Muzaffarnagar : जिले में स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण को लेकर जिला प्रशासन द्वारा की जा रही निगरानी में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम सामने आया है। जिलाधिकारी (डीएम) उमेश मिश्रा ने नमामि गंगे प्रोजेक्ट और जल निगम के तहत कार्यों की स्थिति का गहराई से निरीक्षण करने के लिए मुजफ्फरनगर के एसटीपी (सेवेज ट्रीटमेंट प्लांट) प्लांटों का औचक दौरा किया। इस निरीक्षण से जहां प्रशासनिक मशीनरी में हड़कंप मच गया, वहीं यह भी स्पष्ट हो गया कि कई एसटीपी प्लांटों में तकनीकी और पर्यावरणीय खामियां पाई गईं, जो भविष्य में पर्यावरणीय संकट का कारण बन सकती हैं।

डीएम उमेश मिश्रा का निरीक्षण: बारीकी से जांच

जिलाधिकारी उमेश मिश्रा ने एसटीपी प्लांटों का निरीक्षण पूरी गंभीरता के साथ किया। उन्होंने प्लांटों में जल शोधन प्रक्रिया से लेकर निकलने वाले जल की गुणवत्ता तक का विस्तार से अध्ययन किया। डीएम ने सख्ती से निर्देश दिए कि प्रदूषण अधिकारी तुरंत पानी के नमूने लें और उनकी रिपोर्ट तैयार करें। इस निरीक्षण के दौरान डीएम ने अधिकारियों को चेतावनी दी कि अगर पर्यावरणीय मानकों का उल्लंघन हुआ, तो इसके लिए कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

प्रदूषण पर कड़ी निगरानी

डीएम उमेश मिश्रा ने प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी को निर्देश दिए कि एसटीपी प्लांटों से निकलने वाले पानी की गुणवत्ता की पूरी तरह से जांच की जाए और इस संबंध में रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। प्रदूषण अधिकारी अंकित कुमार ने बताया कि उन्होंने डीएम के निर्देश के तहत नमूने लिए हैं और उनकी रिपोर्ट जल्द ही तैयार कर दी जाएगी। रिपोर्ट के परिणामों के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।

एसटीपी प्लांटों में मिली खामियां

डीएम के निरीक्षण के दौरान कई एसटीपी प्लांटों में खामियां उजागर हुईं। इनमें से कुछ प्लांटों में जल शोधन प्रक्रिया में तकनीकी समस्याएं पाई गईं, जबकि कुछ अन्य प्लांटों में शुद्ध जल का प्रवाह नियंत्रित नहीं था। डीएम ने अधिकारियों को आदेश दिए कि इन समस्याओं को तुरंत हल किया जाए। उन्होंने कहा, “हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रदूषण नियंत्रण और जल शोधन की प्रक्रिया मानकों के अनुरूप हो।”

प्रदूषण नियंत्रण के लिए दिए गए निर्देश

डीएम ने नगर निगम की कार्यकारी अधिकारी (ईओ) प्रज्ञा सिंह और प्रदूषण अधिकारी अंकित कुमार को निर्देश दिए कि एसटीपी प्लांटों से निकलने वाले पानी का हॉट मिक्स प्लांट में उपयोग किया जाए। उन्होंने यह भी बताया कि इस पानी का छिड़काव नगर की सड़कों पर किया जाए और इसे कृषि भूमि, निर्माणाधीन परियोजनाओं तथा फैक्ट्रियों में उपयोग करने की योजना बनाई जाए। इससे न केवल जलवर्धन होगा, बल्कि प्रदूषण पर भी नियंत्रण रहेगा।

साथ में थे ये अधिकारी

डीएम उमेश मिश्रा के साथ इस निरीक्षण में सिटी मजिस्ट्रेट विकास कश्यप, प्रदूषण अधिकारी अंकित कुमार, नगर निगम की ईओ प्रज्ञा सिंह के अलावा जल निगम और नमामि गंगे प्रोजेक्ट के अधिकारी भी शामिल रहे। इस टीम ने पूरे निरीक्षण के दौरान एकजुट होकर काम किया और समस्याओं की जड़ तक पहुंचने का प्रयास किया।

नमामि गंगे प्रोजेक्ट: स्वच्छता का सपना

मुजफ्फरनगर में नमामि गंगे प्रोजेक्ट का उद्देश्य गंगा नदी को प्रदूषण से मुक्त करना और इसके पानी की गुणवत्ता को बेहतर बनाना है। इस परियोजना के तहत जल शोधन के लिए एसटीपी प्लांटों का निर्माण और संचालन किया गया है। लेकिन हाल के निरीक्षण से यह स्पष्ट हुआ कि कुछ प्लांटों में आवश्यक व्यवस्थाओं और तकनीकी प्रबंधनों की कमी है।

भविष्य की योजना

डीएम उमेश मिश्रा ने अधिकारियों से यह भी कहा कि भविष्य में एसटीपी प्लांटों की नियमित जांच और निरीक्षण की प्रक्रिया को और मजबूत किया जाए। उन्होंने कहा, “हमें यह सुनिश्चित करना है कि पर्यावरणीय मानकों का पालन पूरी ईमानदारी से हो और प्रदूषण की समस्या को नियंत्रित किया जा सके।”

जनता का सहयोग आवश्यक

डीएम ने इस बात पर जोर दिया कि इस अभियान में केवल प्रशासन ही नहीं, बल्कि आम जनता का सहयोग भी बेहद आवश्यक है। उन्होंने बताया कि नागरिकों को जागरूक करने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे ताकि वे सही तरीके से अपशिष्ट जल का निस्तारण कर सकें।

मुजफ्फरनगर में डीएम उमेश मिश्रा का ओचक निरीक्षण न केवल अधिकारियों के लिए चेतावनी है, बल्कि एक संदेश भी है कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में और कड़ी मेहनत की जरूरत है। इसके लिए अधिकारियों से लेकर नागरिकों तक सभी को मिलकर काम करना होगा।

इस निरीक्षण से साफ है कि पर्यावरण को लेकर सजगता और कड़े कदमों की आवश्यकता है। यही नहीं, प्रदूषण नियंत्रण और जल संरक्षण की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।



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