Muzaffarnagar–सहारनपुर स्टेट हाईवे-59 पर स्थित रोहाना कस्बे में बुधवार सुबह अचानक माहौल बदल गया। अमूमन शांत रहने वाला कॉलेज परिसर उस समय तनाव और नाराज़गी से भर गया, जब लगातार दो महीनों से वेतन न मिलने से परेशान शिक्षकों ने काम का बहिष्कार कर कॉलेज गेट पर धरना शुरू कर दिया।
कॉलेज के शिक्षकों और कर्मचारियों का कहना है कि वे बिना वेतन के घर-परिवार की जरूरतें पूरा नहीं कर पा रहे हैं। बढ़ती आर्थिक दिक्कतें अब उनकी सहनशक्ति से बाहर हो चुकी हैं और प्रशासन तथा कॉलेज प्रबंधन से बार-बार गुहार लगाने के बावजूद teacher salary protest की यह स्थिति पैदा हुई है।


शिक्षकों की पीड़ा—दो माह की तंगी, परिवार की रोज़मर्रा की जरूरतें प्रभावित

धरने पर बैठे शिक्षक संजीव त्यागी ने बताया कि कॉलेज में करीब तीन दर्जन लोग स्टाफ में तैनात हैं, जिनमें चार महिला शिक्षक भी शामिल हैं। पिछले दो महीनों का वेतन न मिलने से सभी कर्मचारियों पर आर्थिक बोझ बढ़ चुका है।
उन्होंने कहा,
“हम सभी शिक्षक पिछले दो महीनों से वेतन के इंतजार में हैं। घर खर्च, बच्चों की फीस, दवाइयां—सब कुछ ठप हो गया है। अब पानी सिर से ऊपर जा चुका है। जब तक वेतन नहीं मिलेगा, धरना जारी रहेगा।”

अक्सर शिक्षक आर्थिक समस्याओं को दबाकर पढ़ाई जारी रखते हैं, लेकिन इस बार मामला इतना गंभीर है कि उन्हें कक्षाएं बंद कर धरने पर बैठना पड़ा है।
इस teacher salary protest ने स्थानीय प्रशासन और शिक्षा विभाग के कामकाज पर भी गंभीर सवाल उठा दिए हैं।


मेडिकल अवकाश पर गई शिक्षिका का तीन माह का वेतन रोका—बढ़ी नाराज़गी

धरने में शामिल शिक्षिका मिनाक्षी पांडेय ने बताया कि वह मेडिकल अवकाश पर गई थीं, जिसके चलते उनका वेतन रोक दिया गया।
उन्होंने कहा,
“मुझे तीन महीने से वेतन नहीं मिला है। बीमारी के दौरान भी मैंने विभाग से लगातार संपर्क किया, पर कोई समाधान नहीं हुआ। अब घर चलाना मुश्किल हो गया है।”

उनका कहना है कि संबंधित विभाग के उच्चाधिकारियों से लेकर कॉलेज प्रबंधन तक, हर जगह आवेदन दिया गया, लेकिन किसी ने उनकी समस्या को गंभीरता से नहीं लिया।
महिला कर्मचारियों का वेतन रोकना और उनकी आर्थिक स्थिति पर कोई ध्यान न देना शिक्षा संस्थानों में प्रशासनिक लापरवाही की गहरी समस्या को उजागर करता है।


धरने में बढ़ती भीड़—स्टाफ बोला: अब वादे नहीं, सिर्फ वेतन चाहिए

धरना स्थल पर शुरुआत में कुछ शिक्षक बैठे थे, लेकिन मिनटों में ही करीब दर्जनों शिक्षक और कर्मचारी एकजुट हो गए।
धरने में शामिल प्रमुख नाम—
संजीव त्यागी, संजय उपाध्याय, सुभाष सिंह, सरदकांत शर्मा, शाशक भारती, सतीश कुमार, मोनू कुमार, दिनेश कुमार, नरेश कुमार, गया प्रसाद, मिनाक्षी पांडेय, दिशा रघुवंशी, राजकुमारी सहित कई कर्मचारी मौजूद रहे।

