
आरोपी का घर
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फर्जी संस्था अब्दुल कलाम ऑफ ग्रुप एजुकेशन की जांच के लिए गोरखपुर की एसआईटी आगरा आई थी। कई कालेजों और संबंधित विभागों से जानकारी ली। पता चला कि अब्दुल कलाम बोर्ड के नाम से एचडीएफसी बैंक में खाता है, जो पंकज व उसकी पत्नी कंचन के नाम से है। उसके दफ्तर से बोर्ड संचालन से संबंधित दो कंप्यूटर, 109 फ्रेंचाइजी से संबंधित फाॅर्म, मार्कशीट, प्रमाणपत्र, कोर्स से संबंधित किताबें, फ्रेंचाइजी से प्राप्त धन की रसीदें, परीक्षा प्रश्नपत्र व कॉपियां बरामद हुईं हैं।
पंकज व उसकी पत्नी के नाम से अपराध से अर्जित रकम से आगरा में 1400 स्क्वायर फीट का मकान, 3 बीएचके फ्लैट व अर्धनिर्मित मकान, 1200 स्क्वायर फीट का प्लाट, एक अन्य प्लाट मिला है। पति-पत्नी के दो संयुक्त खाते सहित चार एकाउंट मिले हैं। इसमें 16 लाख रुपये जमा हैं। इन खातों को सीज करा दिया गया है।
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फर्जी बोर्ड में ये हैं 13 पदाधिकारी
एसएसपी के मुताबिक, अब्दुल कलाम ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट का एनसीटी दिल्ली में चिट फंड से रजिस्ट्रेशन कराया गया था, जिसमें कुल 13 पदाधिकारी हैं। जिनमें इंदीवर पोरवाल-भाई, कंचन पोरवाल-पत्नी, जयवीर प्रसाद-चाचा, अनिरुद्ध कुमार-मित्र, नरेश कुमार-मित्र, निखिल कुमार-मित्र, कमलकांत-मित्र, कुलदीप वर्मा-मित्र, सुरेंद्र कुमार मित्र, रुचि गुप्ता-सहयोगी, दर्शन कुमार खट्टरी-मित्र, प्रेमचंद्र-मित्र, मोहित कुमार-मित्र शामिल हैं।
फर्जी बोर्ड से संचालित होने वाली फ्रेंचाइजी
कमल किशोर, प्रतिभा पैरामेडिकल एंड नर्सिंग काॅलेज ट्रस्ट देवरिया, संचालिका प्रतिभा सिंह, जननी पैरामेडिकल नर्सिंग साइंस कुशीनगर, संचालक विजय प्रताप सिंह, सौम्य साक्य पैरामेडिकल देवरिया, संचालक रमाकांत कुशवाहा, मां विंध्वासनी पैरामेडिकल काॅलेज रानीडीहा गोरखपुर, संचालिका गिरिजा त्रिपाठी, अन्नपूर्णानंद पैरामेडिकल बलिया, संचालक गुप्तेश्वर पांडेय, रुद्रा पैरामेडिकल काॅलेज वाराणसी, संचालक डाॅ. पवन साहनी, ऑल इंडिया पैरामेडिकल सीतापुर, संचालक राजीव विश्वास, सतीश चंद्र इंस्टीट्यूट चांदपुर शाहजहांपुर, संचालक मुकेश शुक्ला, शान हाॅस्पिटल नरियावल अड्डा बरेली, संचालक डाॅ. फहीम खान, वाशु पैरामेडिकल बुलंदशहर।
ताला लगाकर सरगना का परिवार फरार
मुख्य सरगना पंकज पोरवाल आगरा में शाहगंज के गणेश नगर में रहता है। पंकज की गिरफ्तारी के बाद परिवार के लोग फरार हो गए। पुलिस टीम ने तलाश की, लेकिन कोई नहीं मिला। आगरा में आई एसआईटी भी ज्यादा कुछ नहीं पता कर पाई। मोहल्ले के लोगों ने यही बताया कि पंकज की गतिविधियों से सभी अनजान थे। वह किसी से ज्यादा बात नहीं करता था। पत्नी भी बाहर नहीं आती थी।