करीब डेढ़ महीने से बजट की कमी से विकास कार्यों में आई रुकावट अब दूर हो सकेगी। मंगलवार को नगर निगम कार्यकारिणी में चालू वित्तीय वर्ष का पुनरीक्षित बजट पास किया जाएगा। मूल बजट 43 अरब का था जिसमें 400 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी कर 47 अरब का पुनरीक्षित बजट तैयार किया गया है। इसका प्रस्ताव नगर निगम मुख्यालय में अपराह्न 3 बजे होने वाली कार्यकारिणी की बैठक में लाया जाएगा।
महापौर सुषमा खर्कवाल और नगर आयुक्त गौरव कुमार के बीच करीब डेढ़ महीने तक चली तनातनी से शहर के विकास कार्यों पर भी असर पड़ा। सड़कों के गड्ढों को भरने का बजट समाप्त हो गया। गड्ढे भरने का काम पूरा भी नहीं हो पाया, क्योंकि पुनरीक्षित बजट अटका हुआ था। इसी तरह सफाई, मार्ग प्रकाश, पार्क सहित अन्य कार्यों के लिए भी बजट का 25 से 30 प्रतिशत ही बचा है। ऐसे में पुनरीक्षित बजट पास नहीं होने पर ये काम भी जल्द ठप जाते। इसे देखते हुए अब मंगलवार को नगर निगम कार्यकारिणी की बैठक पुनरीक्षित बजट पास करने के लिए बुलाई गई है।
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इसलिए पास किया जाता है पुनरीक्षित बजट
नगर निगम का मूल बजट 31 मार्च से पहले पास किया जाता है, जो एक अप्रैल से लागू होता है। किसी कार्य के लिए जो बजट पास होता है, यदि उससे अधिक धनराशि पहले ही खर्च हो जाती है या होने का अनुमान होता है तो अक्तूबर में पुनरीक्षित बजट लाकर धनराशि बढ़ाई जाती है। नगर निगम अधिनियम के प्रावधान के तहत पुनरीक्षित बजट अक्तूबर के पहले सप्ताह में पास हो जाना चाहिए, मगर इस वर्ष यह अब तक नहीं हो पाया है। बजट पास करने के लिए कार्यकारिणी बैठक बुलाई जाती है। यहां बजट पास होने पर उसे अनुमोदन के लिए सदन में भेजा जाता है। नगर आयुक्त और महापौर के बीच चल रहे टकराव से पुनरीक्षित बजट अटका हुआ था।
इन प्रमुख कार्यों पर बढ़ेगा बजट
– न्यायालय, विधानसभा, विधान परिषद की समितियों व शासन के निर्देश पर कराए जाने वाले कार्यों का बजट 5 करोड़ से बढ़ाकर 12 करोड़ किया जाना।
– नगर निगम की जमीनों के सर्वे और सुरक्षित करने के लिए बजट 2 करोड़ से बढ़ाकर 4 करोड़ किया जाना।
– ट्रैफिक सुधार के कार्यों पर 50 लाख की जगह 3 करोड़ खर्च करना।
– सड़कों की मरम्मत का बजट 271 करोड़ से बढ़ाकर 362 करोड़ करना।
– भवन निर्माण का बजट 10 लाख से बढ़ाकर 2.10 करोड़ करना।
– पार्कों के रखरखाव का बजट 35 करोड़ से बढ़ाकर 42 करोड़ करना।
– नई सड़क निर्माण का बजट 5 करोड़ से बढ़ाकर 7 करोड़ करना।
– डीजल-पेट्रोल खर्च 20 करोड़ से बढ़ाकर 35 करोड़ रुपये करना।