स्टाफ का कहना है कि—

  • लगातार दो महीने वेतन रोके जाने से हालात खराब

  • कॉलेज प्रबंधन से कई बार बात की, पर सिर्फ आश्वासन मिला

  • अब शिक्षक कक्षाओं में नहीं जाएंगे—धरना वेतन मिलने तक जारी रहेगा

  • छात्रों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है

इस teacher salary protest ने कॉलेज प्रशासन को कठिन परिस्थितियों में डाल दिया है, क्योंकि शिक्षकों के बिना पढ़ाई पूरी तरह ठप हो चुकी है।


मुख्याध्यापक ने दी सफाई—टेक्निकल इश्यू बताया, पर शिक्षक नहीं माने

धरने की सूचना सामने आने के बाद प्रधानाचार्य हरपाल सिंह ने पूरे मामले पर बयान दिया।
उन्होंने कहा कि—
“कुछ तकनीकी समस्याओं के कारण पिछले माह का वेतन नहीं मिल पाया है। हमने संबंधित विभाग को पूरी जानकारी भेज दी है और उम्मीद है कि जल्द ही शिक्षकों का वेतन जारी कर दिया जाएगा।”

हालांकि शिक्षक इससे सहमत नहीं दिखे।
उनका कहना है कि—

  • तकनीकी समस्याएं हर महीने क्यों आती हैं?

  • किसी भी स्टाफ को आधिकारिक लिखित सूचना नहीं दी गई

  • कॉलेज में वेतन निर्गम व्यवस्था वर्षों से अव्यवस्थित है

  • विभाग को 3 बार याद दिलाने के बाद भी कोई समाधान नहीं मिला

कई कर्मचारियों ने बताया कि यह समस्या नई नहीं है, बल्कि पिछले कुछ वर्षों से समय-समय पर वेतन रोका जाता रहा है, जिससे उनका भरोसा अब पूरी तरह टूट चुका है।


स्थानीय लोगों और अभिभावकों की चिंता—बच्चों की पढ़ाई बाधित, परीक्षा नजदीक

धरने की सूचना मिलते ही कई अभिभावक भी कॉलेज पहुंचे और चिंता जताई कि टीचर्स के न पढ़ाने से उनके बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित होगी।
परीक्षा नज़दीक होने के कारण अनिश्चितता बढ़ गई है।
अभिभावकों का कहना है कि—

  • बच्चों की क्लास नियमित नहीं हो पा रही

  • प्रैक्टिकल और टेस्ट रुक गए हैं

  • कॉलेज प्रबंधन को वेतन मुद्दा तुरंत हल करना चाहिए

इस पूरे घटनाक्रम ने स्पष्ट कर दिया है कि teacher salary protest केवल शिक्षकों का मामला नहीं, बल्कि यह छात्रों के भविष्य और पूरे शैक्षणिक वातावरण को प्रभावित करने वाला बड़ा मुद्दा बन चुका है।


विभागीय अधिकारियों पर उठ रहे सवाल—क्या निगरानी तंत्र हुआ ढीला?

सलाह दी गई है कि विभागीय अधिकारी पूरे मामले की त्वरित समीक्षा करें, क्योंकि—

  • शिक्षकों के मेडिकल अवकाश के वेतन रोकना नियमों के खिलाफ हो सकता है

  • स्टेट हाईवे पर स्थित बड़े कॉलेज में वेतन न मिलना प्रशासनिक लापरवाही है

  • दो महीने का रोका गया वेतन साफ दिखाता है कि फाइनेंस और एकाउंट्स विभाग में गंभीर खामियां हैं

कई शिक्षकों ने बताया कि वे इस मुद्दे को जिला स्तर तक ले जाने की तैयारी कर चुके हैं।
यदि वेतन जल्द जारी नहीं हुआ, तो आंदोलन को और बड़ा किया जाएगा।


रोहाना कस्बे के इस कॉलेज में दो माह से वेतन रोकने के खिलाफ उठी यह आवाज अब शिक्षक समुदाय की सामूहिक मुहिम में बदल चुकी है। स्टाफ का साफ कहना है कि जब तक पूरा वेतन नहीं दिया जाता, धरना जारी रहेगा। दूसरी ओर, कॉलेज प्रशासन और विभागीय अधिकारी इस ‘टेक्निकल इश्यू’ को जल्द ठीक करने का दावा कर रहे हैं, लेकिन शिक्षकों का धैर्य अब जवाब दे चुका है। आने वाले दिनों में यह teacher salary protest क्षेत्र की शिक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक कार्यशैली दोनों की परीक्षा लेने वाला साबित हो सकता है।



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