सतीश और उसके परिवार पर जब जर्जर मकान की छत गिरी, तब पांचों गहरी नींद में थे। इनकी चीख तक बाहर नहीं आ सकी, इसलिए आसपास भी किसी को हादसे की भनक नहीं लगी। करीब तीन घंटे बाद साढ़े छह बजे तक सतीश के घर पर कोई हलचल नहीं दिखी तो पड़ोसी बाहर की सीढ़ी से छत पर गए। वहां से देखा तो कमरे की छत ढही थी और पूरा परिवार इसके मलबे के नीचे दबा था। लाशें देख पड़ोसी सन्न रह गए।



हादसा तड़के करीब साढ़े तीन बजे हुआ। पुलिस व दमकल को सूचना साढ़े सात व आठ बजे के बीच मिली। इस बारे में पड़ताल की गई तो पता चला कि किसी को हादसे की जानकारी ही नहीं हो सकी थी। पड़ोसियों ने बताया कि अमूमन सुबह साढ़े पांच बजे के बाद सतीश के घर पर हलचल शुरू हो जाती थी। बच्चे स्कूल के लिए तैयार हो जाते थे, लेकिन शनिवार को सुबह साढ़े छह बजे तक दरवाजा ही नहीं खुला। इसके बाद कुछ लोग छत पर गए तो हादसे का पता चला।


कुछ गिरने की आवाज आई, पर समझ नहीं आया

पड़ोसियों ने बताया कि रात में अचानक कुछ गिरने की आवाज व धमक महसूस हुई थी। हालांकि, कोई चीख जैसी नहीं सुनाई दी, इसलिए अनहोनी की आशंका नहीं हुई। सुबह देखा कि सतीश का परिवार मलबे में दबा है। अगर पहले हादसे का पता चल जाता तो शायद पांचों को बचा लिया जाता।


मलबे में दिखा सलोनी का हाथ

कुछ लोग मकान के पीछे की खिड़की से भीतर देखने का प्रयास कर रहे थे। इस खिड़की में कूलर लगा था, इसलिए अंदर का साफ नहीं दिख रहा था। एक ने किनारे से देखा तो मलबे से बाहर एक हाथ दिखा, जो सतीश की पत्नी सलोनी का था। ये देख लोग डर गए। हादसे की खबर मिलते सैकड़ों लोग जुट गए। तमाम लोग मदद में जुटे थे। पूरी कॉलोनी में मातम पसर गया। जानकारी पर डीएम सूर्यपाल गंगवार, ज्वॉइंट पुलिस कमिश्नर कानून व्यवस्था उपेंद्र अग्रवाल व अन्य अफसर पहुंचे।


ये था मामला: उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल की फतेह अली रेलवे कॉलोनी में देर रात एक मकान की छत ढह गई, जिससे पांच लोगों की दब जाने से मौत हो गई। बारिश के बाद मकान और कमजोर हो गया था। 




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