
प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : अमर उजाला
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युद्धरत रूस ने अपने यहां फलों और सब्जियों की आवक बढ़ाने के लिए कीटमुक्त क्षेत्र के उत्पादन की बाध्यता का प्रतिबंध हटा लिया है। इसके बावजूद यूपी से वहां फल व सब्जियों का निर्यात काफी कम हो पाया है। दूरी अधिक होने के कारण वहां माल भेजने में ज्यादा समय लगता है और खर्च भी अधिक आता है। इसलिए कारोबारी रूस को फल-सब्जी बेचने से हाथ खड़े कर रहे हैं।
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के महाप्रबंधक ने पिछले साल नवंबर में कृषि निर्यात विभाग को भेजे पत्र में कहा था कि रूस ने कई फलों और सब्जियों के निर्यात पर कीटमुक्त क्षेत्र में उगाए जाने की शर्त में ढील दी है। इसके तहत केला, पपीता, अनानास, संतरा समेत अन्य फलों के साथ बैंगन, भिंडी, कद्दू, करेला, हरी मिर्च, प्याज, सोयाबीन आदि सब्जियों पर निर्यात की छूट होगी।
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इसके बाद प्रदेश के कृषि विदेश व्यापार एवं निर्यात विभाग ने निर्यातकों से संपर्क साधना शुरू किया था। विभाग के उप निदेशक सुग्रीव शुक्ला के मुताबिक विभाग फल और सब्जी के निर्यात पर आने वाले किराए में 25 प्रतिशत का अनुदान देता है। ऐसे में इस समय निर्यातकों के लिए काफी अच्छा मौका था।
वर्ष 2022-2023 में यूपी से सिर्फ 1.11 करोड़ रुपये के फलों, सब्जी और अन्य उत्पाद रूस को भेजे गए। जबकि वर्ष 2020-2021 और 2021-2022 में यहां से रूस को फल और सब्जी निर्यात नहीं हुआ था।
निर्यात में खर्च ज्यादा, बचत कम
भारत से भूमध्य सागर के रास्ते रूस तक की दूरी लगभग 21 हजार किलोमीटर है। इसे तय करने में एक जहाज को 48 दिन लगता है। ऐसे में फल-सब्जियों के खराब होने की आशंका अधिक रहती है। दूसरी ओर हवाई मार्ग से खर्च अधिक आता है। निर्यातक रईस अहमद का कहना है कि रूस फल भेजने में खर्च ज्यादा और बचत कम होती है। उदाहरण के तौर पर दुबई यदि आम भेजा जाए तो 150 रुपये प्रति किलो पड़ता है और वहां दाम भी इससे ज्यादा मिलता है। जबकि रूस भेजने पर खर्च दोगुना हो जाता है और दाम आधा ही मिलता है। उप निदेशक का कहना है कि निर्यात बढ़ाने के लिए हमारा प्रयास जारी रहेगा।
वर्ष 2022-23 में यूपी से रूस को निर्यात
उत्पाद — मात्रा — रकम
प्रसंस्कृत सब्जी — 90 किलो — 2 लाख रुपये
आम — 140 किलो — 1 लाख रुपये