आगरा में बढ़ते प्रदूषण के कारण स्वस्थ लोगों को भी अब दिक्कत होने लगी है। इनको सीने में जकड़न, नाक में एलर्जी, खराश और बेचैनी की परेशानी मिल रही है। अस्थमा अटैक के अलावा लकवा की भी खतरा बढ़ गया है। एसएन मेडिकल कॉलेज की ओपीडी और इमरजेंसी में मरीज आ रहे हैं।

वक्ष एवं क्षय रोग विभाग के डॉ. गजेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि मौसम में सुबह शाम स्माॅग बढ़ रहा है। वाहनों के धुएं में कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड सहित कई हानिकारक तत्वों की मात्रा भी बढ़ गई है। पीएम-2.5 कण ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। ये सांसों की जरिए फेफड़ों और नलिकाओं में पहुंच रहे हैं। इससे तेज खांसी के साथ ही सांस उखड़ रही है। इसके कारण अस्थमा अटैक के 5 मरीज भर्ती भी किए हैं। लंबे समय तक प्रदूषित क्षेत्रों में रहने से स्वस्थ लोगों को नाक की एलर्जी, खराश, बार-बार छींक आना, सिर में दर्द, सीने में जकड़न की परेशानी मिल रही है।

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ओपीडी में ऐसे 15 फीसदी नए मरीज रोजाना आ रहे हैं। एसएन के न्यूरोसर्जरी विभाग के डॉ. मयंक अग्रवाल ने बताया कि रक्तचाप और मधुमेह के मरीजों के फेंफड़े पर सांस नलिकाओं में धूल-धुआं पहुंचने से संक्रमण की स्थिति बनती है। इससे मस्तिष्क को जरूरी ऑक्सीजन प्रभावित होती है। इससे लकवा का खतरा दोगुना बढ़ जाता है। इमरजेंसी में इसके मरीज आ रहे हैं।

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इन बातों का रखें ध्यान:

– निर्माण स्थलों को ढककर कार्य हो। छिड़काव भी कराया जाए।

– कचरा न जलाएं, झाडू लगाने से पहले छिड़काव कराया जाए।

– सुबह-शाम खिड़की-दरवाजा बंद रखें, बाहर जाते वक्त मास्क लगाएं।

– रक्तचाप, सांस-अस्थमा मरीज डॉक्टरी परामर्श से दवाएं व्यवस्थित कराएं।

 



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