जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद लापता हुए तीनों आरोपियों को पकड़ना आसान नहीं था। वह कई वर्षों से गांव से दूर रह रहे थे। घर में जब भी पुलिस पहुंचती थी तो घर वाले यही बताते थे कि उनके बारे में कोई जानकारी नहीं है। पुलिस के डर से कहीं चले गए हैं। जिंदा है या मर गए हैं, यह भी पता नहीं है। पुलिस ने जाल बिछाकर उन्हें पकड़ा, इसके लिए पुलिस को मजदूर बनकर घूमना भी पड़ा।

थाना प्रभारी के मुताबिक पुलिस को परिवार के लोगों की बात पर भरोसा नहीं था। एक साल पहले हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई। इस पर थाना एत्मादपुर के दरोगा राम सुंदर और विपिन कुमार को लगाया गया। दोनों दरोगा गांव में मजदूर बनकर घूमने लगे। उन्हें पता था कि एक आरोपी को पकड़ेंगे तो बाकी आरोपी भाग जाएंगे। इस कारण तीनों को एक साथ पकड़ने की योजना बनाई। गांव के कुछ लोगों से दोस्ती भी कर ली।

वह आरोपियों के घर भी दूर से नजर बनाने लगे। तभी पता चला कि एक-एक कर आरोपी घर पर आते हैं और मिलकर चले जाते हैं। राजपाल की उम्र 74 वर्ष है। इस कारण वह बीमार भी रहता था। वह इलाज भी करा रहा था। पिछले दिनों मिलने आया तो पुलिस को सुराग मिल गया। इसके बाद सज्जन पाल और मानिकचंद भी आए थे।

पुलिस तीनों को एक साथ पकड़ना चाहती थी। इसलिए जाल बिछाया। शुक्रवार रात तीनों राजपाल, सज्जन पाल और मानिकचंद को गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी के बाद वह ज्यादा कुछ नहीं बता रहे थे। बस यही कहा कि वह दिल्ली और फर्रुखाबाद में रह रहे थे। फर्रुखाबाद में उनकी रिश्तेदारी है। मजदूरी करते थे। इससे जो गुजारा होता था उससे ही अपना जीवन यापन कर रहे थे। रकम बचने पर अपने परिवार के लोगों को भी दे देते थे।

 



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