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नगर निगम में स्मार्ट मोबाइल फोन से हाजिरी लगाने की व्यवस्था में बड़ा गोलमाल सामने आया है। करीब चार महीने से सात हजार सफाई कर्मचारियों की हाजिरी इस व्यवस्था से लगनी बंद है, फिर भी हर महीने करीब 10 लाख रुपये बिल आ रहा है। पिछले साल जून से इस साल मई तक का बिल भी जमा नहीं किया गया। इससे यह बढ़कर 1.46 करोड़ रुपये पहुंच गया है।
कम कर्मचारी लगाकर अधिक का भुगतान लेने के कार्यदायी संस्थाओं के फर्जीवाड़े पर अंकुश लगाने के लिए दो साल पहले नगर निगम ने स्मार्ट मोबाइल फोन से हाजिरी लगाने की व्यवस्था शुरू की थी। इसके लिए पहले चरण में सात हजार नए मोबाइल फोन खरीदे गए थे। एक स्मार्ट मोबाइल फोन करीब सात हजार रुपये का पड़ा था।
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उस समय करीब 10 हजार सफाईकर्मी कार्यदायी संस्थाओं के जरिये तैनात थे। तब कहा गया था कि दूसरे चरण में बचे कर्मचारियों के लिए मोबाइल फोन खरीदे जाएंगे। पर, दूसरी किस्त में मोबाइल फोन खरीदे जाते उससे पहले ही हाजिरी को लेकर फर्जीवाड़े सामने आने लगे। इसको लेकर विरोध होने लगा। नगर निगम में काम करने वाले कार्यदायी संस्थाएं ज्यादातर नेताओं, अफसरों, कर्मचारियों के करीबियों की हैं। जिन तत्कालीन अफसरों ने यह व्यवस्था शुरू की थी, उनके जाने के बाद यह आगे नहीं बढ़ी।
कार्यदायी संस्थाओं के पैसे से खरीदे गए थे मोबाइल
दो साल पहले जब स्मार्ट मोबाइल फोन खरीदे गए, तो उस समय तत्कालीन अधिकारियों ने इसके लिए पैसा कार्यदायी संस्थाओं से ही लिया था। ऐसे में जिस संस्था के पास जितने सफाई कर्मचारी लगाने का ठेका था उसने उतने स्मार्ट मोबाइल फोन लिए थे। उस समय नगर निगम प्रशासन कार्यदायी संस्थाओं को लॉजिस्टिक मद में पांच प्रतिशत पैसा अतिरिक्त देता था। लॉजिस्टिक मद से कार्यदायी संस्थाओं को सफाई कार्य में काम आने वाली झाड़ू, पंजा, डलिया, ठेलिया आदि खरीदने के लिए पैसा दिया जाता था। इसी मद से मोबाइल फोन का बिल जमा करना था। करीब एक साल पहले जांच में सामने आया कि कार्यदायी संस्थाएं लॉजिस्टिक मद से पैसा तो ले रही हैं, लेकिन बिल नहीं जमा कर रही थीं। इस पर तत्कालीन नगर आयुक्त अजय द्विवेदी ने लॉजिस्टिक मद बंद कर दिया था। करीब आठ महीने पहले लॉजिस्टिक मद को कुछ बदलावों के साथ फिर शुरू किया गया।
स्मार्ट फोन से हाजिरी पर उपस्थिति होती थी 60 से 70 फीसदी, अब 90 से 95 प्रतिशत
स्मार्ट फोन से हाजिरी लनाने की व्यवस्था ठप होने के बाद पहले की तरह ही मैनुअल हाजिरी लग रही है। अब सफाई सुपरवाइजर और सफाई निरीक्षक हाजिरी लगा रहे हैं। जानकारों का कहना है कि जब से ये हाजिरी लगा रहे हैं 90 से 95 प्रतिशत कर्मचारी उपस्थित रहते हैं, जबकि स्मार्ट फोन से हाजिरी लगने पर अधिकतम उपस्थिति 60 से 70 प्रतिशत ही होती थी। ऐसे में मैनुअल सिस्टम शुरू होने के बाद ठेकेदार से लेकर ऊपर तक सबकी मौज है।
सेवा प्रदाता कंपनी गलत बिल भेज रही है
नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह का कहना है कि स्मार्ट मोबाइल फोन से हाजिरी लगना बंद होने पर सिम डिएक्टिवेट करने के लिए सेवा प्रदाता कंपनी को कहा गया था। कंपनी गलत बिल भेज रही है। उससे बात की जाएगी। कुछ बिल पुराना है, उसका जांच के बाद भुगतान किया जाएगा। स्मार्ट फोन से हाजिरी में साॅफ्टेवयर से जुड़ी शिकायतें आ रहीं थीं। इसी वजह से व्यवस्था को बंद किया गया। इधर, जेम पोर्टल से सफाई का काम देने के लिए टेंडर निकाला गया था जिसमें ठेकेदार को डिजिटल हाजिरी की व्यवस्था करनी थी। टेंडर खुलने से पहले ही मामला कोर्ट में चला गया।