Muzaffarnagar थाना साइबर क्राइम पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए तीन शातिर ठगों को गिरफ्तार किया है। ये ठग ईडी/सीबीआई के अधिकारी बनकर एक व्यक्ति से 33,33,000 रुपये की ठगी कर रहे थे। इन ठगों ने फर्जी कॉल और डिजिटल अरेस्ट की धमकी देकर अपने शिकार से बड़ी रकम हड़प ली थी। पुलिस ने इन ठगों के कब्जे से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक सामान भी बरामद किए हैं।
साइबर ठगी का खुलासा
इस मामले की शुरुआत तब हुई जब एक व्यक्ति ने थाना साइबर क्राइम में शिकायत दर्ज कराई। शिकायतकर्ता ने बताया कि उसके फोन पर एक कॉल आई, जिसमें स्वयं को ईडी/सीबीआई का अधिकारी बताकर कहा गया कि उसके द्वारा कैनरा बैंक में खाता खोला गया है और उसमें अवैध लेन-देन किया गया है। इसके बाद उसे बताया गया कि उसके खिलाफ दरियागंज थाने, दिल्ली में शिकायत दर्ज की गई है और उसकी जांच तक उसे डिजीटल अरेस्ट किया जाएगा।
ठगों ने शिकायतकर्ता से फिर दरियागंज पुलिस थाना का लोगो लगा व्हाट्सएप कॉल किया और खुद को सीबीआई का अफसर बताया। इसके बाद उन्होंने शिकायतकर्ता से एक प्रार्थना पत्र लिया, जिसमें बताया गया कि उसने किसी भी अवैध गतिविधि में हिस्सा नहीं लिया। फिर सीबीआई के अधिकारी ने फिर से व्हाट्सएप कॉल किया, और आरोप लगाया कि उसके बैंक खाते में अवैध लेन-देन हुआ है। ठगों ने और भी कागजातों के माध्यम से शिकायतकर्ता को डराया और उससे 33,33,000 रुपये की ठगी कर ली।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई और गिरफ्तारी
साइबर क्राइम पुलिस ने इस मामले की त्वरित जांच शुरू की और पुलिस टीम गठित की। इसके बाद, 18 सितंबर 2025 को दो शातिर ठगों को गिरफ्तार किया गया। साथ ही, एक अन्य ठग का पता चलने पर उसे 25 सितंबर को सूरत से गिरफ्तार किया गया। गिरोह के फार्वर्ड और बैकवर्ड लिंकेज को खंगालने के बाद, साइबर क्राइम पुलिस ने अमृतसर, पंजाब से तीन अन्य ठगों को गिरफ्तार किया।
गिरफ्तार ठगों के कब्जे से 6 मोबाइल फोन, 6 बैंक पासबुक, 21 डेबिट कार्ड, 1 चेक बुक, 1 पेन कार्ड, 3 आधार कार्ड और 14 सिम कार्ड बरामद किए गए हैं। इस कार्रवाई में महिला पुलिस टीम की महत्वपूर्ण भूमिका रही, जिन्होंने पूरी तकनीकी जांच और संदिग्धों की तस्दीक की।
गिरफ्तार ठगों की पहचान
गिरफ्तार ठगों की पहचान राजू पुत्र दीपक कुमार, संदीप सिंह उर्फ सुन्नी और अमन सिन्हा के रूप में हुई है। राजू छत्तीसगढ़ के भिलाई का निवासी है, जबकि संदीप और अमन पंजाब और छत्तीसगढ़ के निवासी हैं। इन ठगों ने मिलकर जालसाजी का पूरा नेटवर्क तैयार किया था और कई लोगों को अपनी ठगी का शिकार बनाया था।
ठगी का तरीका और उनका नेटवर्क
यह गिरोह डिजिटल माध्यमों का उपयोग करते हुए लोगों को ठगने का काम करता था। इनके द्वारा किए गए कॉल्स और व्हाट्सएप संदेश पूरी तरह से फर्जी होते थे, जिनमें जालसाजों ने खुद को सरकारी अधिकारियों के रूप में पेश किया था। उन्होंने अपने शिकार से पैसे ऐंठने के लिए डर और धमकी का सहारा लिया, खासकर ‘डिजीटल अरेस्ट’ की धमकी देकर। इसके अलावा, इन ठगों ने फर्जी दस्तावेज तैयार करके अपना अपराध छिपाने की कोशिश की थी।
साइबर क्राइम पुलिस की सफलता और भविष्य की दिशा
इस सफलता के बाद, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजय कुमार वर्मा ने साइबर क्राइम पुलिस की टीम की सराहना की और कहा कि इस तरह की ठगी को रोकने के लिए पुलिस प्रशासन अपनी कार्यवाही को और तेज करेगा। उन्होंने कहा कि भविष्य में साइबर ठगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी को सुनिश्चित करने के लिए सभी तकनीकी पहलुओं को बेहतर किया जाएगा।
साथ ही, पुलिस ने आम नागरिकों से अपील की है कि वे इस तरह की धोखाधड़ी से बचने के लिए सतर्क रहें और किसी भी अनजान कॉल या संदेश से खुद को सुरक्षित रखें। किसी भी सरकारी अधिकारी या बैंक से संबंधित फोन कॉल पर पैसे ट्रांसफर करने से पहले पूरी तरह से जांच कर लें।
साइबर अपराधियों के खिलाफ पुलिस की इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि साइबर क्राइम के मामलों में भी पुलिस पूरी तरह से सजग है और अपराधियों को किसी भी हालत में नहीं बख्शा जाएगा।