Adverse report filed in passport verification if bribe is not given two constables appeared in line

पासपोर्ट
– फोटो : फाइल फोटो

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आगरा में पासपोर्ट सत्यापन के लिए महिला ने पुलिस को घूस नहीं दी। इस पर सिपाहियों ने सत्यापन में प्रतिकूल रिपोर्ट लगा दी। इससे पासपोर्ट नहीं बन सका। बुधवार को पीड़िता ने पुलिस आयुक्त डाॅ. प्रीतिंदर सिंह से शिकायत की। पुलिस आयुक्त ने फोन पर ही थाना रकाबगंज के सिपाही अमित और विष्णु कुमार को लाइन हाजिर कर दिया। विभागीय जांच के भी आदेश किए हैं।

आदर्श नगर, रकाबगंज निवासी अंबिका द्रोंणा ने पुलिस आयुक्त को प्रार्थनापत्र दिया। बताया कि अपने पासपोर्ट के नवीनीकरण के लिए पासपोर्ट कार्यालय गाजियाबाद में आवेदन किया था। नियमानुसार स्थानीय पुलिस शाखा से सत्यापन रिपोर्ट मांगी गई। 4 अगस्त की दोपहर 2:35 बजे थाना रकाबगंज से सिपाही अमित शर्मा घर आए। उन्होंने पासपाेर्ट से संबंधित कागजात लिए। आरोप है कि सिपाही ने रुपयों की मांग की। दलील दी कि पासपोर्ट के लिए हर कोई देता है। उन्होंने मना कर दिया। सिपाही कोई बात नहीं कहकर चला गया।

…पासपोर्ट की हर फाइल का आता है खर्चा

अंबिका ने आरोप लगाया कि उसी दिन शाम को 7 बजे सिपाही विष्णु कुमार का फोन आया। वह पासपोर्ट में दिक्कत बताते हुए थाने बुलाने लगे। रात होने की वजह से पति विवेक लवानिया को भेजा। वह थाने पहुंचे। दोनों सिपाहियों ने पत्नी के नाम से थाना लोहामंडी में केस दर्ज बताया। इस पर पति ने उन्हें जानकारी दी कि मामला फर्जी था। पुलिस ने विवेचना के बाद केस खारिज कर दिया है। इसका स्टेटस भी चेक करा दिया। मगर, विष्णु कुमार ने कहा कि पासपोर्ट की हर फाइल का खर्चा आता है। कुछ करा दीजिए। विवेक बिना रुपये दिए वापस आ गए। सिपाहियों ने सत्यापन रिपोर्ट प्रतिकूल लगा दी। इसकी जानकारी 24 अगस्त को पासपोर्ट कार्यालय के पत्र से हुई। उनका पासपोर्ट जारी नहीं हो सका। सूचना के अधिकार के तहत सूचना मांगने पर सत्यापन रिपोर्ट का पता चला।

सिपाही ने लिए थे 500 रुपये, हुआ था निलंबित

पासपोर्ट सत्यापन के लिए सिपाहियों के रिश्वत लेने का यह कोई पहला मामला नहीं है। पूर्व में भी आरोप लगते रहे हैं। जुलाई 2022 में थाना नाई की मंडी में मामला सामने आया था। सिपाही ने पासपोर्ट सत्यापन के लिए 500 रुपये की मांग की थी। इसके बाद सत्यापन किया था। भ्रष्टाचार विरोधी हेल्पलाइन नंबर के माध्यम से मामला तत्कालीन एसएसपी प्रभाकर चौधरी के पास पहुंचा था। उन्होंने सिपाही को निलंबित किया था। विभागीय जांच के आदेश किए थे।

 



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