Jhansi: On the fifth day of the Shrimad Bhagwat Katha, the pandal resounded with cheers.

चिरगांव के ग्राम देदर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव के पांचवें दिन बुधवार को श्रद्धा और उत्साह का माहौल देखने को मिला। कथा व्यास रमाकांत व्यास ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्म, उनके बाल स्वरूप की अद्भुत लीलाओं और पूतना वध की कथा का मार्मिक वर्णन किया। कथा सुनते ही पंडाल जयकारों से गूंज उठा और श्रद्धालु झूमने लगे।
व्यास जी ने कहा कि सबसे पहले पाप आंखों से जन्म लेता है, फिर मन और शरीर को प्रभावित करता है। उन्होंने माताओं से भी विशेष आग्रह करते हुए कहा कि मां और बेटे का दूध का नाता बेहद पवित्र और जीवन देने वाला होता है, लेकिन आज कई माताएँ बच्चों को स्तनपान नहीं करातीं, जिसके कारण बच्चे उनसे दूर होते जा रहे हैं। व्यास जी ने बच्चों को संस्कार देने में कभी कमी न करने की सीख देते हुए बताया कि परिवार और समाज का उज्ज्वल भविष्य अच्छे संस्कारों पर ही आधारित है।



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