
प्रतीकात्मक तस्वीर
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उत्तर प्रदेश के हर व्यक्ति तक अगले सात साल में परिवार नियोजन के साधन पहुंचाने की तैयारी है। कोशिश है कि इस बीच प्रजनन दर घटकर 1.9 पर आ जाए। इसके लिए कई अभियान चलाए जाएंगे।
वर्ष 2015-16 तक महिलाओं की प्रजनन दर 2.7 थी, जो 2019-20 के बीच घटकर 2.4 पर आ गई है। भारत की औसत प्रजनन दर 2.0 है। अब राज्य सरकार की कोशिश है कि इसे वर्ष 2030 तक घटाकर 1.9 पर ले आया जाए। इसके लिए हर व्यक्ति तक परिवार नियोजन के साधन पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। अभी ये साधन 12.9 फीसदी तक ही पहुंच पा रही है।
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इसके लिए हर माह की 21 तारीख को मनाए जा रहे खुशहाल परिवार दिवस को प्रभावी बनाने की रणनीति अपनाई जा रही है। इसमें जिस दंपती के तीन या तीन से अधिक बच्चे हैं, उन्हें समझाकर परिवार नियोजन के स्थायी साधन अपनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इसी तरह जिनका विवाह एक साल के अंदर हुआ है, उन्हें लक्ष्य बनाकर आशा और एएनएम गर्भनिरोधक गोलियां, कंडोम और कॉपर टी सहित अन्य साधनों के बारे में विशेष प्रशिक्षण देंगी।
10 साल में 4,956 को दिया गया मुआवजा
प्रदेश में परिवार नियोजन के तहत नसबंदी से जुड़े कार्यक्रम के फेल होने पर मुआवजा देने का प्रावधान है। इसके तहत वर्ष 2013 से मार्च 2023 के बीच 5,908 लोगों ने मुआवजा का दावा किया। जांच के बाद 952 लोगों के दावों को अस्वीकार कर दिया गया। राज्य स्तरीय परिवार नियोजन इंडेमिनिटी उप समिति ने 4,956 लोगों को मुआवजा देने का निर्देश दिया।
योजना के तहत नसबंदी के कारण सात दिन के अंदर मृत्यु होने पर परिजनों को चार लाख का मुआवजा दिया जाता है। इसी तरह आठ से 30 दिन के अंदर मृत्यु होने पर एक लाख, नसबंदी के बाद गर्भधारण होने पर 60 हजार और नसबंदी के बाद किसी तरह जटिलता होने पर 50 हजार रुपये दिया जाता है।