Muzaffarnagar खतौली नगर में RSS literature stall के माध्यम से एक विशेष वैचारिक और सांस्कृतिक वातावरण उस समय देखने को मिला, जब तुलसी पूजन दिवस एवं साहित्य दिवस के पावन अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, खतौली द्वारा घन्टाघर, जी.टी. रोड के सामने एक भव्य साहित्य बिक्री एवं वितरण स्टाल लगाया गया।
इस आयोजन ने न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक चेतना को बल दिया, बल्कि नगरवासियों को राष्ट्र निर्माण से जुड़े विचारों से सीधे जोड़ने का भी कार्य किया।
सुबह से लेकर देर शाम तक स्टाल पर लोगों की निरंतर आवाजाही बनी रही। परिवार सहित पहुंचे नागरिकों ने संघ साहित्य में गहरी रुचि दिखाई और अपने बच्चों को साथ लेकर पुस्तकों के माध्यम से संस्कारों से परिचित कराया।
संघ के 100 वर्ष पूर्ण होने पर विशेष साहित्य का वितरण
इस RSS literature stall की विशेष पहचान यह रही कि इसमें संघ यात्रा संगठन के 100 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में प्रकाशित विशेष साहित्य प्रमुख रूप से उपलब्ध कराया गया।
इसके साथ ही “राष्ट्रदेव” सहित अनेक वैचारिक, सांस्कृतिक और राष्ट्र प्रेरक पुस्तकों का वितरण किया गया, जिनमें—
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राष्ट्र निर्माण की अवधारणा
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सामाजिक समरसता
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सेवा और अनुशासन
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भारतीय संस्कृति और जीवन मूल्य
जैसे विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत किया गया है।
नगरवासियों ने कहा कि ऐसे साहित्य की आज के समय में विशेष आवश्यकता है, ताकि नई पीढ़ी अपनी जड़ों और राष्ट्रधर्म से जुड़ी रह सके।
स्वयंसेवकों ने किया विचारों का विस्तार से परिचय
स्टाल पर उपस्थित स्वयंसेवकों ने आमजन को संघ के उद्देश्यों, उसकी कार्यपद्धति और सामाजिक भूमिका के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
लोगों को बताया गया कि संघ केवल एक संगठन नहीं, बल्कि—
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अनुशासन आधारित जीवन शैली
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सेवा भाव
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राष्ट्रभक्ति
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सांस्कृतिक चेतना
का एक व्यापक आंदोलन है।
स्वयंसेवकों के संवादात्मक तरीके से नागरिकों ने संघ के कार्यों को नजदीक से समझा और कई लोगों ने भविष्य में ऐसे आयोजनों में सक्रिय सहभागिता की इच्छा भी जताई।
नगरवासियों की भागीदारी ने आयोजन को बनाया विशेष
इस RSS literature stall पर बड़ी संख्या में नगरवासी पहुंचे। साहित्य लेने वालों में चेतन कश्यप, अनुराग जैन, प्रधानाचार्य चंद्र मेहता, अनुभव कौशिक, राजू सैनी, किशिंग नरेश चंद्र, अरविंद सैनी, अमित अग्रवाल, रोहित, समाजसेवी मदन छाबड़ा, डॉ. रजनीश बसंती, आशीष, समाजसेवी विजय कुमार, ध्रुव जैन, राजकुमार, संजीव मिश्रा, सभासद अजय भुर्जी, सीताराम भगतजी सहित अनेक गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति रही।
अभिभावकों ने विशेष रूप से अपने बच्चों के लिए साहित्य लिया और कहा कि पुस्तकों के माध्यम से बच्चों को राष्ट्रसेवा और संस्कारों से जोड़ना अत्यंत आवश्यक है।
कार्यक्रम में सक्रिय भूमिका निभाने वाले स्वयंसेवक
इस आयोजन को सफल बनाने में संघ के कई कार्यकर्ताओं की सक्रिय भूमिका रही।
कार्यक्रम में—
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सेवा प्रमुख संजय
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सनातन
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प्रचार प्रमुख विशाल पाल
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नगर कार्यवाह दीनदयाल
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व्यवस्था प्रमुख प्रभात कुमार
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स्वयंसेवक पंकज भटनागर
सहित अनेक स्वयंसेवकों का उल्लेखनीय सहयोग रहा।
सभी स्वयंसेवकों ने पूरे अनुशासन, समर्पण और सेवा भाव के साथ साहित्य वितरण एवं जनसंपर्क का कार्य किया, जिससे आयोजन सुव्यवस्थित और प्रभावशाली रहा।
संघ की स्थापना से आज तक: एक वैचारिक यात्रा
कार्यक्रम के दौरान नागरिकों को यह भी बताया गया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 27 सितंबर 1925 को विजयादशमी के दिन नागपुर में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा की गई थी।
संघ की स्थापना का मूल उद्देश्य हिंदू समाज को संगठित कर राष्ट्र को सशक्त बनाना था।
शाखा पद्धति के माध्यम से संघ ने—
के संस्कार जन-जन तक पहुंचाए।
समाज के हर क्षेत्र में संघ की सक्रिय भूमिका
समय के साथ संघ ने स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आपदा राहत, सामाजिक समरसता, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वदेशी, पर्यावरण संरक्षण जैसे अनेक क्षेत्रों में निरंतर कार्य किया।
संघ से प्रेरित होकर अनेक सेवा और राष्ट्र निर्माण संगठन अस्तित्व में आए, जो आज समाज के हर क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
RSS literature stall जैसे आयोजन इसी निरंतर वैचारिक विस्तार का जीवंत उदाहरण हैं।
100 वर्षों की साधना, हर घर तक विचार पहुंचाने का संकल्प
वर्ष 2025 में संघ के 100 वर्ष पूर्ण होना उसके सतत सेवा, समर्पण और राष्ट्रहित में किए गए कार्यों का प्रमाण माना जा रहा है।
आज संघ का स्पष्ट मत है कि—
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हर घर तक उसके विचार पहुंचें
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समाज संगठित हो
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संस्कारयुक्त और राष्ट्रभक्त पीढ़ी तैयार हो
और ऐसे साहित्य स्टाल इसी उद्देश्य को साकार करने का माध्यम बन रहे हैं।
तुलसी पूजन दिवस पर खतौली में लगा यह साहित्य स्टाल केवल पुस्तकों का वितरण नहीं था, बल्कि राष्ट्र विचारों के विस्तार और संस्कारों के संवर्धन का एक सशक्त प्रयास बनकर सामने आया। नागरिकों और बच्चों की सहभागिता ने यह स्पष्ट कर दिया कि समाज आज भी अनुशासन, सेवा और राष्ट्रभक्ति जैसे मूल्यों को आत्मसात करने के लिए तैयार है, और संघ के विचार इस दिशा में एक मजबूत आधार प्रदान करते हैं।
