Muzaffarnagar जिले के मीरापुर थाना क्षेत्र में एक दिल दहला देने वाली और चिंताजनक घटना सामने आई है, जहां एक मानसिक रूप से मंद व्यक्ति को ‘चोर’ बताकर गांव में शोर मचाया गया और भीड़ इकट्ठा कर दी गई। मीरापुर पुलिस ने सूझबूझ का परिचय देते हुए मामले को संभाला और झूठी अफवाह फैलाने वाले तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।


🟡 मंदबुद्धि सुभाष को बताया चोर, गांव में फैली सनसनी

घटना 02/03 अगस्त की रात की है। 55 वर्षीय सुभाष पुत्र विरम सिंह, जो कि मंसूरपुर थाना क्षेत्र के गांव पुरवालियान का निवासी है और मानसिक रूप से अस्वस्थ बताया गया है, गलती से मीरापुर थाना क्षेत्र के ग्राम कैलापुर जसमौर जा पहुंचा। अजनबी व्यक्ति को देखकर गांव के तीन लोगों – अजय गिरी, संदीप और मांगेराम – ने जान-बूझकर “चोर-चोर” की अफवाह फैलाकर हंगामा खड़ा कर दिया।


🔴 अफवाह बन गई हादसे की वजह, भीड़ देखकर सहमा सुभाष

जैसे ही तीनों ने शोर मचाया, गांव के अन्य लोग भी मौके पर जुट गए और स्थिति तनावपूर्ण हो गई। भीड़ को देखकर सुभाष बुरी तरह घबरा गया और भय के कारण अपना नाम व पता तक नहीं बता सका। एक ओर यह दृश्य सामाजिक कायरता की तस्वीर पेश कर रहा था, वहीं दूसरी ओर सुभाष की जान भी संकट में थी।


🟢 पुलिस की संवेदनशीलता से बची बड़ी अनहोनी

गश्त पर निकली मीरापुर पुलिस टीम समय रहते मौके पर पहुंच गई। पुलिस अधिकारियों ने स्थिति को भांपते हुए भीड़ को तितर-बितर किया और सुभाष को सुरक्षित स्थान पर ले जाकर बातचीत की। बातचीत के बाद उसने धीरे-धीरे अपना नाम और पता बताया, जिसके आधार पर पुलिस ने उसके परिवार से संपर्क किया। परिवार ने पुष्टि की कि सुभाष मानसिक रूप से मंद है।


🔵 पुलिस ने दिखाई तत्परता, झूठ फैलाने वालों पर टूटा कानून का कहर

पुलिस ने मामले की गंभीरता को समझते हुए शांति भंग की धाराओं में त्वरित कार्रवाई की और झूठी अफवाह फैलाने वाले तीनों आरोपियों – अजय गिरी पुत्र विरम सिंह, संदीप पुत्र कैलाश और मांगेराम पुत्र गेन्दा सिंह – को गिरफ्तार कर लिया। तीनों आरोपी ग्राम कैलापुर जसमौर, थाना मीरापुर के ही निवासी हैं।


🟠 अफवाह फैलाने पर दर्ज हुआ केस, पुलिस ने की कानूनी कार्यवाही

पुलिस द्वारा आरोपियों के खिलाफ बीएनएसएस की धारा 170 के अंतर्गत शांति भंग करने और अफवाह फैलाने की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। आरोपियों से पूछताछ जारी है और यदि आगे किसी साजिश या संगठित प्रयास के संकेत मिलते हैं तो धाराएं और सख्त की जा सकती हैं।


🟣 इंसानियत पर सवाल: जब भीड़ बन जाए न्याय की दुश्मन

इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि अफवाहें किसी की जान पर भारी पड़ सकती हैं। समाज में यह प्रवृत्ति तेजी से फैल रही है कि बिना सच्चाई जाने, किसी को भीड़ के हवाले कर दिया जाता है। इस बार पुलिस की सक्रियता ने एक अनहोनी को टाल दिया, लेकिन यह चेतावनी भी है कि अगली बार इतना भाग्यशाली कोई न हो।


🔴 भीड़तंत्र बनाम न्याय प्रणाली: ज़रूरत है जन-जागरूकता की

सुभाष जैसे मानसिक रूप से कमजोर लोगों को अक्सर समाज से वह सहानुभूति नहीं मिलती जिसकी उन्हें जरूरत होती है। अफवाहें फैलाकर ‘चोर’ बना देना एक सामाजिक अपराध है, जो केवल कानून ही नहीं, इंसानियत की भावना को भी ठेस पहुंचाता है।


🟢 वरिष्ठ अधिकारियों की निगरानी में चला ऑपरेशन

इस कार्रवाई में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजय कुमार वर्मा, एडीजी मेरठ जोन, डीआईजी और पुलिस अधीक्षक ग्रामीण आदित्य बंसल के निर्देशन में सीओ जानसठ यतेन्द्र सिंह नागर और प्रभारी निरीक्षक मीरापुर के नेतृत्व में कार्रवाई को अंजाम दिया गया।

गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम में उपनिरीक्षक ललित कुमार, कांस्टेबल जहीरूद्दीन, सुनील शर्मा और अमित यादव शामिल रहे, जिनकी सतर्कता ने एक निर्दोष की जान बचा ली।


मीरापुर की इस घटना ने हमें यह सिखाया कि अफवाहें केवल अफवाह नहीं होतीं, वे किसी की ज़िंदगी छीन सकती हैं। शुक्र है कि पुलिस ने समय पर कार्रवाई की, अन्यथा यह मामला बेहद दुखद अंजाम ले सकता था। अब समय है कि हम सब मिलकर अफवाहों के खिलाफ आवाज़ उठाएं और हर नागरिक को यह संदेश दें – “पहले जांचें, फिर ही कहें।”



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