Muzaffarnagar में लगातार बढ़ते pollution को लेकर अब पेपर मिल एसोसिएशन भी खुलकर सामने आ गई है। नगर में प्रदूषण को लेकर बन रहे नकारात्मक माहौल और पेपर मिलों को एकतरफा जिम्मेदार ठहराए जाने पर पेपर मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज अग्रवाल ने गंभीर चिंता जताई है।
फेडरेशन के सभागार में आयोजित एक प्रेसवार्ता के दौरान उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि प्रदूषण एक जटिल समस्या है, लेकिन पेपर मिलों को ही इसका मुख्य कारण बताना न सिर्फ भ्रामक है, बल्कि उद्योग के साथ अन्याय भी है।
पेपर मिलों में प्रदूषण नियंत्रण के लिए आधुनिक संयंत्र, फिर भी आरोप क्यों?
प्रेसवार्ता में उद्यमी पंकज अग्रवाल ने बताया कि जिले की पेपर मिलों में प्रदूषण रोकने के लिए पहले से ही अत्याधुनिक प्रदूषण नियंत्रण संयंत्र लगे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि—
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सभी पेपर मिलें नियमों के अनुसार संचालित हो रही हैं
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प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीमें नियमित निरीक्षण करती हैं
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मानकों के उल्लंघन पर कार्रवाई की व्यवस्था पहले से मौजूद है
इसके बावजूद पेपर मिलों को ही Muzaffarnagar pollution का मुख्य दोषी ठहराया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।
एनसीआर में शामिल होने के बाद बढ़ीं मुश्किलें, उद्योग दबाव में
पंकज अग्रवाल ने बताया कि जब से मुजफ्फरनगर जनपद एनसीआर में शामिल हुआ है, तब से पेपर मिल उद्योग पर नियमों और प्रतिबंधों का दबाव लगातार बढ़ा है।
उन्होंने कहा कि—
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जांच और निरीक्षण की संख्या कई गुना बढ़ गई है
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हर बार प्रदूषण बढ़ने पर सबसे पहले उद्योग को कटघरे में खड़ा किया जाता है
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जबकि प्रदूषण के अन्य स्रोतों पर अपेक्षित कार्रवाई नहीं होती
यह स्थिति लंबे समय तक बनी रही तो Muzaffarnagar pollution के नाम पर पेपर मिल उद्योग को भी वही झटका लग सकता है, जैसा पिछले चार वर्षों में लोहे के उद्योग को लगा।
लोहे के उद्योग का उदाहरण, चेतावनी भरे शब्द
प्रेसवार्ता में पंकज अग्रवाल ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि—
“पिछले चार सालों में जिस तरह जनपद का लोहा उद्योग लगभग समाप्ति की कगार पर पहुंच गया, वैसी ही स्थिति पेपर मिलों की भी हो सकती है, यदि बिना ठोस कारण के उद्योगों को निशाना बनाया जाता रहा।”
उन्होंने चेताया कि उद्योग बंद होने का सीधा असर—
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रोजगार पर
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स्थानीय अर्थव्यवस्था पर
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नगर के व्यापारिक माहौल पर
पड़ेगा, जिसका जिम्मेदार कोई एक सेक्टर नहीं होगा।
RDF से बिजली उत्पादन पर सफाई, केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन
पंकज अग्रवाल ने RDF (Refuse Derived Fuel) को लेकर भी स्थिति स्पष्ट की।
उन्होंने बताया कि—
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भारत सरकार के निर्देशों के अनुसार पेपर मिलें RDF से बिजली बना रही हैं
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यदि किसी स्थान से RDF खराब गुणवत्ता का आता है तो उसे स्वीकार नहीं किया जाता
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ऐसे मामलों में RDF को वापस लौटा दिया जाता है
उन्होंने कहा कि RDF के नाम पर भी पेपर मिलों को Muzaffarnagar pollution से जोड़ना गलत और तथ्यहीन है।
देशभर से पेपर सप्लाई, कड़ी प्रतिस्पर्धा में भी नियमों का पालन
प्रेसवार्ता में यह भी बताया गया कि मुजफ्फरनगर जनपद में देश के कई राज्यों से पेपर की सप्लाई हो रही है।
इस कारण—
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बाजार में प्रतिस्पर्धा बेहद कड़ी है
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गुणवत्ता और पर्यावरण मानकों का पालन अनिवार्य हो गया है
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कोई भी मिल जानबूझकर नियमों का उल्लंघन करने का जोखिम नहीं उठा सकती
पंकज अग्रवाल ने कहा कि उद्योग स्वयं नहीं चाहता कि Muzaffarnagar pollution का स्तर बढ़े, क्योंकि उसका सीधा असर कर्मचारियों और स्थानीय नागरिकों पर पड़ता है।
भ्रम फैलाने का आरोप, उद्योग की छवि खराब करने की साजिश?
