गाजियाबाद में वकीलों के साथ हुई अभद्रता का विरोध पूरे प्रदेश में फैल चुका है। मुजफ्फरनगर जिले के कस्बे Jansath में वकीलों ने अपनी आवाज उठाने के लिए तहसील और कचहरी में जोरदार प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में दो दर्जन से अधिक वकीलों ने हिस्सा लिया, जिन्होंने गाजियाबाद में न्यायधीश द्वारा वकीलों के साथ की गई अभद्रता और लाठीचार्ज का विरोध किया।
गाजियाबाद में हुई घटना ने प्रदेशभर के वकीलों को आंदोलित कर दिया है। जहां एक ओर गाजियाबाद के वकील अपने हक के लिए सड़कों पर उतर आए हैं, वहीं दूसरी ओर मुजफ्फरनगर जिले के जानसठ में भी इस मामले का विरोध करने के लिए वकीलों ने मोर्चा खोल दिया है। इस विरोध में स्थानीय वकीलों ने न केवल तहसील और कचहरी के परिसर में प्रदर्शन किया, बल्कि पानीपत-खटीमा राजमार्ग को कुछ देर के लिए जाम भी कर दिया। इस विरोध प्रदर्शन ने इलाके में हलचल मचा दी है और वकीलों के बीच एकजुटता का प्रतीक बनकर उभरा है।
वकीलों ने आरोप लगाया कि गाजियाबाद में जनपद न्यायधीश ने उनके साथ अभद्रता की और पुलिस को बुलाकर उन पर लाठी चार्ज भी कराया। वकीलों के मुताबिक, इस घटना ने न्यायपालिका और वकीलों के बीच एक गहरी खाई उत्पन्न कर दी है, जिसे पाटना अब मुश्किल होता जा रहा है। यही वजह है कि पूरे प्रदेश के वकील इस घटना के विरोध में एकजुट हो गए हैं।
दीपेश गुप्ता एडवोकेट ने इस प्रदर्शन की जानकारी दी। उन्होंने बताया, “गाजियाबाद में जो हुआ, वह अस्वीकार्य है। न्यायपालिका और वकीलों के बीच सम्मान का होना चाहिए, लेकिन जिस तरह से वहां के जनपद न्यायधीश ने वकीलों के साथ अभद्रता की और लाठीचार्ज कराया, वह न केवल हम वकीलों के लिए अपमानजनक है, बल्कि यह न्यायपालिका की गरिमा को भी ठेस पहुंचाने वाला है।” उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेशभर के वकील इस मामले में विरोध जता रहे हैं और जानसठ में भी हम सभी वकील इस घटना का विरोध कर रहे हैं।
कचहरी परिसर में हुआ बड़ा विरोध प्रदर्शन
वकीलों का यह प्रदर्शन एक सामान्य विरोध से कहीं अधिक था। हजारों की संख्या में वकील एकजुट होकर सड़कों पर उतर आए और जोरदार नारेबाजी की। जानसठ में यह प्रदर्शन इतना उग्र हो गया कि वकीलों ने सड़क पर बैठकर राजमार्ग को कुछ समय के लिए जाम कर दिया। उनकी मांग थी कि गाजियाबाद में वकीलों के साथ हुई इस अभद्रता और पुलिस कार्रवाई के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि न्यायपालिका के अधिकारियों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई एक बार की सजा नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हो।
इस विरोध के दौरान वकीलों ने एक पैदल मार्च भी निकाला, जिससे उनका गुस्सा और नाराजगी साफ तौर पर सामने आई। इस दौरान, वकीलों ने सख्त शब्दों में यह कहा कि यदि गाजियाबाद के न्यायधीश के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं की जाती है, तो प्रदेशभर में बड़े पैमाने पर विरोध होगा। उनका यह प्रदर्शन न केवल गाजियाबाद, बल्कि पूरे प्रदेश के वकीलों को एकजुट करने का संदेश दे रहा था।
वकीलों का संघर्ष: नारेबाजी और धरना प्रदर्शन
वकील विभिन्न स्लोगन और नारों के साथ सड़कों पर उतरे, जिसमें मुख्य रूप से “जज और वकील की सम्मानजनक स्थिति होनी चाहिए”, “हमारा संघर्ष जारी रहेगा” जैसे नारों का प्रयोग किया गया। इन नारों के माध्यम से वकीलों ने न केवल गाजियाबाद में हुई घटना के खिलाफ अपना विरोध जताया, बल्कि न्यायपालिका और वकील के बीच एक स्वस्थ और सम्मानजनक संबंध की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
क्या है पूरी घटना?
यह मामला उस समय सामने आया जब गाजियाबाद में एक न्यायधीश ने वकीलों के साथ अभद्र व्यवहार किया और पुलिस को बुलाकर उन पर लाठीचार्ज करवा दिया। इस घटना ने प्रदेशभर के वकीलों को आक्रोशित कर दिया और उन्होंने अपने अधिकारों की रक्षा के लिए विरोध शुरू कर दिया। वकीलों का आरोप है कि गाजियाबाद के जनपद न्यायधीश ने बिना किसी वजह के वकीलों के साथ बदसलूकी की और उनका अपमान किया। इसके बाद, वकीलों ने इस घटना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया और विभिन्न जिलों में धरने और हड़ताल का आयोजन किया गया।
राज्यभर में गुस्सा, गाजियाबाद के खिलाफ लामबंदी
गाजियाबाद में हुई इस घटना के बाद प्रदेशभर के वकील एकजुट हो गए हैं और उन्होंने अपने हक के लिए लड़ाई शुरू कर दी है। जानसठ में वकील इस विरोध में शामिल होने के लिए एकत्रित हुए हैं और उनका कहना है कि इस घटना को बिना उचित कार्रवाई के नहीं छोड़ा जाएगा। वकीलों का यह मानना है कि यदि न्यायपालिका के भीतर इस तरह के कृत्य होते रहे, तो पूरे प्रदेश में वकील अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए मजबूर होंगे।
वकीलों की एकजुटता और आने वाली चुनौतियां
गाजियाबाद के इस विवाद ने यह दिखा दिया है कि वकील एकजुट होकर किसी भी अन्याय का विरोध करने के लिए तैयार हैं। इस घटना ने प्रदेशभर के वकीलों को एकजुट कर दिया है और अब यह देखना होगा कि इस पर न्यायपालिका क्या कदम उठाती है। साथ ही, वकीलों ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगर उनके साथ कोई अन्याय हुआ, तो वे भविष्य में भी अपने अधिकारों के लिए इस तरह के विरोध प्रदर्शन करेंगे।
यह घटनाक्रम केवल एक गाजियाबाद की घटना नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के वकीलों के लिए एक चेतावनी है कि अगर उनके साथ ऐसा सुलूक किया जाएगा, तो वे अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर उतर आएंगे। यह घटना वकीलों और न्यायपालिका के बीच एक नई बहस को जन्म देती है और यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आने वाले दिनों में इस पर क्या कार्रवाई होती है।