खतौली (मुजफ्फरनगर)। उत्तर प्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री A.K. Sharma के एक बयान ने राज्य की राजनीति और समाज में हलचल मचा दी है। एक सरकारी सभा के दौरान व्यापारियों और बनिया समाज पर की गई विवादित टिप्पणी ने वैश्य समुदाय को आक्रोशित कर दिया है। मंत्री के कथन — “यह बनिये की दुकान नहीं है, बनिये की दुकान पर पैसा देने के बाद भी माल नहीं मिलता” — ने हजारों वर्षों से व्यापार और सेवा में अग्रणी रहे वैश्य समाज की गरिमा को गहरा आघात पहुंचाया है।
🧨 बयान से फूटा गुस्सा, वैश्य समाज में भारी रोष
ऊर्जा मंत्री की यह टिप्पणी बिजली विभाग की एक बैठक के दौरान सामने आई, जहां वे अधिकारियों से विभागीय अनुशासन की बात कर रहे थे। लेकिन बातों ही बातों में उन्होंने बनिया समाज के संदर्भ में अपमानजनक टिप्पणी कर दी, जो सोशल मीडिया के माध्यम से तेज़ी से वायरल हो गई। परिणामस्वरूप, वैश्य समुदाय में गुस्से की लहर दौड़ गई।
अखिल भारतीय वैश्य महासंगठन, जो देशभर में वैश्य समाज की एक सशक्त प्रतिनिधि संस्था मानी जाती है, ने इस बयान को अत्यंत आपत्तिजनक और जातिगत द्वेष फैलाने वाला बताया है।
📜 ज्ञापन सौंपते हुए मांगी माफी और बर्खास्तगी की मांग
मंगलवार को संगठन के नगर अध्यक्ष अभिषेक गोयल एडवोकेट के नेतृत्व में संगठन पदाधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल उपजिलाधिकारी राजकुमार भारती से मिला और महामहिम राज्यपाल के नाम एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में साफ तौर पर उल्लेख किया गया कि ऊर्जा मंत्री द्वारा बनिया समाज को लेकर की गई टिप्पणी न केवल घृणास्पद है, बल्कि समाज की छवि धूमिल करने का प्रयास भी है।
संगठन की मांग है कि:
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मंत्री ए.के. शर्मा को तत्काल सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।
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यदि वह ऐसा करने से इनकार करते हैं, तो उन्हें मंत्री पद से बर्खास्त किया जाए।
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को स्वयं इस मामले में हस्तक्षेप कर उचित कार्रवाई करनी चाहिए।
🗣️ “यह सोची समझी राजनीति का हिस्सा है” — अभिषेक गोयल
नगर अध्यक्ष अभिषेक गोयल ने तीखा हमला करते हुए कहा, “ऊर्जा मंत्री की टिप्पणी केवल एक लापरवाही नहीं, बल्कि वैश्य समाज के खिलाफ एक सोची समझी साजिश का हिस्सा लगती है। यह जातिगत भेदभाव फैलाने का प्रयास है। मंत्री को तुरंत अपने शब्द वापस लेकर खेद प्रकट करना चाहिए।”
उन्होंने यह भी कहा कि समाज की शांति भंग नहीं हो, इसके लिए अभी केवल ज्ञापन सौंपा गया है, लेकिन अगर मांगें नहीं मानी गईं, तो पूरा वैश्य समाज सड़कों पर उतरकर उग्र आंदोलन के लिए तैयार है।
🔊 “अगर माफी नहीं मिली तो होगा चुनाव बहिष्कार” — अमित गोयल
वरिष्ठ नगर महामंत्री अमित गोयल ने कहा, “यदि मंत्री ने सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगी, तो आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में वैश्य समाज इसका कड़ा विरोध करेगा। हम चुनाव बहिष्कार तक जाएंगे। किसी को भी हमारी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने का अधिकार नहीं है।”
👥 ज्ञापन सौंपने वालों में कौन-कौन थे शामिल?
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अभिषेक गोयल (नगर अध्यक्ष)
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अमित गोयल (वरिष्ठ महामंत्री)
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दर्पण गुप्ता (व्यापारी नेता)
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रामकुमार
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सुमित गुप्ता (वरिष्ठ उपाध्यक्ष)
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अजय, नितिन सिंघल, निर्भीक अग्रवाल, सचिन गर्ग
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और कई अन्य व्यापारी तथा संगठन पदाधिकारी
इन सभी लोगों ने एकमत से मंत्री की टिप्पणी की निंदा की और सरकार से कार्रवाई की मांग की।
📉 राजनीतिक समीकरणों पर असर तय!
इस पूरे घटनाक्रम का सीधा असर उत्तर प्रदेश की राजनीतिक स्थिति पर भी पड़ सकता है। वैश्य समाज राज्य में एक बड़ा मतदाता वर्ग है, जिसकी उपेक्षा किसी भी राजनीतिक दल को भारी पड़ सकती है। अगर सरकार ने इस मामले में गंभीरता नहीं दिखाई, तो यह बयान आगामी चुनावों में बड़ा मुद्दा बन सकता है।
⚠️ समाज की गरिमा से कोई समझौता नहीं
वैश्य समाज सदियों से भारत की आर्थिक धुरी रहा है। व्यापार, सेवा, उद्यमिता, और रोजगार सृजन में इस समाज की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। ऐसे में किसी मंत्री द्वारा सार्वजनिक मंच पर इस समाज की तुलना अवमानना के साथ करना केवल अनैतिक नहीं, बल्कि सामाजिक ताने-बाने पर हमला है।
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ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा के विवादित बयान से उपजे इस विवाद ने केवल खतौली ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में वैश्य समाज को झकझोर कर रख दिया है। अगर सरकार ने समय रहते संतोषजनक कदम नहीं उठाए, तो यह मामला गंभीर जनआंदोलन का रूप ले सकता है। वक्त की जरूरत है कि नेता अपने शब्दों और विचारों को जिम्मेदारी से कहें, ताकि समाज में सद्भाव बना रहे।