पेपर मिल एसोसिएशन अध्यक्ष ने कुछ लोगों पर आरोप लगाया कि वे जानबूझकर यह भ्रम फैला रहे हैं कि प्रदूषण का एकमात्र कारण पेपर मिलें हैं।
उन्होंने दो टूक कहा—
“हम किसी के विरोधी नहीं हैं, लेकिन जब हमने कोई गलती नहीं की, तो हमें बदनाम क्यों किया जा रहा है?”
उन्होंने मांग की कि—
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तथ्यों के आधार पर जांच हो
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किसी एक उद्योग को बलि का बकरा न बनाया जाए
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पेपर मिल मालिकों के खिलाफ कोई गलत या एकतरफा कार्रवाई न की जाए
प्रदूषण का असली कारण क्या? उद्योग प्रतिनिधि ने रखी दूसरी तस्वीर
पेपर उद्योग से जुड़े प्रभात कुमार ने भी प्रेसवार्ता में अपनी बात रखते हुए कहा कि Muzaffarnagar pollution सालभर एक जैसा नहीं रहता।
उन्होंने बताया कि—
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15 नवंबर से 15 जनवरी के बीच प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा खतरनाक होता है
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जबकि पेपर मिलें तो पूरे 12 महीने संचालित होती हैं
इससे साफ है कि प्रदूषण का कारण केवल उद्योग नहीं हो सकता।
निर्माण कार्य, सड़क की धूल और पेड़ों की कटाई जिम्मेदार
प्रभात कुमार ने प्रदूषण के अन्य बड़े कारणों की ओर भी ध्यान दिलाया।
उनके अनुसार—
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शहर में चल रहे निर्माण कार्य
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सड़कों पर फैली धूल
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हरित क्षेत्र में लगातार हो रही पेड़ों की कटाई
Muzaffarnagar pollution को तेजी से बढ़ा रही है।
उन्होंने कहा कि यदि इन बिंदुओं पर सख्ती से काम किया जाए, तो प्रदूषण के स्तर में स्वतः सुधार आएगा।
स्वास्थ्य को लेकर उद्योग गंभीर, नागरिकों के प्रति जिम्मेदारी का दावा
पेपर मिल उद्योग प्रतिनिधियों ने यह भी स्पष्ट किया कि नागरिकों के स्वास्थ्य के प्रति उद्योग पूरी तरह गंभीर है।
उन्होंने कहा कि—
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मिलों में काम करने वाले हजारों कर्मचारी स्थानीय निवासी हैं
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उद्योग अपने ही लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ नहीं कर सकता
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पर्यावरण संतुलन बनाए रखना उद्योग की प्राथमिकता है
Muzaffarnagar pollution को लेकर उद्योग समाधान का हिस्सा बनना चाहता है, न कि विवाद का केंद्र।
प्रेसवार्ता में कई प्रमुख उद्यमियों की मौजूदगी
इस महत्वपूर्ण प्रेसवार्ता में पेपर उद्योग से जुड़े कई प्रमुख नाम मौजूद रहे, जिनमें—
राजेश जैन,
अजय कपूर,
कुश पुरी,
पवन गोयल,
अंकित कुमार,
विपुल भटनागर
आदि शामिल थे।
सभी ने एक स्वर में कहा कि प्रदूषण के मुद्दे पर संतुलित और तथ्यपरक दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए।
मुजफ्फरनगर में बढ़ते प्रदूषण को लेकर पेपर मिल एसोसिएशन की यह प्रेसवार्ता कई अहम सवाल खड़े करती है। उद्योग का कहना है कि पर्यावरण संरक्षण उनकी जिम्मेदारी भी है और प्राथमिकता भी, लेकिन बिना ठोस आधार के किसी एक सेक्टर को दोषी ठहराना न तो समस्या का समाधान है और न ही जनहित में। आने वाले समय में यह बहस तय करेगी कि Muzaffarnagar pollution के खिलाफ लड़ाई सहयोग से लड़ी जाएगी या आरोपों की धुंध में उलझती चली जाएगी।
