सिसौली/मुजफ्फरनगर। (Muzaffarnagar) । देश की मिट्टी से जुड़े, जमीनी संघर्षों के प्रतीक और किसान हितों के अडिग प्रहरी माने जाने वाले स्वर्गीय चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत की 14वीं पुण्यतिथि को इस बार देशभक्ति के रंग में रंगा गया। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने इस अवसर को वीर सैनिकों के सम्मान को समर्पित करते हुए सिसौली के किसान भवन में एक भव्य यज्ञ और श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया, जिसमें हजारों की संख्या में किसान, सामाजिक कार्यकर्ता, राजनीतिक नेता और युवाओं की सहभागिता ने टिकैत के अद्वितीय प्रभाव को पुनः स्थापित कर दिया।
🔴 आयोजन की गरिमा और श्रद्धा
मुख्य आयोजन सिसौली स्थित किसान भवन में आयोजित किया गया, जहां महेंद्र सिंह टिकैत और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती बलजोरी देवी की पुण्यतिथियों के अवसर पर न्याय भूमि के समक्ष सामूहिक हवन (यज्ञ) हुआ। इस पवित्र यज्ञ में स्वर्गीय टिकैत के पोत्र आदित्य टिकैत ने अपनी पत्नी के साथ यजमान की भूमिका निभाई और पूर्ण विधि-विधान से आहुतियां दीं।
यह दृश्य अत्यंत भावुक था—किसान नेता की तीसरी पीढ़ी आज भी उसी जज्बे के साथ किसानों और राष्ट्र की सेवा को तत्पर दिखाई दी।
🟢 किसान मसीहा के पदचिह्नों पर कदमताल
कार्यक्रम में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत, राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत सहित अनेक प्रमुख किसान नेता मौजूद रहे। उन्होंने यज्ञ में अपनी आहुति अर्पित कर राष्ट्र सेवा और किसान हितों के लिए स्वर्गीय टिकैत के बलिदान और संघर्ष को याद किया।
🟡 राजनीतिक- सामाजिक प्रतिनिधियों की भावुक सहभागिता
इस अवसर पर कई प्रमुख राजनीतिक हस्तियों ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई:
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सांसद हरेन्द्र मलिक
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पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. संजीव बालियान
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लोकदल विधायक प्रसन्न चौधरी
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पूर्व मंत्री योगराज सिंह
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सपा नेता राकेश शर्मा
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वरिष्ठ रालोद नेता उमादत्त शर्मा
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सपा जिलाध्यक्ष जिया चौधरी
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भाकियू अराजनैतिक के वरिष्ठ नेता धर्मेंद्र चौधरी
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समाजसेवी जयदेव बालियान
इन सभी ने मंच से अपने विचार साझा किए और स्व. महेंद्र सिंह टिकैत को युगपुरुष की संज्ञा देते हुए उनके सिद्धांतों और विचारों को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने का संकल्प दोहराया।
🟠 “किसान और जवान देश का सम्मान”
कार्यक्रम में बोलते हुए चौधरी नरेश टिकैत ने कहा, “हमारे देश के असली नायक वो सैनिक हैं जो अपनी जान की परवाह किए बिना सीमाओं पर डटे रहते हैं। उन्हें समर्पित यह आयोजन हमारा कर्तव्य है।”
सांसद हरेन्द्र मलिक ने कहा, “किसान और जवान दोनों देश की रीढ़ हैं। अगर किसान खेतों में अन्न उगाता है, तो जवान सीमाओं की रक्षा करता है। दोनों को एक समान सम्मान मिलना चाहिए।”
🔵 लोकसांस्कृतिक झलक और स्वाद का संगम
इस आयोजन को सिर्फ श्रद्धांजलि कार्यक्रम तक सीमित नहीं रखा गया, बल्कि किसानों ने अपने-अपने क्षेत्रीय व्यंजनों के स्टॉल लगाए—जिससे एक प्रकार की ग्रामीण उत्सव जैसी भावना उत्पन्न हुई। बाजरे की रोटी, गुड़, सरसों का साग, गन्ने का रस, जलेबी, खीर और कई अन्य देसी व्यंजन उपस्थित जनसमूह को परोसे गए।
🟣 टिकैत परिवार: परंपरा, विचार और संघर्ष की धरोहर
स्व. महेंद्र सिंह टिकैत के विचार आज भी उसी तरह प्रासंगिक हैं जैसे 1980 और 90 के दशक में थे। मेरठ, मुजफ्फरनगर, दिल्ली, हरियाणा से लेकर लखनऊ तक की सड़कों पर जिस आवाज़ ने सत्ता को झुका दिया था, वह आज भी किसानों की नसों में जोश भरती है।
उनके बेटे राकेश टिकैत और नरेश टिकैत आज उसी मिशन को आगे बढ़ा रहे हैं। किसान आंदोलनों की अगली पीढ़ी में आदित्य टिकैत और गौरव टिकैत जैसे युवा चेहरे सामने आ रहे हैं जो संगठन को और अधिक सक्रिय व आधुनिक दृष्टिकोण से प्रेरित करने की कोशिश कर रहे हैं।
🔴 यज्ञ में शामिल प्रमुख किसान चेहरे
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गौरव टिकैत, नरेंद्र टिकैत
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किसान चिंतक कमल मित्तल
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रघु और वंश टिकैत
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विधायक पंकज मलिक
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शामली शुगर मिल के केन जीएम बलधारी सिंह
इन सभी लोगों ने हवन में आहुति देकर स्वर्गीय टिकैत की आत्मा को नमन किया और उनके विचारों को जीवन में अपनाने की बात कही।
🟢 महेंद्र सिंह टिकैत का संघर्ष: एक प्रेरणास्रोत
चौधरी टिकैत का जीवन संघर्षों से भरा था। उन्होंने गन्ना मूल्य वृद्धि, बिजली दरों में कटौती, पानी की व्यवस्था और कर्जमाफी जैसे मुद्दों पर सरकारों को बार-बार घुटने टेकने पर मजबूर किया। किसान भवन, सिसौली आज भी उसी विरासत को संजोए हुए है, जहां से हजारों किसानों को दिशा मिली।
कार्यक्रम की समाप्ति पर शांति पाठ और राष्ट्रीय ध्वज को नमन
कार्यक्रम के अंत में सामूहिक रूप से शांति पाठ किया गया और तिरंगे को नमन कर यह संदेश दिया गया कि किसान सिर्फ फसल ही नहीं उगाता, वह राष्ट्रप्रेम का भी जीवंत प्रतीक है।
महेंद्र सिंह टिकैत की पुण्यतिथि पर सिसौली का यह आयोजन न सिर्फ श्रद्धांजलि समारोह था, बल्कि एक जीवंत प्रेरणा भी था कि कैसे एक विचार, एक आंदोलन और एक नाम वर्षों बाद भी जनमानस को झकझोर सकता है। सैनिकों को समर्पित यह कार्यक्रम किसानों और देश के प्रति अपार प्रेम और कर्तव्यनिष्ठा का प्रतीक बन गया।