आगरा के बल्केश्वर पार्क में लगे खादी ग्रामोद्योग महोत्सव में जूट की चप्पल की स्टाल लगी है। इसमें पूरी तरह इको फ्रेंडली लकड़ी के छिल्कों और जूट से बनी करीब 20 से 25 तरह की चप्पल और सेंडल है। उसमें किफायती कीमत पर तरह-तरह की डिजाइन के स्लीपर हैं। इनको महिलाएं बहुत पसंद कर रही हैं।

उत्तर प्रदेश खादी तथा ग्रामोद्योग बाेर्ड की ओर से आयोजित खादी एवं ग्रामोद्योग महोत्सव में ऋषिकेश से आए अमन गुप्ता ने जूट चप्पल की स्टाॅल लगाई हैं। उन्होंने बताया कि चार साल पहले उन्होंने ऐसी स्लीपर तैयार करने के बारे में सोचा था, जो प्रयोग के बाद पर्यावरण को नुकसान ना पहुंचाए और लोगों को चलने में आराम दें। शुरुआत में जूट से चप्पल के नीचे का तला बनाना शुरू किया। तब तक नीचे का हिस्सा और ऊपर की तनी रबड़ की ही होती थी।

इसके कुछ दिन बाद लकड़ी की छिलकन से तनी को भी बनाने लगे। बाजार में भी खूब मांग आने लगी। पहले महिला घरों में प्रयोग के लिए ही ले जाती थी। इसके बाद उन्होंने जूट और लकड़ी से कई तरह की डिजाइन की चप्पल और सेंडल बनाने लगे। अब महिला उन्हें शादी समारोह में भी पहनकर जाना पसंद करती हैं। इनकी कीमत भी 250 से 400 रुपये तक हैं।

पैरों में रक्त संचार भी रहता है अच्छा

जूट से बनी चप्पल और सेंडल पैरों के लिए आरामदायक हैं। गर्मियों में रबड़ की तरह बहुत गर्म नहीं होती हैं। इनमें पैर ठंडे रहते हैं। उनमें अधिक पसीना नहीं आता। पैरों का रक्त संचार भी अच्छा रहता है।

 



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