My dreams died...I couldn't even get treatment on time.

डीएवी की छात्रा गौरी मिश्र के मौत के बाद मर्चरी पर रोती मां।
– फोटो : अमर उजाला।

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बेटी गौरी नहीं…मेरे अरमानों की मौत हो गई है। मैं, गीता प्रेस में नौकरी करता हूं। बेहतर शिक्षा के लिए ही परिवार लेकर गोरखपुर आया। बेटी भी पढ़ने में होनहार थी, सोचा था कि एक दिन वह कुछ ऐसा करेगी कि पूरे परिवार का सिर गर्व से उठ जाएगा, लेकिन आज लापरवाही से उसकी मौत हो गई है।

पिता राजेश मिश्रा कहते हैं, मुझे छात्रों ने बताया है कि बेहोश होने के बाद उसे समय से गाड़ी नहीं मिली। अंत में छात्र बाइक से उसे लेकर गए। शायद बेटी पहले अस्पताल पहुंची होती तो उसकी जान बच सकती थी। यह मलाल जिंदगी भर रहेगा कि समय से बेटी को इलाज भी नहीं मिल पाया।

राजेश मिश्रा बताते हैं, बड़ा बेटा कौशलेश मिश्रा ग्रेजुएशन के बाद सिविल सर्विस की तैयारी कर रहा है। बेटी गौरी ने इंटर महाराणा प्रताप बालिका इंटर कॉलेज से किया था। इसके बाद वह बीएससी में दाखिला ली थी। सुबह अभी घर से हंसी खुशी निकली थी। उसे कोई बीमारी भी तो नहीं थी।

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