खतौली/Muzaffarnagar:खेतों की हरियाली और लहराते गेहूं के बीच एक विशेष हलचल देखने को मिली जब जिलाधिकारी उमेश मिश्रा के सख्त निर्देशों पर अपर जिलाधिकारी (वि/रा) गजेन्द्र कुमार और तहसीलदार श्रीमती श्रद्धा गुप्ता खुद खेतों में उतर आए।
ग्राम सिकंदरपुर कला की मिट्टी उस वक्त गवाह बनी जब अधिकारियों ने गेहूं की फसल की क्रॉप कटिंग का औचक निरीक्षण किया। यह केवल एक औपचारिकता नहीं थी, बल्कि किसानों की मेहनत और सरकारी आंकड़ों के मिलान का असली परीक्षण।

📍 क्रॉप कटिंग: सिर्फ सर्वे नहीं, उत्पादन की असल हकीकत!

निरीक्षण के दौरान विशेष रूप से 1.0640 हेक्टेयर भूमि का चयन किया गया। खसरा और नक्शे की गहराई से जांच के बाद फसल का सर्वेक्षण किया गया। फसल की औसत उपज का आकलन करने के लिए खेत में गेहूं की कटाई करवाई गई, जिसमें अधिकारियों ने मौजूद रहकर प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित की।

ADM गजेन्द्र कुमार ने स्पष्ट किया कि क्रॉप कटिंग केवल एक तकनीकी प्रक्रिया नहीं बल्कि राज्य और केंद्र सरकार के अनाज खरीद व कृषि योजना नीति की नींव होती है। औसत उपज और उत्पादन के आंकड़े इन्हीं सर्वेक्षणों के आधार पर बनाए जाते हैं, जो भावी नीतियों और किसानों के हित में बड़ी भूमिका निभाते हैं।

⚠️ किसानों को सख्त चेतावनी: बिचौलियों से सावधान रहें!

निरीक्षण के अंत में ADM गजेन्द्र कुमार और तहसीलदार श्रद्धा गुप्ता ने किसानों को संबोधित करते हुए बेहद महत्वपूर्ण बातें कहीं। उन्होंने साफ-साफ चेतावनी दी कि:

“कोई भी किसान अपने अनाज की बिक्री किसी भी प्राइवेट व्यक्ति या बिचौलिए के कहने पर न करे। सभी किसान नजदीकी सरकारी क्रय केंद्र पर ही अनाज बेचें, ताकि उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) मिल सके।”

इस अपील के पीछे साफ संदेश था — किसान अब जागरूक बनें, और सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ उठाएं। बिचौलियों के लालच में आकर यदि फसल बेची गई, तो किसान को ना केवल नुकसान उठाना पड़ेगा बल्कि उसकी आर्थिक स्थिति भी डांवाडोल हो सकती है।

🌾 फसल बीमा: प्राकृतिक आपदा से बचाव का मजबूत कवच

निरीक्षण के दौरान मौजूद अधिकारियों ने किसानों को एक और आवश्यक सलाह दी — फसल बीमा अवश्य कराएं। बदलते मौसम और बार-बार आने वाली प्राकृतिक आपदाओं के चलते किसानों की फसल को भारी नुकसान पहुंचता है। ऐसे में फसल बीमा योजना उनके लिए सुरक्षा की एक मजबूत दीवार बन सकती है।

“फसल बीमा कराने से भविष्य में प्राकृतिक आपदाओं जैसे ओलावृष्टि, अतिवृष्टि, सूखा आदि की स्थिति में किसानों को आर्थिक सहायता मिलती है,” — श्रद्धा गुप्ता, तहसीलदार।

👨‍🌾 मौके पर ग्रामीण किसानों की प्रतिक्रियाएं

गांव सिकंदरपुर कला के किसान इस अचानक हुए निरीक्षण से हैरान तो थे, लेकिन साथ ही राहत की सांस भी ली। स्थानीय किसान हरिओम ने बताया,

“पहली बार कोई ADM और तहसीलदार खुद हमारे खेत में आकर फसल देख रहे हैं। यह भरोसा दिलाता है कि सरकार हमारी सुध ले रही है।”

किसान मुकेश कुमार ने भी कहा कि यदि सरकार वाकई फसल का सही मूल्य दिलाए और समय पर भुगतान करे, तो किसान मजबूर नहीं, मजबूत बन सकता है।

📊 गेहूं उत्पादन की रिपोर्ट: उत्तर प्रदेश में क्या है स्थिति?

उत्तर प्रदेश देश का प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्य है। साल 2024-25 में भी अनुमान है कि प्रदेश में रिकॉर्ड उत्पादन हो सकता है, लेकिन सही आंकड़ों और समय पर क्रॉप कटिंग के बिना यह जानकारी अधूरी मानी जाती है।
खतौली जैसे ब्लॉकों में इस तरह के निरीक्षण प्रदेश भर में एक उदाहरण बन सकते हैं, यदि इन्हें नियमित रूप से और पारदर्शी तरीके से किया जाए।

🛑 जिम्मेदार अधिकारियों की मौजूदगी

निरीक्षण के दौरान केवल ADM और तहसीलदार ही नहीं बल्कि राजस्व निरीक्षक, क्षेत्रीय लेखपाल और कृषि विभाग के अन्य अधिकारी भी मौजूद थे। इस बात से स्पष्ट संकेत मिला कि शासन अब कागजी कार्रवाई से आगे बढ़कर ज़मीनी स्तर पर एक्शन लेने के मूड में है।

उत्तर प्रदेश में प्रशासन यदि इसी तरह जागरूकता और सख्ती से हर गांव में पहुंचकर किसानों की समस्याओं को समझेगा, तो आने वाले समय में किसान आत्मनिर्भर बनेंगे। खतौली के इस उदाहरण को प्रदेश भर में दोहराने की आवश्यकता है।

क्या आप अपने खेत की फसल का बीमा करवा चुके हैं?



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