नाबार्ड मुख्यालय से आए उच्चाधिकारियों ने सोमवार को तहसील टहरौली में जल संरक्षण के कार्यों का निरीक्षण किया। टीम ने तहसील के 40 गांवों में किए गए वर्षाजल संरक्षण एवं प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन की हकीकत परखी।

ग्राम नोटा पहुंची टीम

नाबार्ड अफसरों ने गांव नोटा में बने सामुदायिक तालाब, गुंडाहा में बनाए गए जल संचयन ढांचों तथा भदोखर में पुनर्जीवित हवेली, गांवभगोरा में विकसित कृषि वानिकी मॉडल, स्प्रिंकलर और ड्रिप इरिगेशन प्रणाली का जायजा लिया। वैज्ञानिक डॉ रमेश सिंह और सलाहकार आरके उत्तम ने जल संरक्षण कार्यों की जानकारी दी। सहायक वैज्ञानिक डॉ अशोक शुक्ला ने कृषि वानिकी मॉडल, बड़े पैमाने पर पौधरोपण के प्रयासों के बारे में बताया।

जल संरक्षण पर दिया जोर

नाबार्ड मुख्यालय मुंबई के चीफ जनरल मैनेजर डॉ भवानी शंकर सहित अन्य सदस्यों ने कहा कि यदि जल संरक्षण और संसाधन प्रबंधन के इसी प्रकार के प्रयास पूरे बुंदेलखंड में किए जाएं तो सिंचाई और पेयजल की दीर्घकालिक समस्या का समाधान संभव है। इस दौरान प्राकृतिक संसाधन संरक्षण समिति के अध्यक्ष डीके सचान, आशीष उपाध्याय, पुष्पेंद्र सिंह बुंदेला, रामप्रकाश पटेल, रामेश्वर शर्मा, दीनदयाल पटेल, नातीराजा बुंदेला आदि उपस्थित रहे।

चयनित गांवों को मॉडल के रूप में करेंगे विकसित

रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विवि में सोमवार को राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के अधिकारियों तथा विवि प्रशासन के बीच बैठक हुई। कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह ने विवि की शैक्षणिक, अनुसंधान व प्रसार गतिविधियों की जानकारी दी। तय हुआ विवि एवं नाबार्ड संयुक्त रूप से चयनित गांवों में कृषि तकनीकी हस्तांतरण, जल संरक्षण व संसाधन प्रबंधन आदि कार्यक्रम लागू करेंगे ताकि मॉडल गांव के रूप में पहचान मिले। निदेशक शोध डॉ. एसके चतुर्वेदी, निदेशक शिक्षा डॉ. अनिल कुमार, अधिष्ठाता कृषि डॉ. आरके सिंह, अधिष्ठाता उद्यानिकी एवं वानिकी डॉ. मनीष श्रीवास्तव, अधिष्ठाता मात्स्यिकी डॉ. पीके पांडे आदि ने भी सुझाव दिए। ब्यूरो



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