूप ले आया।

मुख्य रूप से उपस्थित संत:

  • ब्रह्मानंद पूरी महाराज (नंगली धाम)

  • यशवीर महाराज (योग साधना केंद्र बपरा)

  • शुकमुनि महाराज (कठुआ, जम्मू)

  • तपस्विनी कीर्तिका बाई (फरीदाबाद)

संतजनों ने प्रेम, भक्ति, सत्कर्म, सदाचार और भगवान श्रीकृष्ण के उपदेशों को जीवन में धारण करने का महत्व बताया।
उन्होंने उपस्थित भक्तों को आशीर्वचन देते हुए कहा कि धर्म और भक्ति की राह पर चलने वाला मनुष्य सदैव सुख, शांति और कल्याण प्राप्त करता है।

मंदिर के महंत जी भी विशेष रूप से उपस्थित रहे और उन्होंने सभी संतों तथा भक्तों का हार्दिक स्वागत किया।


भजन-कीर्तन में डूबा पूरा परिसर—“हरे कृष्ण हरे राम” के जयकारों ने बनाई अपूर्व ऊर्जा

प्रवचनों के उपरांत भजन-कीर्तन का जो दिव्य दौर शुरू हुआ, उसने पूरे परिसर को एक महान आध्यात्मिक केंद्र में बदल दिया।
ढोल, मंजीरे, झांझ और तालयुक्त कीर्तन से मंदिर परिसर के हर कोने में भक्ति की धारा प्रवाहित होने लगी।

श्रद्धालु:

  • झूमते नजर आए

  • नाचते हुए प्रभु नाम का अनुष्ठान करते दिखे

  • कई भक्त संकीर्तन में इतने लीन थे कि उन्हें संसार का कोई भान ही नहीं रहा

भक्तों द्वारा उछाले गए जयकारे—
“हरे कृष्ण… हरे राम…”
“राधे-राधे…”
की अनुगूंज देर रात तक सुनाई देती रही।


सैकड़ों श्रद्धालुओं की उपस्थिति—स्थानीय लोग और समाजसेवी भी बने साक्षी

आयोजन में क्षेत्रभर से श्रद्धालु उमड़ पड़े।
मंदिर प्रबंधन के अनुसार सैकड़ों से भी अधिक भक्तों ने पूरे कार्यक्रम में भाग लिया।

इस दौरान कई प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता और सम्मानित नागरिक भी उपस्थित रहे—

  • समाजसेवी विकास मोहला

  • पूर्व जिलाध्यक्ष रूपेंद्र सैनी

  • जिला अध्यक्ष सुधीर सैनी

  • नगर अध्यक्ष प्रवीण ठकराल

  • प्रदीप शर्मा

  • अनिल नागर

  • विकास मोतला

  • अजय मोतला

  • सुमंत शर्मा

  • प्रशांत पंडित

  • विशाल शर्मा

  • मनीष कुमार

  • नितिन भटनागर

  • देवेश शर्मा

  • राजेंद्र विश्वकर्मा

  • नेपेंद, जिला प्रचारक (त्ै)

इन सभी ने भक्ति-भाव से कार्यक्रम में भाग लेकर आध्यात्मिकता का संदेश दिया।


Khatauli Shri Krishna Temple festival में विशाल भंडारे का आयोजन—भक्तों की भारी भीड़

कीर्तन समाप्त होने के बाद मंदिर प्रांगण में विशाल भंडारा आयोजित किया गया।
भक्तों को प्रेम और आदरपूर्वक प्रसाद वितरित किया गया।
भंडारे की व्यवस्था इतनी सुचारू और विशाल थी कि भक्त लगातार पंक्तियों में आते रहे और प्रसाद ग्रहण करते रहे।

यह दृश्य इस बात का प्रमाण था कि खतौली का यह आयोजन सामाजिक और धार्मिक समन्वय का एक सुंदर उदाहरण बन गया है।

भक्तों ने कहा कि:

  • भोजन में स्वाद से अधिक “भक्ति का भाव” था

  • इससे मन और आत्मा दोनों को तृप्ति मिली

  • आयोजन प्रबंधन अनुकरणीय रहा


क्षेत्र में आध्यात्मिकता की नई लहर—भक्त हुए भाव-विभोर

जिस तरह पूरे दिन मंदिर परिसर में भक्तों की ऊर्जा, संतों के आशीर्वचन और भजन-कीर्तन की लहर उठती रही, उससे यह Khatauli Shri Krishna Temple festival खतौली के लिए स्मरणीय बन गया।

कई भक्तों ने यहां संकल्प लिया कि वे अपने जीवन में—

को अपनाएंगे और समाज में सकारात्मकता फैलाने का कार्य करेंगे।


Khatauli Shri Krishna Temple festival ने क्षेत्र में आध्यात्मिकता की एक नई चमक भर दी। संतजनों के दिव्य प्रवचन, भक्तों का उमंगपूर्ण कीर्तन, और विशाल भंडारे ने इस आयोजन को एक अविस्मरणीय आध्यात्मिक पर्व में बदल दिया। इस महोत्सव ने न केवल भक्तों के मन को आनंद और शांति दी, बल्कि समाज में प्रेम, भाईचारा और धर्म का प्रकाश भी फैलाया।

 



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