Muzaffarnagar। एक छोटे से स्थानीय मुद्दे से उठी चिंगारी अब भड़कती आग में तब्दील होती दिख रही है। मुजफ्फरनगर के टाउन हॉल पर चार दिनों से चाट विक्रेताओं द्वारा दिया जा रहा धरना अब धीरे-धीरे सियासी रंग लेने लगा है। जहां एक तरफ रोजी-रोटी के संकट से जूझ रहे गरीब परिवार अपनी आवाज़ सरकार तक पहुँचाने की जद्दोजहद कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर अब इस संघर्ष को क्षेत्रीय और राष्ट्रीय नेताओं का समर्थन मिलना शुरू हो गया है।
🚩 टिकैत का समर्थन- “जब सत्ता रोजगार छीनने लगे तो विरोध जरूरी है”
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत खुद धरनास्थल पर पहुंचे और चाट विक्रेताओं को अपना समर्थन दिया। टिकैत ने मंच से तीखा हमला बोलते हुए कहा कि “यह वही सरकार है जो आत्मनिर्भर भारत की बात करती है, लेकिन जमीन पर हकीकत ये है कि गरीब का ठेला तक छीनने में जुटी है।” उन्होंने चाट विक्रेताओं को किसान आंदोलन की तर्ज़ पर आंदोलन तेज करने की सलाह दी और चेतावनी दी कि अगर प्रशासन ने गरीबों की सुनवाई नहीं की तो यह आग पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में फैल सकती है।
🛑 ललित मोहन शर्मा की हुंकार: “शांति से कभी क्रांति नहीं आती”
धरना स्थल पर पहुंचे शिवसेना के पश्चिम उत्तर प्रदेश प्रमुख और क्रांतिसेना के संस्थापक अध्यक्ष ललित मोहन शर्मा ने भी सत्ताधारी दल पर सीधा हमला बोला। उन्होंने सवाल उठाया कि चुनाव के वक्त हिन्दू हित की बात करने वाले प्रतिनिधि आज गरीब हिंदू चाट विक्रेताओं के उत्पीड़न पर चुप क्यों हैं?
“यह कैसी रामराज्य की कल्पना है, जहाँ आम नागरिक को अपने अधिकार के लिए धरने पर बैठना पड़े?” – ललित मोहन ने कहा।
💥 “हमेशा के लिए सड़क से उठेंगे नहीं” – बड़ा आंदोलन तय
ललित मोहन ने चाट विक्रेताओं को विश्वास दिलाया कि अगर उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं हुईं, तो आने वाले दो दिन में एक बड़े जनांदोलन की शुरुआत की जाएगी। उन्होंने कहा, “अगर सरकार नहीं मानी तो ये टाउन हॉल नहीं, नया जन्तर-मंतर बनेगा।”
धरने में मौजूद क्रांतिसेना के महासचिव श्री संजीव शंकर ने भी तीखी बात कही:
“जब राम राज्य में भी हक के लिए संघर्ष करना पड़े, तो ये शासन नहीं, शोशण है।”
📍 कौन-कौन थे शामिल – मज़बूत हो रही एकजुटता
धरना स्थल पर उपस्थिति में क्रांतिसेना व शिवसेना के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की लंबी सूची रही। कुछ प्रमुख नाम इस प्रकार हैं:
-
महासचिव संजीव शंकर
-
महानगर प्रमुख देवेंद्र चौहान
-
जिला कार्यकारिणी के अनुज चौधरी, संजीव वर्मा, अमित गुप्ता
-
सोनू पाहीवाल, राजन वर्मा, उज्ज्वल पंडित, ललित रूहैला
-
शैलेंद्र विश्वकर्मा, राकेश धीमान, राजेंद्र तायल
-
हेम कुमार कश्यप, रोहित धीमन, रक्षित धीमान, विपुल गुप्ता
-
जॉनी पाल, अक्षत धीमान, लकी सैनी, आयुष धीमान, बबलू ठाकुर
🧂 चाट बाजार की सियासत – एक बड़ा वोट बैंक?
मुजफ्फरनगर का यह आंदोलन अब सिर्फ रोजगार या चाट ठेलों तक सीमित नहीं रहा। जानकारों का मानना है कि यह सड़क पर बैठा गरीब तबका, आज सियासत के लिए एक बड़ा वोट बैंक बनता जा रहा है।
इस आंदोलन में जितनी बड़ी संख्या में परिवार शामिल हैं, उतनी ही बड़ी संख्या में इनका चुनावी प्रभाव भी माना जा रहा है।
📣 पुलिस और प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
चाट विक्रेताओं के मुताबिक, पिछले चार दिनों से प्रशासन का कोई बड़ा अधिकारी मिलने नहीं आया। वहीं, नेताओं के आ जाने के बाद प्रशासन की चिंता बढ़ती दिख रही है।
एक चाट विक्रेता ने कहा, “अगर हम अपराधी होते तो आज हम जेल में होते, लेकिन हम मेहनत की कमाई कर रहे हैं और उसी को छीनने की कोशिश हो रही है।”
🧨 आगे क्या? आंदोलन का विस्तार तय!
धरने में शामिल लोग अब सिर्फ अपनी बात प्रशासन से कहने के लिए नहीं, बल्कि सरकार को चुनौती देने के लिए भी तैयार हो चुके हैं।
अब आंदोलन की रणनीति कुछ इस प्रकार है:
-
दो दिन में बड़ा जन प्रदर्शन
-
जिले के अन्य व्यापारियों और मजदूर वर्ग को जोड़ना
-
सरकार की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया ना आने पर रेल रोको या चक्का जाम आंदोलन
📢 क्या यह आंदोलन बनेगा मुजफ्फरनगर का नया किसान आंदोलन?
राकेश टिकैत की उपस्थिति इस आंदोलन को किसान आंदोलन जैसी रणनीति की दिशा में मोड़ती दिख रही है। धरनास्थल पर बैनर, नारे और भीड़ की ऊर्जा यह इशारा कर रही है कि यदि सरकार ने जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो यह चिंगारी राज्यभर में फैल सकती है।
📌 चेतावनी:
टिकैत, ललित मोहन और क्रांतिसेना की सक्रियता से यह साफ हो गया है कि यह आंदोलन अब थमने वाला नहीं है। चाट विक्रेताओं का संघर्ष अब एक बड़ा जनांदोलन बनता जा रहा है और सरकार के लिए यह अग्निपरीक्षा साबित हो सकता है।