Police oblivious: Kanpur became a hiding place for Rohingya citizens

सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : सोशल मीडिया

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पुलिस कमिश्नरी बेखबर रही और यूपी एटीएस ने शनिवार को कानपुर के झकरकटी बस अड्डे से आठ बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों को गिरफ्तार किया। एटीएस की इस कार्रवाई से पहले भी शहर से कई बार आतंकी और आपराधिक घटनाओं में लिप्त रहने के आरोपी बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों को गिरफ्तार किया जा चुका है। ऐसी कार्रवाई के बाद पुलिस हर बार उनकी तलाश में अभियान भी चलाती है, लेकिन नतीजा सिफर रहता है।

शनिवार को हुई कार्रवाई से साफ है कि शहर बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों के लिए छिपने का सबसे महफूज अड्डा बना हुआ है। वर्ष 2021 में लखनऊ में मानव तस्करी के आरोप में गिरफ्तार बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों से पूछताछ में उनका कनेक्शन कानपुर से निकला था। इसकी जानकारी होने पर तत्कालीन पुलिस कमिश्नर असीम अरुण ने इनकी तलाश में चेकिंग अभियान शुरू कराया तो 15000 से अधिक संदिग्धों की पहचान की गई थी। इनमें से ज्यादातर चकेरी, नौबस्ता के मछरिया, पनकी, कल्याणपुर और बारासिरोही के रहने वाले निकले थे।



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