Acts of a pair of thugs: They used to make deals to make BJP district president and minister with status

राम शंकर उर्फ आशीष गुप्ता व अरविंद त्रिपाठी उर्फ गुरूजी।
– फोटो : amar ujala

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प्रधानमंत्री का सचिव और मुख्यमंत्री का प्रोटोकॉल अधिकारी बन ठगी करने वाले जालसाजों के संबंध में एक और बड़ा खुलासा हुआ है। जालसाजों ने बुलंदशहर के एक शख्स से सुकरात विश्वविद्यालय का बुलंदशहर कैंपस निर्माण व अन्य टेंडर दिलाने की डील की थी। एक लॉ कॉलेज निर्माण का ठेका भी दिलाने का सौदा किया था लेकिन एसटीएफ की कार्रवाई से सारा खेल बिगड़ गया। फिलहाल दोनों आरोपी जेल भेजे जा चुके हैं। उधर, एफआईआर में नामजद उनके दो साथियों हरीश यादव और ऋषि वशिष्ठ की तलाश की जा रही है।

एसटीएफ ने शनिवार को बीसलपुर पीलीभीत के रामशंकर गुप्ता उर्फ डॉक्टर आशीष गुप्ता के साथ दिल्ली निवासी अरविंद त्रिपाठी उर्फ गणेश त्रिपाठी उर्फ गुरुजी को गिरफ्तार किया था। खुलासा किया था कि आरोपी भाजपा में जिलाध्यक्ष बनवाने, दर्जा प्राप्त मंत्री बनवाने के अलावा नौकरी लगवाने और ट्रांसफर-पोस्टिंग कराने के नाम पर करोड़ों रुपये की ठगी कर चुके हैं। अब मामले में एक और तथ्य सामने आया। आरोपियों ने बुलंदशहर निवासी पीसी वशिष्ठ से डील की थी कि वह बुलंदशहर में बनने वाले सुकरात विवि के कैंपस का काम उनको दिलवाएंगे। जांच एजेंसी अब उन सभी से संपर्क करेगी, जिनसे आरोपियों ने डील की थी। उनको गवाह या आरोपी बना सकती है। ये सुबूतों पर निर्भर करेगा।

अधिकारियों के नाम पर खुद का नाम रख करते थे खेल

रामशंकार ने अपना नाम डॉ. आशीष गुप्ता रख रखा था। क्योंकि सुकरात विवि के वाइस चैयरमैन का यही नाम है। वह लोगों से ये कहकर मिलता था कि वह इस विवि का वीसी है। वहीं, एफआईआर में नामजद हरीश यादव खुद को एमएसएमई का प्रमुख सचिव बताता था क्योंकि संबंधित विभाग में इसी नाम के एक सहायक डायरेक्टर हैं। इससे अगर कोई उनके बारे में पता करे तो वह न फंसे। हरीश के अलावा ऋषि वशिष्ठ भी नामजद आरोपी है। ये दोनों गिरफ्त से दूर हैं। एसटीएफ को आशंका है कि दोनों के असल नाम कुछ और होंगे। ये दोनों दिल्ली का काम देखते थे। दोनों खुद को आईएएस अफसर बताते थे।

सिपाही से लेकर इंस्पेक्टर ने लगा रखी थी अर्जी

आरोपी ट्रांसफर-पोस्टिंग का खेल भी करते थे। इसमें हर विभाग के लोग उनके जाल में फंसते थे। आरोपियों के पास से कई अर्जियां ट्रांसफर संबंधी मिली थी। इसमें एक प्रयागराज पुलिस कमिश्ररेट में तैनात इंस्पेक्टर ज्योति गुप्ता की भी ट्रांसफर एप्लीकेशन शामिल है। 44वीं वाहिनी पीएसी मेरठ के सिपाही सावन कुमार की अर्जी मिली है। वहीं, सुल्तानपुर डिपो के प्रभारी नान्हूराम सरोज की अर्जी में प्रयागराज डिपो में ट्रांसफर की मांग की गई थी। आरोपियों ने सीतापुर, मोदीनगर और लखनऊ के छह युवकों को नौकरी दिलाने का झांसा देकर दिल्ली बुलाकर छह लाख 80 हजार रुपये वसूले थे।

झूठी लोकप्रियता की चाह ने रामशंकर को पहुंचाया जेल

लखनऊ एसटीएफ ने जिस रामशंकर गुप्ता उर्फ आशीष गुप्ता को ठगी के आरोप में गिरफ्तार किया है, वह मोहल्ला दुबे का रहने वाला है। धन्ना सेठ व लोकप्रिय बनने की चाह ने सलाखों के पीछे पहुंचाया। इंटर पास 45 वर्षीय रामशंकर पिछले करीब दो दशकों से धोखाधड़ी व जालसाजी करता आ रहा है। कई साल पहले तक वह रोजाना बाइक से शाहजहांपुर आता-जाता था और खुद को एक अधिकारी का पेशकार बताता था। कुछ दिन तक उसकी बाइक पर डीएम कार्यालय शाहजहांपुर लिखा रहा। कुछ दिनों से वह अपने नाम के आगे डॉक्टर भी लगाने लगा था। वह स्टेशन रोड पर फाइनेंस कंपनी चलाकर लोगों का काफी पैसे भी हड़प चुका है। उसने वृद्धाश्रम का शिलान्यास कराने के नाम पर कई बार कई वीआईपी को बीसलपुर बुलवाया। इससे उसका रुतबा बढ़ गया। अपने घर पर धार्मिक कार्यक्रम में धर्मगुरुओं को बुलाता था। लोग समझते थे कि उसकी साधु-संतों में भी अच्छी पकड़ है। बहराइच के एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी का उसके घर काफी आना-जाना था। वह रामशंकर पूर्वांचल की भाषा बोलने में माहिर है। रामशंकर विभिन्न कार्यक्रमों में चंदा देता और बदले में आयोजकों से खुद को सम्मानित करवाता था।



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